ITR New Update 2025: हर साल लाखों भारतीय करदाता निर्धारित समय सीमा पर अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर लेते हैं। हालांकि इस प्रक्रिया में कई बार जटिल शर्तें तकनीकी समस्या या दस्तावेजों के संकलन में देरी की वजह से करदाताओं को कई प्रकार की परेशानी झेलनी पड़ती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए वित्त वर्ष 24-25 हेतु आयकर विभाग ने ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई से बढ़कर 15 दिसंबर 2025 कर दी है।

जी हां, यह नई खबर उन करदाताओं के लिए बहुत बड़ी राहत की खबर बन चुकी है जो कर का संकलन करने में अभी भी पीछे चल रहे हैं। ऐसे में करदाता अब 15 सितंबर 2025 (ITR last date 15 september 2025) तक करो का भुगतान कर सकेंगे जिसके चलते हुए वे अपनी सुविधा अनुसार सारी जटिल प्रक्रियाओं को पूरा कर दस्तावेज इकट्ठा कर सावधानी से कर का भुगतान कर सकते हैं। यह इनकम टैक्स विभाग द्वारा उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे टैक्स पेयर्स को भी समीक्षा करने का मौका मिल रहा है और रिफंड पर अधिक ब्याज प्राप्त करने का अवसर भी मिल रहा है।
क्यों बढ़ाई गई ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि(income tax filing last date)
ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाने के कुछ विशिष्ट कारण सामने आ रहे हैं जैसे की आइटीआर फॉर्म में रचनात्मक बदलाव किए गए हैं जिसकी वजह से करदाताओं को शुरुआती दौर में कुछ परेशानी हो सकती है हालांकि यह संशोधन पारदर्शिता बढ़ाने और बेहतर रिपोर्टिंग सुनिश्चित करते हैं परंतु इन फॉर्म्स को समझने में करदाताओं को अतिरिक्त समय लग रहा है। वहीं इसके साथ ही टीडीएस क्रेडिट प्रबंध में इस वर्ष थोड़ी सी देरी होने वाली है ऐसे में करदाताओं को अतिरिक्त समयावधि उपलब्ध कराई जा रही है।
तिथि आगे बढ़ने पर करदाताओं को क्या लाभ होगा(benefits of ITR extension)
आईटीआर फाइल करने की तिथि आगे बढ़ाने की वजह से करदाताओं को अंतिम तिथि पर ब्याज अधिक प्राप्त होगा अर्थात विस्तार होने की वजह से करदाताओं को लगभग 33% ज्यादा ब्याज मिल सकता है ।वही रिटर्न दाखिल करने के लिए अब करदाताओं को ज्यादा समय मिलेगा जिसमें वह आराम से दस्तावेजों की समीक्षा कर सकते हैं जरूरी जानकारी इकट्ठा कर सकते हैं और सटीक रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
ITR ने जारी की करदाताओं के लिए विशेष सूचना
जैसा कि हमने बताया इनकम टैक्स विभाग ने कर भुगतान करने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ा दिया है परंतु यदि कोई करदाता 31 जुलाई 2025 तक इस कर का भुगतान नहीं करता तो उन्हें इनकम टैक्स एक्ट 234A और 234B के अंतर्गत अतिरिक्त ब्याज देना होगा।