Organic Fertilizers: इन दिनों देशभर के किसान खेतों में खाद की छिटाई करने में व्यस्त हैं. वहीं रीवा जिले में भी कई जगहों पर धान का रोपा लग चुका है. यहां भी किसानों ने खेत में खाद छीटना शुरू कर दिया है. लेकिन किसानों की सबसे बड़ी समस्या यह है कि उन्हें समय पर पर्याप्त मात्रा में खाद ही नहीं मिल पा रही. तो ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बिना खाद डाले ही फसल की उपज बढ़ाई जा सकती है? और इसका जवाब है नहीं। कृषि के लिए खाद ज़रूरी है या यूं कहें कि अनिवार्य है. अब रासायनिक खाद की कमी के बीच किसान अपनी फसल के लिए क्या कर सकता है?
किसानों को नहीं मिलता जैविक खाद बनाने का प्रशिक्षण
इसी लिए हमने पहले किसानों से जाना कि आख़िर वे समय से खाद न मिलने पर क्या करते हैं? तो उनका ये कहना हुआ कि उनके पास डीएपी और यूरिया के अलावा और कोई उपाय है ही नहीं. ऐसे में हमने उनसे बात की जैविक खाद के बारे में, कि यह कैसे बनाई जा सकती है और इसका उपयोग कैसे किया जा सकता है. तो इस पर किसानों का कहना है कि उन्हें जैविक खाद के बारे में कोई जानकारी नहीं है. उन्हें कभी इस बारे में न तो कोई प्रशिक्षण दिया गया और न ही कभी बताया गया कि जैविक खाद, खेत और फसल के लिए कितनी प्रभावी है. इस समस्या पर हमने रीवा कृषि महाविद्यालय के वैज्ञानिक डॉ. आरपी जोशी से भी जाना। उन्होंने जैविक खाद और इसके उपयोग को लेकर बहुत महत्वपूर्ण जानकारियां दी.
जैविक खाद से मिलते हैं कई फायदे
कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि समय-समय पर जैविक खाद बनाने के सभी प्रशिक्षण कृषि महाविद्यालय द्वारा किसानों को दिए जाते हैं. साथ ही उन्होंने जैविक खाद के महत्व और उपयोग के बारे विस्तार पूर्वक बताया। उन्होंने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट न केवल फसलों के लिए ही बल्कि खेत के लिए भी लाभकारी है. इससे मिट्टी मुलायम रहती है साथ ही उसमें उपज बढ़ाने की क्षमता भी तेजी से बढ़ती है. कृषि वैज्ञानिक ने कहा कि समय-समय पर खेत में दलहनी फसलें भी बोनी चाहिए। दलहनी फसलों के डंठल में नाइट्रोजन की मात्रा होती है जो यूरिया की पूर्ति करता है.
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