झारखंड की पारंपरिक रसोई विविधता और सादगी का संगम है। यहां के स्थानीय व्यंजन न सिर्फ स्वाद में भरपूर होते हैं, बल्कि पोषण से भी भरपूर होते हैं। इन्हीं पारंपरिक व्यंजनों में एक खास डिश है, ,”मूंगदाल का धुसका”। यह एक लोकप्रिय स्थानीय नाश्ता है जिसे खास मौकों पर या रोज़मर्रा के खाने में बड़े चाव से बनाया और खाया जाता है। धुसका स्वाद, सेहत और परंपरा का बेहतरीन मेल है। आइए जानते हैं झारखंड का पारंपरिक स्वाद मूंगदाल का धुसका, लेकिन उससे पहले जानना जरूरी है कि आखिर धुस्का है क्या ?
आखिर धुसका क्या है ?
धुसका एक प्रकार का देसी चावल-मूंगदाल का पकोड़ा है जो झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ के कुछ ख़ास हिस्सों में बड़े चाव से खाया जाता है। इसे आमतौर पर चटनी या आलू-चना की सब्ज़ी के साथ परोसा जाता है। बाहर से कुरकुरा और अंदर से नरम धुसका, पोष्टिक होने के साथ-साथ खाने में भी बेहद स्वादिष्ट होता है।
झारखंड का पारंपरिक धुसका बनाने की मुख्य सामग्री
- धुली मूंगदाल – 1 कप
- चावल – ½ कप
- हरी मिर्च – 2 (कटी हुई)
- अदरक – 1 इंच टुकड़ा (कद्दूकस किया हुआ)
- लहसुन – 4-5 कलियां
- नमक – स्वादानुसार
- हल्दी – ¼ छोटा चम्मच
- हरा धनिया – 2 टेबलस्पून (कटा हुआ)
- तेल – तलने के लिए
झारखंड का पारंपरिक धुसका बनाने की विधि
अनाज भिगोना – मूंगदाल और चावल को एक साथ धोकर 4-5 घंटे के लिए पानी में भिगो दें।
अनाज पीसना – भीगी हुई दाल और चावल को थोड़ा पानी डालकर मिक्सी या सिल-बट्टे में पीस लें। पेस्ट न ज्यादा पतला हो न ज्यादा गाढ़ा।
मिश्रण तैयार करना – इस पेस्ट में हरी मिर्च, अदरक, लहसुन, नमक, हल्दी और हरा धनिया मिलाएं।
धुसका तलना – कढ़ाही में तेल गरम करें और एक करछी से थोड़ा-थोड़ा बैटर डालकर गोल आकार के धुसके तलें। धीमी आंच पर दोनों तरफ से सुनहरा और कुरकुरा होने तक तलें।
इस तरह परोसे धुसका – गरमागरम धुसका हरी धनिया या टमाटर की चटनी के साथ परोसें
पारंपरिक झारखंडी धुसका के पोषण और खासियत
- मूंगदाल प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, जो इसे सेहतमंद बनाता है।
- चावल और दाल का मिश्रण पेट के लिए हल्का होता है और पचने में आसान होता है।
- यह नाश्ता तले हुए होने के बावजूद बहुत अधिक भारी नहीं होता।
जाने धुसका का सांस्कृतिक महत्व – धुसका झारखंड के त्योहारों, विशेष अवसरों और पारिवारिक मेलों में खास तौर पर बनाया जाता है। गांव की रसोई से लेकर शहरों के घरों तक यह व्यंजन अपनी सरलता और स्वाद के कारण बेहद प्रिय है। यह पारंपरिक भोजन न सिर्फ स्वाद बढ़ाता है बल्कि अपनी जड़ों से जुड़ाव भी महसूस कराता है।
विशेष :- मूंगदाल का धुसका झारखंड की एक अनमोल पाक परंपरा है, जो आधुनिक जीवनशैली में भी अपना स्थान बनाए हुए है। इसकी सादगी, पौष्टिकता और स्वाद इसे हर आयु वर्ग के लिए आदर्श बनाते हैं। अगर आप झारखंडी स्वाद का अनुभव करना चाहते हैं, तो एक बार मूंगदाल का धुसका ज़रूर आज़माएं।