Jagannath Rath Yatra : मजार के सामने क्यों रुकती है जगन्नाथ रथ यात्रा, मुस्लिम भक्त से जुड़ी है परंपरा

Jagannath Rath Yatra : पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान कृष्ण, बलभद्र और सुभद्रा की महायात्रा है, जो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा एक साथ सवार होते हैं। यह रथ एक खास जगह के जाकर सामने रुक जाता हैं। क्या आप जानते हैं कि आखिर रथ यात्रा किस स्थान पर और क्यों रुक जाती है। 

मुस्लिम भक्त से जुड़ी है जगन्नाथ रथ यात्रा 

पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एकता और भक्ति का भी प्रतीक है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने-अपने रथ पर सवार होकर शहर का भ्रमण करते हैं। इसी दौरान तीनों रथ एक खास जगह के सामने रुक जाते हैं। वह जगह है जगन्नाथ भगवान के एक मुस्लिम भक्त, सालबेग की मजार। इस परंपरा के पीछे एक पुरानी कहानी भी है, जिसे जानना जरूरी है। तो चलिए, विस्तार से जानते हैं।

मजार के सामने क्यों रुक जाती है रथ यात्रा | Jagannath Rath Yatra story

पुरी के जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर करीब 200 मीटर दूर ये रथ रुकते हैं। कुछ देर वहीं ठहरने के बाद ये दोबारा आगे बढ़ते हैं। मान्यताओं के अनुसार, सालबेग एक मुग़ल सूबेदार का बेटा था। एक बार वह पुरी आया और भगवान जगन्नाथ की महिमा सुनी। उससे जाना कि भगवान की भक्ति में उसकी भी दिलचस्पी हो गई। लेकिन, मुस्लिम होने की वजह से उसे मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं मिली। फिर भी, उसने भगवान की भक्ति में कोई कमी नहीं छोड़ी। वह भजन-कीर्तन करता रहा।

भक्त सालबेग का इंतजार करते हैं भगवान जगन्नाथ 

कहते हैं कि एक बार सालबेग बीमार हो गया। उसने भगवान जगन्नाथ से प्रार्थना की कि वह जल्दी ठीक हो जाए और रथ यात्रा में शामिल हो सके। जब भगवान की रथ यात्रा शुरू हुई, तो वह मंदिर नहीं पहुंच पाया। इस दौरान, भगवान का रथ अचानक उसके घर के सामने रुक गया। रथ वहीं टिक गया, और कोई भी उसे हिला नहीं पाया। यह देखकर सब बहुत हैरान रह गए। तब मंदिर के मुख्य पुजारी को एक सपना आया, जिसमें भगवान जगन्नाथ ने कहा कि वे अपने भक्त सालबेग का इंतजार कर रहे हैं।

भगवान का रथ सात दिनों तक वहीं रुका रहा

मान्यताओं के अनुसार, भगवान जगन्नाथ का रथ वहीं सात दिनों तक रुका रहा। उस दौरान सारे पूजा-पाठ, अनुष्ठान वहीं रथ पर ही पूरे किए गए। जब सालबेग ठीक हो गया, तब जाकर रथ आगे बढ़ पाया। उसकी भक्ति और श्रद्धा को सम्मान देने के लिए ही हर साल रथ यात्रा के दौरान भगवान के रथ सालबेग की मजार के सामने रुकते हैं। यह परंपरा सदियों से चलती आ रही है।

सालों से निभाई जा रहीं है ये परंपरा | Jagannath Rath Yatra

यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि भगवान सबके प्रेम और भक्ति को देखते हैं। सालबेग की भक्ति को सम्मान देने के लिए हर साल रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, उनके भाई और बहन के रथ मजार के सामने थोड़ी देर रुकते हैं। यह दिखाता है कि भगवान की कृपा और प्यार सभी के लिए समान है।

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