क्या वाक़ई! हर मुश्किल का हल होता है?

न्याज़िया बेगम
मंथन। हर मुश्किल का हल अगर होता है तो हमें क्यों नहीं मिलता, क्या कुछ अलग नज़रें चाहिए, उस हल को देखने के लिए, बड़ा आत्मविश्वास चाहिए और धैर्य भी चाहिए, शायद हां क्योंकि जहां से परेशानी शुरू होती है अक्सर हल वहीं आस पास होता है। बस हमें आसानी से दिखता नहीं है ,हमें यक़ीन ही नहीं होता कि हमारी इस परेशानी का हल हो भी सकता है , और धैर्य या इत्मीनान तो हम रख ही नहीं पाते, जिससे हमें हिम्मत मिलती है।

कैसे हो जाऐ कूल

तो कैसे इतने कूल हो जाएं हम कि हमें ज़्यादा परेशान न होना पड़े और हमारी परेशानी का हल मिल जाए, क्या हम उस परेशानी की जड़ तक जाए यानी जहां से या जिससे परेशानी शुरू हुई है वहीं आस पास उसका हल खोजें ,पैनी नज़र रखें ,बिना घबराए वो सब देखें ,जो अभी नहीं भी दिख रहा है यानी अगर कोई रास्ता हमें सूझ भी रहा है तो उसके पॉज़िटिव और निगेटिव दोनों पहलुओं पर ग़ौर करें,

हम क्या चाहते है

ये भी ध्यान रखें कि हम क्या चाहते हैं ,हमारे लिए क्या इंपॉर्टेंट है ,खुद पर भरोसे करें कि हम इस परेशानी का हल ज़रूर निकाल लेंगे ,ये कोई मुश्किल काम नहीं है ,किसी अनुभवी या अपने बड़े से सलाह मशवरा करें उसका साथ लें ताकि हम घबराएं नहीं, हां! शायद यही वो तरकीब है जिससे हम बड़ी से बड़ी मुश्किल को हल कर सकते हैं।

न हारे हिम्मत

पर हमारी सबसे बड़ी उलझन ये है कि हम बहुत जल्दी हिम्मत हार जाते है ,परिस्थिति के आगे घुटने टेक देते हैं जिससे हमें कोई रास्ता दिख ही नहीं पाता हम ये भी नहीं समझ पाते कि हमारे लिए क्या अच्छा है क्या बुरा ,कभी कभी हम देखने में बड़े हट्टे कट्टे ,चुस्त दुरुस्त नज़र आते हैं लेकिन अंदर से या इमोशनली हम बहुत वीक होते हैं , जिससे हमेशा हमें किसी के सहारे की ज़रूरत महसूस होती है और अगर कोई हमारा साथ नहीं देता या फिर कभी मुश्किल की घड़ी में हम अकेले फंस जाते हैं तो डर की वजह से हमें कुछ नहीं सूझता और हम अपने लिए ग़लत फैसले ले लेते हैं।

मिलता है हर मुश्किल रास्ता

तो उस मोहब्बत उस अपनेपन को भी याद रखना ज़रूरी है जो हमें हर वक़्त हौसला देती है। कभी-कभी, ऐसा भी होता है कि बात-बात में हमें रोना आता है जो हमारी भावनात्मक कमज़ोरी को सबके सामने व्यक्त कर देता है तो इससे बचें लेकिन रोना अच्छा है इसलिए अकेले में दिल खोल के रो लें इससे हमारे अंदर का ग़ुबार निकल जाता है ,दुख कम होता है ,हम थोड़ा मज़बूत महसूस करते हैं और मुश्किल का हल या रास्ता भी दिख जाता है। तो आप भी ज़रा सोच के देखिएगा इस बारे में ,फिर मिलेंगे मंथन की अगली कड़ी में।

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