Jaishankar Met Putin : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को रूस में बैठकर अमेरिका को खूब सुनाया है। जयशंकर ने कहा है कि भारत रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं है और इस बात पर वे अमेरिका के तर्कों से हैरान हैं। उन्होंने कहा कि पहले खुद अमेरिकियों ने ज्यादा तेल खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया और अब खुद ही ऐसे तर्क दे रहे हैं। यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत पर रूस से तेल खरीदने का दबाव डाल रहे हैं।
भारत नहीं है रूस का बड़ा तेल खरीददार
मॉस्को में अपने रूसी साथी सर्गेई लावरोव के साथ बातचीत के बाद जयशंकर ने अमेरिका को साफ संदेश देते हुए कहा, “हम रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार नहीं हैं। चीन है। हम रूस से सबसे ज्यादा एलएनजी खरीदने वाले देश भी नहीं हैं। इस मामले में यूरोपीय संघ सबसे आगे है। 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी भी भारत की नहीं हुई है, बल्कि दूसरे देशों की हुई है।”
अमेरिका ने कहा था- रूस से तेल खरीदो
विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा कि अमेरिका ने ही पिछले कुछ वर्षों से भारत को ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए प्रोत्साहित किया था, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल था। उन्होंने कहा, “हमसे ही अमेरिकी पिछले कुछ सालों से कह रहे हैं कि हमें विश्व ऊर्जा बाजार को स्थिर रखने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए, जिसमें रूस से तेल खरीदना भी शामिल है। हम अमेरिका से भी तेल खरीदते हैं और वह मात्रा भी बढ़ी है। ऐसे में हमें समझ नहीं आता कि यह तर्क क्यों दिया जा रहा है।”
ट्रंप ने रूस से तेल नहीं खरीदने की धमकी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत पर रूस से तेल खरीद जारी रखने पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। उनका आरोप है कि भारत की यह खरीदारी रूस को यूक्रेन युद्ध में ताकत दे रही है। हालांकि अमेरिकी दबाव के बीच भारत और रूस ने अपने पुराने रिश्तों पर भरोसा जताया। जयशंकर ने कहा, “दूसरे विश्व युद्ध के बाद से भारत-रूस के संबंध सबसे मजबूत बड़े संबंधों में रहे हैं।”
रूस की सेना में काम कर रहें भारतीय पर बात की
जयशंकर ने रूस की सेना में काम कर रहे भारतीयों का भी मुद्दा उठाया और जल्दी से मामलों को सुलझाने की बात कही। जयशंकर ने कहा, “मैंने रूस की सेना में काम कर रहे भारतीयों का मुद्दा उठाया। कई लोग छोड़ दिए गए हैं, लेकिन कुछ मामले अभी भी लंबित हैं और कुछ लोग लापता भी हैं। हमें उम्मीद है कि रूस इन मामलों का जल्दी समाधान करेगा।”
रूस और यूक्रेन युद्ध पर भारत का क्या है रुख
दोनों देशों ने भारत के एक्सपोर्ट को बढ़ाने और गैर-शुल्की बाधाओं को हटाने पर सहमति दी। जयशंकर ने कहा कि खेती, दवाइयां और कपड़े जैसे क्षेत्रों में एक्सपोर्ट बढ़ाकर भारत व्यापार में सुधार कर सकता है। यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत ने फिर से अपनी सोच बताई। जयशंकर ने कहा, “हमने क्षेत्रीय मुद्दों पर यूक्रेन, पश्चिम एशिया, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान पर बात की। भारत का नजरिया यही है कि मतभेदों को सुलझाने के लिए बातचीत और समझदारी जरूरी है।”