बुरा नहीं ‘सॉरी’ कहना, बन सकती है बिगड़ी बात

Sorry Saying Benefits

Sorry Saying Benefits : किसी ने बहुत खुब कहा है…..कि कुछ इस तरह से मैं ने अपनी जिंदगी को कुछ आसान कर लिया, किसी से मांफी मांग ली तो किसी को मांफ कर दिया….इन पंक्तियों का आसय, समझना बेहद ही आसान है कि हम सब कभी न कभी ऐसी स्थिति में आते हैं जब हमारी किसी बात या व्यवहार से सामने वाला आहत,हर्ट,दुखी या परेशान हो जाता है।

भले ही इरादा वैसा न रहा हो कि किसी का दिल दुखे। ऐसे में एक छोटा सा शब्द…सॉरी”…जो कई बड़ी गलतफहमियों और टूटते रिश्तों को बचा सकता है। माफी मांगना कमजोरी नहीं, बल्कि समझदारी और भावनात्मक परिपक्वता की निशानी भी है।

आज इस लेख में कुछ ऐसे ही बिंदु प्रस्तुत हैं जिन्हें कोई भी फॉलो कर अपनी जिंदगी को जहां आसान कर सकता है वहीं अपने जीवन के महत्वपूर्ण रिश्ते भी टूटने से बचा सकता है। तो आज इस लेख में मांफी या सॉरी शब्द की अहमियत और खासियत पर कुछ बातें करते हैं।

जानिए क्या है मांफी या सॉरी शब्द की ताक़त

“सॉरी” हो या कहें मांफी,एक ऐसा शब्द है जो दिलों में किसी भी कारण आई दरारें जहां भर देता है वहीं दीवारें गिरा सकता है। जब आप गलती मानते हैं तो सामने वाला व्यक्ति सम्मानित और समझा और सुलझा हुआ महसूस करता है। ये भाव, रिश्तों में पारदर्शिता और विश्वास के साथ प्रेम को भी बढ़ावा देता है।

आत्मस्वीकृति के आगे अहंकार बहुत छोटा है

अक्सर लोग माफी मांगने से इसलिए हिचकिचाते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी ‘इमेज’ कमजोर पड़ेगी। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है, उल्टे मांफी मांगने वाला जहां दूसरे की नज़र में खुद को बड़ा बना देता है वहीं अपने आप में आत्मविश्वास से लबरेज हो उठता है। असल में माफी मांगना आपके आत्मबल और आत्मविश्लेषण की ताकत को दर्शाता है।

सेहत पर भी पड़ता है अच्छे और बुरे भावों का असर

इस बात को तब महसूस कीजिए जब आपने किसी की छोटी सी गलती पर बड़ी बात कह कर उसका दिल दुखाया हो या किसी से अनबन होने पर मन में गुस्सा, ग्लानि या बेचैनी होती है तो क्यों ? जरूर एक बोझ सा महसूस हुआ होगा,तब मांफी, मांगने से यही बोझ हल्का हो जाता है और अशांत मन को शांति मिलती है। इसलिए जब भी ऐसी परिस्थिति से आप गुज़रें तो मांफी मांगने से ज़रा भी गुरेज न करें क्योंकि ये आपके मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभदायक है।

खुद को मजबूत बनाएं और खुद उदाहरण बनें

यदि आप माता-पिता, शिक्षक, या टीम लीडर हैं, तो दूसरों से माफी मांगना आपके अनुयायियों को एक सशक्त उदाहरण दे सकता है। यह दिखाता है कि गलतियां मानव स्वभाव का हिस्सा हैं लेकिन उन्हें स्वीकारना, हमें समृद्ध बनाता है इसलिए कभी भी सॉरी कहना पड़े तो हिचकिचाएं नहीं,ये सही है ऐसा माने और सही राह पर कदम आगे बढाएं।

कैसे कहें सॉरी, कहने की क्या होनी चाहिए टाइमिंग

  • दिल से कहें, औपचारिकता से नहीं।
  • गलती को स्पष्ट रूप से स्वीकारें बनावटी नहीं।
  • अब नहीं होगा,ये कहकर,सुधार की इच्छा ज़ाहिर करें।
  • सही समय पर कहें या देर से कहे गए
  • लेकिन “सॉरी” का असर कभी कम नहीं हो सकता है।

विशेष :- “सॉरी” कहना कोई बुरी या कमतर बात नहीं, बल्कि ये तो रिश्तों को बचाने की एक सुनहरी कुंजी है। इसलिए अहंकार को त्याग कर, भावनाओं को समझ कर समय रहते मांफी मांगकर हम न केवल दूसरों का दिल जीत सकते हैं बल्कि स्वयं को भी एक बेहतर इंसान बना सकते हैं।

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