मालदीव में तेजी से पैर जमा रहा ISIS, क्या आतंकवाद का गढ़ बन रहा है ये द्वीप-देश?

MALDIVE-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मालदीव के नेताओं द्वारा की गई विवादित टिप्पणी के बाद से BoycottMaldives ट्रेंड कर रहा है. बहुत सारे लोग मालदीव का जाने की प्लान कैंसिल कर चुके हैं. इस देश से जुड़ी कई बातें भी सामने आ रही हैं. पर-कैपिटा के हिसाब से सबसे ज्यादा ISIS जॉइन करने वाले लोग मालदीव के ही हैं. अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट की मानें तो वहां के एक शहर में इस्लामिक स्टेट का सेल भी है.

प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर मालदीव की सरकार ने अपने तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया है. इसके बाद भी भारतीयों का गुस्सा शांत नहीं हुआ है. इस बीच डैमेज कंट्रोल की कोशिश करते हुए वहां की सरकार दोनों देशों की दोस्ती का हवाला दे रही है. ये सब इसलिए किया जा रहा है क्योंकि मालदीव की इकोनॉमी काफी हद तक भारतीय टूरिस्ट्स पर निर्भर करती है. हर साल लाखों भारतीय छुट्टियां मनाने वहां जाते हैं.

कभी बौद्ध आबादी थी मालदीव में

अमेरिका ने कहा कि ये हद से ज्यादा चरमपंथी देश है. जिसके लोगों का रवैया आतंकवादियों के लिए नरम रहा. काफी हद तक ये सही भी है. कभी बौद्ध आबादी वाला ये देश तेजी से मुस्लिम आबादी में बदल गया. अब हालत ये हैं कि यहां गैर-मुस्लिमों को नागरिकता नहीं मिलती है. कई इतिहासकार बताते हैं कि मालदीव के शासक भारत के चोल साम्राज्य से थे.

कैसा है मालदीव का धार्मिक माहौल

हिंद महासागर (Indian Ocean) में स्थित इस द्वीप देश में 98% मुस्लिम जनसंख्या है. बाकी 2% अन्य धर्म हैं. लेकिन उन्हें अपने धार्मिक प्रतीकों को मानने या पब्लिक में त्यौहार मनाने की छूट नहीं है. यहां तक कि अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तो उसे पहले मुस्लिम ( वो भी सुन्नी मुस्लिम ) बनना पड़ेगा। मिनिस्ट्री ऑफ़ इस्लामिक अफेयर्स (MFA) यहां धार्मिक मामलों में नियंत्रण करती है.

खुलकर नहीं जीते अन्य धर्म के लोग

वैसे तो ये पर्यटन का देश है, लेकिन टूरिस्ट्स को भी यहां अपने धर्म की प्रैक्टिस पर मनाही है. वे सार्वजनिक जगहों पर पूजा-पाठ नहीं कर सकते हैं. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ स्टेट ने साल 2022 में मालदीव में रिलीजियस फ्रीडम पर एक रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया कि वहां के द्वीप पर भगवान की मूर्तियां स्थापित करने के जुर्म में तीन भारतीय पर्यटकों को गिरफ्तार कर लिया गया था. देश में लगभग 29 हजार भारतीय रह रहे हैं, लेकिन या तो वे इस्लाम अपना चुके हैं या फिर अपना आधिकारिक धर्म छिपाते हैं.

धर्म परिवर्तन पर मिलती है सजा

मालदीव में कट्टरपंथ इतना ज्यादा है कि वहां धर्म परिवर्तन की इजाजत नहीं है. कोई भी मुस्लिम नागरिक अपनी मर्जी से दूसरा धर्म नहीं अपना सकता है. मिनिस्ट्री ऑफ़ इस्लामिक अफेयर्स के तहत इस पर कड़ी सजा मिल सकती है. यूएस स्टेट डिपार्टमेंट की रिपोर्ट यह तक कहती है कि धर्म परिवर्तन पर शरिया कानून के तहत मौत की सजा भी मिलती है. हालांकि मालदीव सरकार भी इस पर खुल कर कोई बात की.

ISIS से क्या संबंध है?

द्वीप समूह वाले इस देश के बारे में माना जाता है कि यहां पर कैपिटा आबादी पर सबसे ज्यादा युवा इस्लामिक स्टेट के लिए लड़ने गए. यूएस डिपार्टमेंट ऑफ़ ट्रेजरी के मुताबिक साल 2014 से लेकर 2018 की शुरुआत तक यहां से ढाई सौ से ज्यादा लोग ISIS में भर्ती होने के लिए सीरिया चले गए. ये जनसंख्या क हिसाब से दुनिया में सबसे ज्यादा है. इनमें से कई लोग मारे गए, जबकि ज्यादातर मालदीवियन महिलाएं नॉर्थ ईस्ट सीरिया के कैंपों में हैं.

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