Jitiya Vrat 2025 : महालक्ष्मी व्रत कथा-विधि व महत्व – हिंदू धर्म में देवी महालक्ष्मी को संपत्ति, सौभाग्य, ऐश्वर्य और मंगलमय जीवन की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं। अश्विन मास की कृष्ण पक्ष अष्टमी से शुरू होने वाला महालक्ष्मी व्रत विशेष रूप से बुंदेलखंड क्षेत्र में बड़े श्रद्धा-भाव से किया जाता है। यह व्रत न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि परिवार की समृद्धि, सुख और शांति का भी स्रोत माना जाता है। इस व्रत का उल्लेख महाभारत काल से मिलता है, जब कुंती और गांधारी ने महर्षि वेदव्यास से राज्य और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए उपाय पूछा था। वेदव्यास जी ने उन्हें यह व्रत बताया और तभी से यह परंपरा चलती आ रही है। इस बार महालक्ष्मी व्रत पूजा पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 14 सितंबर 2025 को सुबह 05 बजकर 04 मिनट से होगी और इसका समापन 15 सितंबर को सुबह होगा। ऐसे में इस वर्ष जितिया का व्रत 14 सितंबर को रखा जाएगा और इसका पारण 15 सितंबर, सोमवार को किया जाएगा।
महालक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा – कथा के अनुसार एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर पधारे। राजा धृतराष्ट्र ने उनका विधिवत स्वागत किया। उस समय कुंती और गांधारी ने उनसे निवेदन किया कि ऐसा कोई उपाय बताएं जिससे उनका राज्य सुखी, समृद्ध और परिवार में शांति बनी रहे। वेदव्यास जी ने उन्हें श्री महालक्ष्मी व्रत का महत्व बताया। उन्होंने कहा – जो भी स्त्री या पुरुष अश्विन कृष्ण अष्टमी से 16 दिनों तक यह व्रत करेंगे, उनके घर में लक्ष्मी जी का वास होगा और दरिद्रता दूर हो जाएगी।” कुंती, गांधारी और नगर की अन्य महिलाओं ने यह व्रत शुरू किया और तभी से यह परंपरा हर साल अश्विन मास में निभाई जाती है।
महालक्ष्मी व्रत का महत्व – संपत्ति और समृद्धि में वृद्धि – इस व्रत से घर में धन, धान्य और सौभाग्य का आगमन होता है।
परिवारिक सुख-शांति – कलह, तनाव और दुख समाप्त होकर घर में सौहार्द बढ़ता है।
स्वास्थ्य और दीर्घायु – माता लक्ष्मी की कृपा से परिवार के सदस्य स्वस्थ और दीर्घायु रहते हैं।
नवग्रह शांति – पूजा में नवग्रह पूजन करने से ग्रहदोष और पितृदोष का शमन होता है।

महालक्ष्मी व्रत पूजन विधि
स्थान की शुद्धि – सुबह स्नान कर पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करें, घर के मंदिर या स्वच्छ स्थान पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
चौकी स्थापना और मूर्ति स्थापना – लाल कपड़े से सजी चौकी पर महालक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र और मिटटी से बना हाथी स्थापित करें।
गणेश और नवग्रह पूजन – सर्वप्रथम गणेश जी और नवग्रहों का पूजन करें, ताकि पूजा में कोई विघ्न न आए,इसके बाद लक्ष्मी व हाथी की पूजा करें।
तिलक और अलंकरण – गंगाजल से स्नान कराकर माता को रोली, चंदन, हल्दी, केसर से तिलक करें,16 श्रृंगार की सामग्री से माता का श्रृंगार करें,फल-फूल, मिष्ठान, सुपारी, इलायची, लौंग, नारियल, धूप-दीप और कपूर अर्पित करें। कलश में जल भरकर उसके ऊपर गेहूं या चावल की कटोरी रखें। इसे लक्ष्मी जी का प्रतीक मानकर पूजें।
व्रत की अवधि – यह व्रत 16 दिनों तक निरंतर विधिपूर्वक करें। रोजाना दीप जलाएं, माता लक्ष्मी की आरती और कथा का पाठ करें और सोलहवें दिन विधिवत पूजन करें,16वें दिन चंद्रमा को अर्घ्य दें और 16 गांठों वाला डोरा बांधें और व्रत पूर्ण होने पर ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।

महालक्ष्मी व्रत में आवश्यक पूजन सामग्री
महालक्ष्मी जी की मूर्ति या चित्र पूजा का मुख्य केंद्र, गंगाजल पवित्रता के लिए,कलश समृद्धि का प्रतीक,रोली, चंदन, केसर, हल्दी तिलक और पूजन के लिए,फल-फूल, मिष्ठान नैवेद्य,पान-सुपारी, इलायची, लौंग मंगल प्रतीक,नारियल पूर्णता का प्रतीक,घी, दीपक, कपूर, धूपबत्ती पूजन और आरती के लिए,लाल कपड़ा शुभता और सौभाग्य का प्रतीक गेंहू और चावल कलश स्थापना
खीर विशेष नैवेद्य,16 श्रृंगार की सामग्री माता का श्रृंगार,16 गांठों वाला डोरा व्रत का प्रतीक आदि सामानों को एकत्र करें फिर पूजा संम्पन्न करके ही उठें।
महालक्ष्मी व्रत का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व – यह व्रत केवल व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, बल्कि समाज में एकजुटता और स्त्री-शक्ति को भी दर्शाता है। महिलाएं मिलकर इस व्रत को सामूहिक रूप से करती हैं जिससे समाज में भाईचारा, सहयोग और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
महालक्ष्मी व्रत में पाठ और आरती – पूजा के समय श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टक स्तोत्र और महालक्ष्मी आरती का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है।
आधुनिक जीवन में प्रासंगिकता – आज की व्यस्त जीवनशैली में भी महालक्ष्मी व्रत घर में आध्यात्मिक वातावरण और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने का सुंदर अवसर है, यह न केवल आर्थिक दृष्टि से लाभकारी है, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।
विशेष – महालक्ष्मी व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि जीवन में अनुशासन, संयम और श्रद्धा को जगाने का अवसर है। 16 दिन तक देवी लक्ष्मी की आराधना करने से घर में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है। यदि आप अपने जीवन में धन, सौभाग्य और मानसिक शांति चाहते हैं, तो इस अश्विन मास में महालक्ष्मी व्रत अवश्य करें।