बांग्लादेश की अदालत ने इस्कॉन संगठन (ISKCON Bangladesh ) को बैन करने की याचिका को ख़ारिज कर दिया है. बांग्लादेश की मोहम्मद युनुस सरकार (Muhammad Yunus ) ने कोर्ट में इस्कॉन को आतंकवादी संगठन करार देते हुए इसे प्रतिबंधित करने की याचिका लगाई थी. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने कहा है कि इस्कॉन की गतिविधियों के खिलाफ हमने जरूरी कदम उठाए हैं , यह मुद्दा सरकार की प्राथमिकता है.
यूनुस सरकार ने इस्कॉन मामले में 3 केस दर्ज किए हैं और अबतक इस्कॉन से जुड़े 33 लोगों को गिरफ्तार किया है वहीं पुलिस और सेना को इस्कॉन की गतिविधियों को रोकने के लिए तैनात किया है. सुनवाई के दौरान सरकार के वकील ने कहा कि बांग्लादेश में इस्कॉन को बैन करने का यह सही समय है.
इस पर कोर्ट ने कहा कि यह सरकार तय करेगी। दरअसल, इस्कॉन मंदिर के प्रमुख चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की राजद्रोह में गिरफ्तारी के बाद वहां संगठन को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। दास को जेल भेजे जाने के बाद बांग्लादेश में कई जगहों पर हिंसा हुई है। साथ ही इससे बांग्लादेश और भारत सरकार के रिश्तों में भी दरार आई है।
याचिका में इस्कॉन पर बैन लगाने की हुई थी मांग
चटगांव में 26 नवंबर को इस्कॉन प्रमुख की जमानत नामंजूर हो गई थी, जिसके बाद हुई हिंसा में एक वकील सैफुल इस्लाम (Saiful Islam) की जान चली गई थी। इसके बाद 27 नवंबर को बांग्लादेश हाईकोर्ट में इस्कॉन पर बैन (ISKCON Ban) की मांग पर बांग्लादेश कोर्ट ने क्या कहा ? लगाने की मांग को लेकर एक याचिका दायर की गई थी।
याचिका दायर करने वाले वकील ने कोर्ट में कहा था कि सैफुल की मौत के पीछे इस्कॉन के लोग शामिल हैं। ऐसे में इस संस्था को बैन किया जाए। इस अर्जी में चटगांव में इमरजेंसी घोषित करने की भी मांग की गई थी। इस याचिका पर बांग्लादेश के अटॉर्नी जनरल मुहम्मद असदुज्जमां (Attorney General of Bangladesh Muhammad Asaduzzaman) ने इस्कॉन को एक धार्मिक कट्टरपंथी संगठन बताया था।
हिंदुओं की रक्षा के लिए बनाया बांग्लादेश सनातन जागरण मंच
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी (Chinmoy Krishna Das Brahmachari) का असली नाम चंदन कुमार धर (Chandan Kumar Dhar) है। वे चटगांव ISKCON के प्रमुख हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा (Bangladesh Violence ) के बीच 5 अगस्त 2024 को PM शेख हसीना (Sheikh Hasina) ने देश छोड़ दिया था। इसके बाद बड़े पैमाने पर हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं हुईं।
इसके बाद बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ। चिन्मय प्रभु इसके प्रवक्ता बने। सनातन जागरण मंच के जरिए चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया। इसमें हजारों लोग शामिल हुए।
क्यों गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु?
25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच (Sanatan Jagran Manch) ने 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इसमें चिन्मय कृष्ण दास ने भाषण दिया था। इस दौरान न्यू मार्केट चौक पर कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर ‘आमी सनातनी’ लिखा हुआ था।
रैली के बाद 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया ( Begum Khaleda Zia) की BNP पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय कृष्ण दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह का केस दर्ज कराया था। उन पर राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप है।
कैसे गिरफ्तार हुए चिन्मय प्रभु? बांग्लादेश पुलिस ने सोमवार को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी (Chinmoy Krishna Das Brahmachari) को गिरफ्तार किया गया। वे चटगांव जा रहे थे। मौके पर मौजूद इस्कॉन के सदस्यों ने कहा कि डीबी पुलिस ने कोई गिरफ्तारी वारंट नहीं दिखाया। उन्होंने बस इतना कहा कि वे बात करना चाहते हैं। इसके बाद वो उन्हें बस में बैठाकर ले गए।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने कहा कि पुलिस के अनुरोध के बाद चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया। चिन्मय दास को कानूनी प्रक्रिया के लिए संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया जाएगा।