Time Excuse : हम अक्सर कुछ काम टालते जाते हैं ये सोचकर की सही समय पर करेंगे पर क्या सही समय कभी आता है? आइये आज इसी सवाल का जवाब ढूंढते हैं। हम ये तो सोच लेते हैं कि फलाँ काम का ये सही समय नहीं है पर क्या वो काम करने का सही समय कब आएगा ये भी जानते हैं ! टाल भी रहे हैं तो क्यों और आखिर वो काम कब तक टाला जा सकता है क्या ये भी जानते हैं हम ! शायद नहीं लेकिन अगर उस काम को करने की मियाद को हम तय करें तो शायद उससे जुड़े कई पहलुओं पर भी नज़र डाल पाएंगे ,जैसे – ये काम करना है तो कैसे करें कब करें टालें तो कब तक टालें वगैरह वगैरह।
काम के महत्व को समझें :-
यही सोचते-सोचते ,कभी-कभी बहोत देर भी हो जाती है कि अभी इस काम को करने का समय नहीं आया और उस काम को करने का वो वक़्त निकल जाता है जिसकी हम राह देख रहे थे , फिर या तो वो काम हो नहीं पाता या होता है तो उस तरह से नहीं होता जैसा हमने सोचा था। इसके बाद सिर्फ पछतावा ही हमारे हाँथ लगता है ,इसलिए ज़रा ये समझना ज़रूरी है कि जिस काम को हम टाल रहे हैं वो हमारे लिए कितना ज़रूरी है ,उसके न होने से या ख़राब होने से हमारे ऊपर कितना असर पड़ेगा।
समय सीमा का निर्धारण :-
अगर कोई काम हमारे लिए बहोत ज़रूरी है और हमने उसके लिए बहोत से अरमान भी संजोये हैं तो उसको करने की समय सीमा तय करना भी बहोत ज़रूरी है और कभी-कभी तो हम उसका समय निर्धारित कर भी लेते हैं लेकिन उसे अंजाम तक पहुँचाने में जब हमारे सामने कई मुश्किलें पेश आती हैं तो हम फिर पीछे हट जाते हैं। फिर हमारे हालात हमें बहाने भी देते रहते हैं और हम वक़्त के आगे हथियार डाल देते हैं और अपनी बनाई रूप रेखा या योजना पर ही अमल नहीं कर पाते।
अपनी कमज़ोरी जानना है ज़रूरी :-
किसी काम को हम क्यों नहीं कर पा रहे हैं अगर हम इसकी वजह जान जाएँ तो हमारी आधी मुश्किल तो हल हो ही जाती है। वो ऐसे कि हम अपनी कमज़ोरी को समझ कर पहले खुद को मज़बूत करने की कोशिश करते हैं ,उस काम को करने के लायक खुद को बनाते हैं जिससे हम भाग रहे थे फिर निकलता है ,वो रास्ता जिसपर चलकर हम दुखी नहीं होते बल्कि अपने उस काम को ख़ुशी ख़ुशी पूरा करते हैं जो अभी तक हमें हमारे बस के बाहर लग रहा था।
हारने से अच्छा है कोशिश करते रहना :-
जब हम किसी काम को करने की ठान लेते हैं तो राह में आ रही अड़चनों को भी हटाना हमें आ जाता है। हम जब सही वक़्त का इंतज़ार कर रहे होते हैं तो उसी काम ,उसी अरमान को पूरा करने की वो तैयारी कर लेते हैं जो सही वक़्त आने पर हमारे काम को पूरा करने की दिशा में उस पहल के रूप में हमारे साथ होती है जो हमें बेहतर अंजाम तक पहुँचाती है और ये पहल वही कोशिश होती है जो हमें हारने नहीं देती एक के बाद एक दूसरी तैयारी करने के लिए हमें प्रेरित करती रहती है ,कभी-कभी तो हमारे आज को ही वो समय बना देती है जिसके इंतज़ार में हम जाने कब से बैठे थे। ग़ौर ज़रूर करियेगा इस बात पर फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।
