ISRO का पहला Solar Mission, Aditya L1 लॉन्च! 4 महीने में 15 लाख किमी दूर लैगरेंज पॉइंट पर पहुंचेगा

ADITYA L1

ISRO ने अपना Aditya L1 लॉन्च कर दिया है, Chandrayaan-3 की सफलता के बाद अब भारत सूर्य पर शोध करेगा

Aditya L1 Mission Launch: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अब सौरमंडल के केंद्र यानी सूर्य पर शोध करेगा। ISRO ने शनिवार 2 सिंतबर को सुबह 11:50 बजे अपना पहला सोलर मिशन Aditya L1 को लॉन्च कर दिया। Aditya L1 को PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया। PSLV चार स्टेज वाला रॉकेट है।

लॉन्चिंग से कंट्रोल रूम में बैठे इसरो के वैज्ञानिक

Aditya L1 PSLV-C57 (XL) रॉकेट 235 x 19500 Km की ऑर्बिट में छोड़ेगा। इसमें 63 मिनट 19 सेकेंड का समय लगेगा। ये स्पेसक्राफ्ट करीब 4 महीने बाद लैगरेंज पॉइंट-1 (L1 Point) तक पहुंचेगा। इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता, जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है। ​इस मिशन की अनुमानित लागत 378 करोड़ रुपए है।

L1 तक पहुंचने में 4 महीने लगेंगे

सूर्य और पृथ्वी के बीच की दूरी 15 करोड़ किमी है और Aditya L1 इस दूरी के 1% यानी सिर्फ 15 लाख किमी दूर जाकर सूर्य की स्टडी करेगा। इसी पॉइंट को लैगरेंज पॉइंट 1 यानि L1 कहते हैं. लैगरेंज पॉइंट का नाम इटालियन -फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी लुई लैगरेंज (Josephine louis lagrange) के नाम पर रखा गया है। इसे बोलचाल में L1 नाम से जाना जाता है। ऐसे पांच पॉइंट धरती और सूर्य के बीच हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स (Centrifugal Force) बन जाता है।

Aditya L1 Mission क्यों जरूरी है

सूर्य हमारे सौरमंडल का केंद्र है, पृथ्वी के जीवन है इसका एक प्रमुख कारण सूर्य भी है. और हो सकता है कि आगे जाकर सूर्य ही विनाश का कारण भी बने. Aditya L1, अपने लैग्रेंजियन पॉइंट में रहकर सूर्य में उठने वाले सोलर तूफानों (Solar Storms) की स्टडी करेगा। यह लैग्रेंजियन पॉइंट के चारों ओर की कक्षा, फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर के अलावा सबसे बाहरी परत कोरोना की अलग-अलग वेब बैंड्स से 7 इक्विपमेंट्स के जरिए टेस्टिंग करेगा।

Aditya L1 के  सात इक्विपमेंट्स कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं, पार्टिकल्स के मूवमेंट और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे। आदित्य L-1 Solar Corona और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा।

Aditya L1 में ISRO ने 7 पेलोड फिट किए हैं

ISRO के वैज्ञानिकों ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर में आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट के इंटरनल चेक्स पूरे किए।
  • विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC): ये इक्विपमेंट सोलर कोरोना और कोरोनल मास इजेक्शन के डायनेमिक का अध्ययन करेगा।
  • सोलर अल्ट्रा-वॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT): ये इक्विपमेंट अल्ट्रा वॉयलेट वेवलेंथ के करीब सोलर फोटोस्फियर और क्रोमोस्फियर की तस्वीरें लेगा और सोलर इरेडिएंस (सूर्य से पृथ्वी तक आने वाली लाइट एनर्जी) में बदलावों का अध्ययन करेगा।
  • आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (ASPEX): और प्लाजमा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (PAPA): ये दोनों इक्विपमेंट सोलर विंड (सूर्य के चारों और उठने वाली सौर आंधी) और एनर्जी पार्टिकल्स की स्टडी करेंगे। ये पेलोड इन पार्टिकल्स की एनर्जी डिस्ट्रीब्यूशन का भी अध्ययन करेंगे।
  • सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्टोमीटर (SoLEXS) और हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्टोमीटर (HEL1OS): ये दोनों विस्तृत एक्स-रे एजर्नी रेंज से सूर्य के एक्स-रे फ्लेयर्स की स्टडी करेंगे।
  • मैग्नेटोमीटर इक्विपमेंट: ये L1 पॉइंट पर ग्रहों के बीच की मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेगा।

Aditya L1 पूरी तरह स्वदेशी

ISRO के लिए सबसे बड़ी बात ये है कि आदित्य एल1 पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे बनाने में भारतीय संस्थानों की अहम भूमिका है. बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स (IIA) विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसके पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर-यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है।

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