MP: मऊगंज में जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम में 10 लाख की अनियमितता, फर्जी बिलों से उजागर हुआ घोटाला

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Mauganj Program Bill Scam: जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह समेत करीब 150 लोग शामिल हुए। हैरानी की बात यह है कि मेहमानों को एक बोतल पानी तक नहीं दिया गया। जनपद अध्यक्ष और सदस्यों का आरोप है कि कार्यक्रम के लिए 2.54 लाख रुपए मंजूर किए गए थे, लेकिन बिना प्रशासनिक अनुमति के 10 लाख रुपए का बिल बनाकर राशि निकाल ली गई।

शहडोल के बाद मऊगंज में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत हुए कार्यक्रम में अनियमितता सामने आई है। खैरा ग्राम पंचायत में 40 मिनट के सरकारी कार्यक्रम पर 10 लाख रुपए खर्च दिखाए गए। 17 अप्रैल को आयोजित इस कार्यक्रम में पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम मौजूद थे। जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह समेत करीब 150 लोग शामिल हुए। हैरानी की बात यह है कि मेहमानों को एक बोतल पानी तक नहीं दिया गया। जनपद अध्यक्ष और सदस्यों का आरोप है कि कार्यक्रम के लिए 2.54 लाख रुपए मंजूर किए गए थे, लेकिन बिना प्रशासनिक अनुमति के 10 लाख रुपए का बिल बनाकर राशि निकाल ली गई। इसकी शिकायत कलेक्टर अजय कुमार जैन से की गई, जिन्होंने दो दिन पहले जांच के आदेश दिए हैं।

जनपद अध्यक्ष का आरोप- बिलों को समिति से मंजूरी नहीं

मऊगंज जनपद अध्यक्ष नीलम सिंह ने कहा कि वह भी कार्यक्रम में मौजूद थीं। इसके लिए 9.85 लाख रुपए निकाले गए, लेकिन बिलों को प्रशासनिक समिति से मंजूरी नहीं ली गई।

फर्जी वेंडर से खरीदी, दुकान का अस्तित्व नहीं

कार्यक्रम के लिए गद्दे और चादर 30-35 रुपए प्रति यूनिट की दर से किराए पर दिखाए गए, वह भी एक इलेक्ट्रिक दुकान से। ‘प्रदीप इंटरप्राइजेज’ नामक वेंडर के नाम पर सभी खर्च दर्शाए गए, लेकिन क्षेत्र में ऐसी कोई दुकान नहीं है। किराना, मिठाई, लाइट, टेंट, नाश्ता सब कुछ इसी फर्जी वेंडर से दिखाया गया। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें गंदे टैंकर का पानी पिलाया गया, खाना-नाश्ता तो दूर की बात थी।

कैसे पकड़ा गया फर्जीवाड़ा?

उमरी वार्ड नंबर 8 के जनपद सदस्य शेख मुख्तार सिद्दीकी ने इस घोटाले को उजागर किया। सिद्दीकी ने बताया कि एक रात जनपद के पोर्टल पर संदिग्ध भुगतान दिखे। अगले दिन जनपद अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और अन्य सदस्यों के साथ जानकारी साझा की। प्रभारी सीईओ रामकुशल मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा गया, लेकिन उनका जवाब संतोषजनक नहीं था। इसके बाद आरटीआई दाखिल की गई और 21 जनपद सदस्यों के हस्ताक्षर से शिकायत दर्ज की गई। चार सदस्य जिले से बाहर होने के कारण हस्ताक्षर नहीं कर सके। सिद्दीकी के अनुसार, सीईओ ने रोजगार सहायक राजकुमार शुक्ला के डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (डीएससी) से भुगतान किए, जबकि यह काम जनपद के मनरेगा अकाउंटेंट अमित दुबे करते थे। राजकुमार के खाते में 14,714 रुपए भेजे गए, जो रामकुशल और राजकुमार की संलिप्तता की ओर इशारा करता है।

मंजूरी 2.54 लाख की, बिल 10 लाख का

पंचायत दर्पण पोर्टल पर अपलोड नोटशीट के अनुसार, कार्यक्रम के लिए 2.54 लाख रुपए मंजूर थे, लेकिन 7.45 लाख से अधिक राशि बिना जनपद बैठक और प्रस्ताव के निकाल ली गई। ‘प्रदीप इंटरप्राइजेज’ और ‘एसकेएस इंटरप्राइजेज’ नामक फर्जी संस्थाओं को सबसे ज्यादा भुगतान किया गया। इसके अलावा 15-20 अन्य फर्जी संस्थाओं को 1.5 लाख से 2 लाख तक का भुगतान दिखाया गया। सामान्य सामग्री जैसे चादर और गद्दे के लिए 30-35 रुपए प्रति यूनिट की दर से ओवर बिलिंग की गई।

अकाउंटेंट का आरोप- डीएससी और मोबाइल छीना

जनपद पंचायत के अकाउंटेंट राजमणि कहार ने आरोप लगाया कि प्रभारी सीईओ रामकुशल मिश्रा ने जबरन उनका डीएससी और मोबाइल छीनकर दुरुपयोग किया। जनपद अध्यक्ष के पत्र के बाद सीईओ को मोबाइल और डिजिटल हस्ताक्षर लौटाने पड़े। जनपद सदस्यों ने दोषियों के खिलाफ जांच और बर्खास्तगी की मांग की है।

ग्रामीणों का दावा- पानी तक नहीं मिला

स्थानीय निवासी अरुण पटेल ने बताया कि कार्यक्रम उनके घर से 4 किलोमीटर दूर था। वहां न पानी मिला, न भोजन। कार्यक्रम स्थल पर गद्दे नहीं बिछे थे, और कुर्सियां भी सीमित थीं। शुरू में 50-60 लोग थे, लेकिन मंत्री के पहुंचने पर भीड़ 150-200 तक पहुंची। कनकेशरा ग्राम पंचायत के राज नारायण बिसरिया ने कहा कि कार्यक्रम में भजन तो सुना, लेकिन नाश्ता या भोजन नहीं मिला। टैंकर का पानी पिलाया गया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं

सिद्दीकी के अनुसार, रामकुशल मिश्रा पहले एक आपराधिक मामले में दोषी पाए गए थे, जिसमें उन्हें 3 साल की सजा और 11,000 रुपए का जुर्माना हुआ। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, दोषी कर्मियों को बिना नोटिस हटाने की कार्रवाई नहीं हुई।

सीईओ पर लोकायुक्त में शिकायत

सिद्दीकी ने बताया कि रामकुशल मिश्रा को नियमों के खिलाफ सीईओ का प्रभार दिया गया, जबकि उनका मूल पद प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर है। उनके खिलाफ लोकायुक्त में भ्रष्टाचार की शिकायत लंबित है। मिश्रा के वरिष्ठ गंगा प्रसाद द्विवेदी इस पद के हकदार थे। सिद्दीकी ने आरोप लगाया कि एक अन्य कार्यक्रम में भी 30-35 लाख रुपए गलत तरीके से निजी संस्था को दिए गए, जिसकी शिकायत कलेक्टर से की गई है।

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