Justice Sanjeev Khanna : जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश होंगे। वह आगामी नवंबर में सीजेआई धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ के सेवानिवृत्त होने के बाद सीजेआई का पदभार संभालने जा रहे हैं। चीफ जस्टिस के तौर पर जस्टिस खन्ना का कार्यकाल सिर्फ छह महीने का होगा। सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक वह 13 मई 2025 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इस तरह उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का होगा। आइए जानते हैं सीजेआई के बारे में अन्य अहम जानकारियां।
दिल्ली यूनिवर्सिटी के लॉ कैंपस से की वकालत। Justice Sanjeev Khanna
14 मई 1960 को जन्मे जस्टिस संजीव खन्ना मूल रूप से दिल्ली के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के मशहूर मॉडर्न स्कूल से की। फिर साल 1980 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद उन्होंने डीयू के कैंपस लॉ सेंटर में लॉ में एडमिशन लिया। लॉ की पढ़ाई करने के बाद जस्टिस खन्ना ने साल 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन कराया और प्रैक्टिस शुरू की। शुरुआती दिनों में वे तीस हजारी कोर्ट और साकेत कोर्ट में वकालत करते थे। फिर वे दिल्ली हाईकोर्ट चले गए।
मां सरोज खन्ना दिल्ली यूनिवर्सिटी में लेक्चरर थीं। Justice Sanjeev Khanna
जस्टिस खन्ना का जन्म 14 मई 1960 को दिल्ली में हुआ था । CJI के पिता जस्टिस देव राज खन्ना भी दिल्ली हाईकोर्ट के जज के पद से रिटायर हुए थे। उनकी मां सरोज खन्ना LSR, DU में लेक्चरर थीं। यहीं से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। साल 1980 में उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की डिग्री ली। इसके बाद उन्होंने DU से लॉ में एडमिशन लिया।
कैसे तय किया एक अधिवक्ता से चीफ जस्टिस बनने का सफर।
जस्टिस संजीव खन्ना को पहली बार 24 जून 2005 को दिल्ली हाईकोर्ट में एडिशनल जज के तौर पर नियुक्त किया गया था। फिर अगले साल 20 फरवरी 2006 को उन्हें परमानेंट जज के तौर पर नियुक्त किया गया। हाईकोर्ट में करीब 13 साल बिताने के बाद 12 दिसंबर 2018 को तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने जस्टिस संजीव खन्ना की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की सिफारिश की और केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी। इसके बाद 18 जनवरी 2019 को वे सुप्रीम कोर्ट के जज बन गए।
जस्टिस खन्ना के पिता और चाचा भी रह चुके हैं जज। Justice Sanjeev Khanna
जस्टिस संजीव खन्ना के पिता जस्टिस देवराज खन्ना भी जज थे। वे दिल्ली हाईकोर्ट के जज थे। इसके अलावा उनके चाचा जस्टिस हंसराज खन्ना भी सुप्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं। जस्टिस हंसराज खन्ना ने ‘एडीएम जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला’ केस में बहुमत से अलग फैसला दिया था। इस केस को हैबियस कॉर्पस केस के नाम से भी जाना जाता है।