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Chandrayaan-5| ISRO| अंतरिक्ष में फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार इसरो, सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को दी मंजूरी

Chandrayaan-5 Mission News In Hindi: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन अर्थात ISRO, अंतरिक्ष में फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार है, क्योंकि केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दी है। इस बात की जानकारी खुद इसरो के चीफ वी. नारायण स्वामी ने दी है। दरसल भारतीय अंतरिक्ष संगठन के बेंगलुरू मुख्यालय में उन्होंने कल रविवार को देशवासियों को यह खुशखबरी देते हुए बताया कि केंद्र सरकार ने चंद्रमा के अध्ययन करने के लिए महत्वकांक्षी मिशन चंद्रयान-5 के लिए मंजूरी दे है। यह कार्यक्रम उनके कार्यभार संभालने पर उनको सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया था। गौरतलब है कि वी नारायणन ने इसी वर्ष 14 जनवरी को 11वें इसरो चीफ के तौर पर पदभार संभाला है।

क्या कहा इसरो चीफ ने

नारायणन ने जानकारी देते हुए बताया- बस तीन दिन पहले ही केंद्र सरकार ने चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी दी है, हम इसे जापान के सहयोग से पूरा करेंगे, चंद्रयान-5 मिशन के तहत चंद्रमा के सतह के अध्ययन के लिए 250 किलोग्राम का रोवर भेजा जाएगा, जबकि चंद्रयान-3 मिशन में 25 किलोग्राम का रोवर प्रज्ञान ले गया था। संभावना है चंद्रयान-4 मिशन 2040 तक सफलतापूर्वक लांच किया जा सकता है।

क्या है चंद्रयान मिशन

चंद्रयान मिशन का प्रारंभ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा प्रारंभ किया जाता था, जिसका प्रमुख उद्देश्य चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना तथा वहाँ पानी तथा हीलियम की तलाश करना था। चंद्रयान-1 को अक्टूबर 2008 में लॉन्च किया गया था, जबकि चंद्रयान-2 को 2019 और चंद्रयान-3 को 14 जुलाई 2023 में लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-4 संभवतः 2027 में लॉन्च किया जाएगा।

इसरो ने 32-माइक्रोप्रोसेसर किया विकसित

जहाँ एक तरफ इसरो अंतरिक्ष में नई उड़ान भरने की तैयारी कर रहा है, वहीं दूसरी तरफ उसने सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला के संयुक्त तत्वाधान में, अंतरिक्ष प्रयोगों के लिए 32- बिट माइक्रोप्रोसेसर विकसित किए हैं। इन प्रोसेसर्स के नाम विक्रम 3201 और कल्पना 3201 रखे गए हैं। भारतीय अंतरिक्ष केंद्र ने बताया कि विक्रम 3201 भारत में पूर्णतः निर्मित माइक्रोप्रोसेसर है, जो प्रक्षेपण यानों की कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियों के लिए उपयोगी है। ये प्रोसेसर स्वदेशी रूप से डिजाइन किए गए हैं, और पूर्णतः ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत इनका निर्माण किया गया था।

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