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जयशंकर-रुबीओ की मुलाकात भारत के लिए कितनी फायदेमंद?

How beneficial is the Jaishankar Rubio meeting for India: विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबीओ (S Jaishankar Marco Rubio Meeting) की न्यूयॉर्क में हुई मुलाकात ने भारत-अमेरिका संबंधों (India-US Relations) को नई गति दी है। 80वें संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) सेशन के साइडलाइन्स पर हुई इस एक घंटे की बातचीत में टैरिफ्स, H-1B वीजा (H-1B Visa) और ट्रेड डील्स जैसे हॉट टॉपिक्स पर फोकस रहा। हाल ही में ट्रंप के $100,000 (₹88 लाख) H-1B फीस ऐलान के बीच ये मीटिंग इसलिए भी अहम थी। दोनों नेताओं ने सहमति जताई कि प्रायोरिटी एरियाज में प्रोग्रेस के लिए ‘कंटीन्यूअस कॉन्टैक्ट’ जरूरी है। लेकिन क्या कोई ठोस एग्रीमेंट बनी?

22 सितंबर को न्यूयॉर्क में हुई इस मीटिंग ट्रंप-मोदी की 16 सितंबर की फोन कॉल के बाद आई, जहां ट्रेड और अन्य इश्यूज पर बात हुई थी। जयशंकर ने X पर पोस्ट किया।

आज सुबह न्यूयॉर्क में @SecRubio से मिलकर खुशी हुई। हमारी बातचीत में वर्तमान चिंता के कई द्विपक्षीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा हुई। प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में प्रगति के लिए निरंतर सहयोग के महत्व पर सहमति हुई। हम संपर्क में बने रहेंगे।

यह मीटिंग पॉजिटिव बताई गई, लेकिन H-1B फीस और टैरिफ्स जैसे विवादास्पद मुद्दों पर कोई फाइनल सॉल्यूशन नहीं निकला।

रिफ्स, H-1B वीजा और ट्रेड डील्स पर क्या चर्चा?

एस जयशंकर और मार्क रुबीओ के बीच क्या सहमति बनी?

मीटिंग में कोई बाइंडिंग एग्रीमेंट नहीं बनी, लेकिन मुख्य सहमति ये थी कि प्रायोरिटी एरियाज जैसे ट्रेड, एनर्जी , फार्मास्यूटिकल्स और क्रिटिकल मिनरल्स में प्रोग्रेस के लिए रेगुलर कॉन्टैक्ट जारी रखा जाएगा। दोनों ने QUAD के जरिए इंडो-पैसिफिक रीजन को फ्री एंड ओपन रखने पर भी सहमति जताई। जयशंकर ने कहा कि ये कन्वर्सेशन बाइलेटरल और इंटरनेशनल इश्यूज को कवर करता है। रुबीओ ने क्वाड कोलैबोरेशन को रीअफर्म किया। कुल मिलाकर, ये मीटिंग डिप्लोमेटिक ब्रिज बिल्डिंग का स्टेप थी, जो टेंशन्स को कम करने की दिशा में सकारात्मक सिग्नल देती है।

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