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Jharkhand Election: आखिर झारखंड में क्यों नहीं कामयाब हो सकी बीजेपी

Jharkhand Election Results 2024: महाराष्ट्र और झारखंड के विधानसभा चुनाव के नतीजें अनुमान के विपरीत रहे .आपको बता दे कि महाराष्ट्र में एनडीए यानी महायुति गठबंधन बहुमत से काफी आगे निकल गई तो वहीं, झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई में इंडिया गठबंधन ने जर्बदस्त वापसी की.

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आपको बता दे कि महाराष्ट्र की 288 तथा झारखण्ड की 81 विधानसभा सीट समेत अन्य जगहों पर बीतें 13 तथा 20 नवंबर को वोट डाले गए थे . झारखंड में जहां आरजेडी की स्थिति पहले से मजबूत हुई, वहीं, बिहार के उप चुनाव में वह अपनी यादव-मुस्लिम बहुल सीट भी नहीं बचा पाई. बिहार विधानसभा उप चुनाव की सभी चार सीट एनडीए अपने खाते में ले गई. इन दोनों राज्यों से इतर बिहार विधानसभा के उपचुनाव में एनडीए ने सभी चार सीटों पर जीत दर्ज की.

झारखंड और महाराष्ट्र, दोनों के ही एग्जिट पोल के नतीजे बता रहे थे कि झारखंड में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच कांटे की टक्कर होगी. जबकि, महाराष्ट्र में एनडीए बढ़त बनाएगी. किंतु, दोनों ही राज्यों में सीटों का अंतर इतना हो जाएगा, यह अनुमान से परे था. एग्जिट पोल करने वाली लगभग सभी एजेंसियां गच्चा खा गईं. हां, एक्सिस माय इंडिया ने अवश्य ही झारखंड में एनडीए को 17 से 27 तथा इंडिया गठबंधन को 49 से 59 सीट आने का अनुमान लगाया था, जो परिणाम के काफी नजदीक रहा.

गठबंधनों में किन सीटों पर नहीं बनी बात

आपको बता दे कि इस बार झारखंड में चुनाव प्रचार जमकर हुआ. एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छह, अमित शाह ने 16, योगी आदित्यनाथ ने 14 सभाएं कीं. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने तो झारखंड में तो डेरा ही डाल रखा था. वहीं, इंडिया गठबंधन की तरफ से राहुल गांधी की छह सभाओं के अलावा लगभग पूरा जोर हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने ही लगाया. 

उधर, बिहार के विधानसभा उप चुनाव में चारों सीट, रामगढ़, बेलागंज, तरारी तथा इमामगंज में एनडीए ने जीत दर्ज कर महागठबंधन को बड़ा झटका दिया है. इससे पहले इनमें तीन सीट पर आरजेडी का कब्जा था. बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में यादवों और मुसलमान वोटरों की संख्या अधिक है. इसे लालू प्रसाद यादव के माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण का गढ़ माना जाता रहा है. यहां से सुरेंद्र यादव 1990 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे थे. सांसद चुने जाने के बाद इस बार उनके बेटे डॉ. विश्वनाथ यहां से चुनाव लड़ रहे थे. इस बार केवल इसी सीट के लिए लालू प्रसाद ने भी प्रचार किया था. लेकिन यहां से जेडीयू की मनोरमा यादव ने डॉ. विश्वनाथ को पराजित कर दिया.

नहीं चला चंपई का सिक्का

इस बार दोनों राज्यों में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनाव से अधिक था. झारखंड के परिणाम इसलिए भी अप्रत्याशित रहे कि यहां जीत के लिए बीजेपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था. आदिवासी अस्मिता तथा घुसपैठियों के मुद्दे को काफी जोर-शोर से उछाला गया, लेकिन ये सारे प्रयास धरे के धरे रह गए. जेएमजेएम छोड़ कर बीजेपी में आए झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री व कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन भी बीजेपी के लिए खोटा सिक्का ही साबित हुए. वे सरायकेला सीट से चुनाव जीत गए हैं. लेकिन, उनके गढ़ कोल्हान में बीजेपी मात्र दो सीट ही जीत सकी.

आपको बता दे कि इंडिया गठबंधन अपने गढ़ संथाल परगना और कोल्हान को बचाने में कामयाब रहा. इस बार जेएमएम की अगुवाई में इंडिया गठबंधन को नौ सीटों के इजाफे के साथ 56 सीट मिली तो वहीं बीजेपी नीत एनडीए को छह सीट के नुकसान के साथ महज 24 सीट पर संतोष करना पड़ा. इस बार सात सीट के फायदे के साथ जेएमएम 34, तीन सीट के लाभ के साथ आरजेडी चार पर पहुंच गई. जबकि कांग्रेस को दो के नुकसान के साथ 16 सीट मिली. इनके अन्य सहयोगियों के खाते में दो सीट आई.

मास्टरस्ट्रोक रहा जेएमएम का आदिवासी कार्ड

आपको बता दे कि बीजेपी के कई धुरंधर नेताओं ने झारखंड में धुआंधार प्रचार किया. संथाल परगना क्षेत्र में घुसपैठ को लेकर बीजेपी काफी आक्रामक रही. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो यहां तक कहा कि झारखंड में भाजपा (बीजेपी) की सरकार बनाइए, घुसपैठियों को उल्टा लटका देंगे. उन्होंने घुसपैठियों को ही जेएमएम, आरजेडी और कांग्रेस का वोट बैंक बताया. जमशेदपुर में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि वोट और तुष्टिकरण की राजनीति करने वाले घुसपैठियों को संरक्षण दे रहे हैं. उन्होंने चंपई सोरेन और सीता सोरेन के अपमान को आदिवासियों का अपमान बताया.

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