Shahrukh Khan की फिल्म है तो थिएटर्स में हुजूम जमा है, दर्शक गानों पर सीटी मार रहे हैं, सीट से उठकर ठुमके लगा रहे हैं. लेकिन क्या जवान वैसी फिल्म है जिसकी उम्मीद थी?
जवान मूवी रिव्यू: शाहरुख़ खान स्टारर और एटली कुमार डायरेक्शनल फिल्म ‘जवान’ रिलीज हो गई. SRK के फैंस सिनेमाहॉल पहुंचते ही Jawan के पोस्टर चूमने लगे, थिएटर के अंदर जाकर खूब सीटियां बजाईं, गानों में खूब ठुमके लगाए लेकिन अंत में दर्शकों को समझ में आ गया कि ”वो ये भूल गए थे कि हम एक टिपिकल साउथ इंडियन फिल्म में एक्टिंग कर रहे बॉलीवुड के स्टार को देखने आए हैं और इस फिल्म में लॉजिक, स्टोरी और रियलिस्टिक सीन्स देखने को नहीं मिलने वाले”
पिक्चर शाहरुख़ खान की है तो कमाई बाजाफाड़ होनी तय है लेकिन पैसा तो मीनिंगफुल स्क्रिप्ट वाली फिल्म से भी कमाया जा सकता है. खैर… अगर आप सोच रहे हैं कि ‘जवान’ एक शानदार लार्जर देन लाइफ स्टोरी वाली फिल्म है तो आपकी सोच को बदल दीजिये। क्योंकि Jawan एक साउथ इंडियन मसाला एंटरटेनर है जिसमे ठीक-ठीक VFX, डायलॉग और एक्शन जोड़ दिया गया. हम ये नहीं कह रहे कि फिल्म बेकार है बस यही बताना चाहते हैं कि Jawan एक ऐसी फिल्म है जो हॉलीवुड से इंस्पायर्ड होते-होते एक टॉलीवूड फिल्म है जो बॉलीवुड वाली फीलिंग देती है. कन्फ्यूज हो गए ना? हम भी फिल्म देखकर हुए थे.
जवान मूवी रिव्यू
फिल्म के SRK का डबल रोल है. पिता वाले किरदार का नाम ‘विक्रम राठौड़’ है और बेटे का ‘आजाद’ विक्रम राठौड़ का बैकग्राउंड ऐसा है कि उसने देश के लिए सब किया लेकिन उसको वो इज्जत-सम्मान नहीं मिला जिसका को हक़दार था, इसी लिए वो फिर से खुद को साबित करना चाहता है लेकिन इस बार उसका तरीका थोड़ा अलग है. वहीं ‘आजाद’ एक पुलिस अफसर है जो बिलकुल अपने पिता पर गया है. शुरू के लेकर अंत तक दोनों एक दूसरे के दुश्मन रहते हैं फिर एक दूसरे को पहचान जाते हैं और दोनों मेन विलन से लड़ने लगते हैं.
क्योंकि फिल्म Atlee Kumar ने बनाई है इसी लिए उन्होंने Hollywood की फिल्मों से कांसेप्ट कॉपी करने का काम किया है जो पकड़ में आ जाता है. फिल्म में कुछ ऐसे लड़ाकू लोग हैं जो ‘गार्डियंस ऑफ द गैलेक्सी’ के कैरेक्टर्स’ जैसे दिखाई देते हैं.
इस फिल्म में सामाजिक मुद्दों को उठाया गया है लेकिन सिर्फ उठाया गया उसके आगे कुछ हुआ नहीं। ऐसा लगता है कि जानबूझकर दर्शकों को थोड़ा गिल्ट देने के लिए ऐसा किया गया है. जैसे आत्महत्या. बच्चों की जान का खतरा. प्रेग्नेंट महिलाएं. अल्पसंख्यक लोग. भ्रष्टाचार. चुनावों की रिगिंग को छेड़ा गया है लेकिन ये सिर्फ सिनेमैटिक टूल्स की तरह इस्तेमाल हुए हैं.
ये महिला केंद्रित फिल्म नहीं है
ट्रेलर देखकर लगा था कि SRK की सेना में तो 6 महिलाएं हैं यानी इसमें उन्हें भी कुछ इम्पोर्टेंस दी गई होगी। लेकिन इन बेचारी एक्ट्रेसस को ठीक से डायलॉग भी नहीं बोलने दिए गए हैं. हां नयनतारा को ठीक-ठाक फुटेज मिला है क्योंकी वो फिल्म की लीड हीरोइन हैं.
जवान में अगर मुझे पर्सनली कोई अच्छा लगा तो वो है विजय सेतुपति का किरदार क्योंकि वो वाकई अव्वल दर्जे के एक्टर हैं. लेकिन उनके कैरेक्टर को भी खुलकर सामने आने नहीं दिया गया. एक पल ऐसा भी आता है जब फिल्म की कहानी अपनी लीग से हट जाती है, ऐसा-ऐसा सीन देखने को मिलता है जैसे Race 3 में देखने को मिला था.
जवान देखने लायक है या नहीं
आप SRK के डाई हार्ड फैन हैं तो जाइये, टाइम पास करना है तो भी जा सकते हैं. लेकिन आप अच्छा सिनेमा पसंद करने वालों में से है तो आपको इसपर विचार करने की जरूरत है. हां लेकिन ऐसा नहीं है कि फिल्म ही बुरी है, जैसा की मैंने पहले बताया ये एक मसाला एंटरटेनर है जिसमे बीच सीन में कभी भी नाच-गाना शुरू हो जाता है. हो गया लेकिन जाइये देख आइये फिल्म देखने लायक है और सबसे ज्यादा मजेदार है थिएटर्स का माहौल जो आपको ज्यादा एंटरटेन कर देगा।