आत्म मंथन………

Aatm Manthan

Author- न्याज़िया बेगम

आपको नहीं लगता बुरा होना बहुत बुरा है लेकिन अच्छा होने का पाखंड करना और भी बुरा है क्यों ? क्योंकि इस पाखंड के जाल में वे लोग फंस जाते हैं ,जो बहुत भोले भाले हैं ,छल कपट और ढोंग से अनभिज्ञ हैं पर ये भी दुनिया का सच ही है कि यहां पाखंड है और हम हैं तो मनुष्य ही तो ऐसी प्रवृत्तियों का असर होना भी स्वाभाविक है ।

पाखंड क्या है –

एक ऐसा मुखौटा जो आपका असली चेहरा छुपा ले ,आप जो नहीं हैं वो दुनिया को दिखाए ,अब ज़ाहिर है हर कोई अच्छा है बनना चाहता है पर हर कोई अच्छा नहीं होता इसलिए लोग अच्छा होने का ढोंग करते हैं, पाखंड करते हैं ।

तो कैसे बचें इस पाखंड से –

हर हाल में अंदर से अच्छा बनने की कोशिश ही हमें ऐसे पाखंड से बचा सकती है ,जिसमें केवल सत्य हो और सत्य को स्वीकारने की हिम्मत , क्योंकि ये हमारे अंतर्मन की इच्छा का मार्ग है इसलिए ये प्रयास खोखला नहीं होना चाहिए, इस पर दृढ़ इच्छा शक्ति से आगे बढ़ना ही हमें श्रेष्ठता की ओर ले जाने का प्रथम चरण है।

कैसे बचें पाखंडियों से –

केवल अपने काम से काम रखने से ही हम ढोंगियों के ढोंग या पाखंड से बच सकते हैं ,वो भी जब किसी से कोई आशा न रखें, खुद पर भरोसा करें कि हम किसी के सहारे के बिना आगे बढ़ सकते हैं ,हम जो हैं जैसे हैं वही हमारा सत्य है और उसे स्वीकारने का साहस ही हमें एक दिन ऐसे मुकाम या मंज़िल पर पहुंचा देगा जहां हमें किसी पाखंडी की ज़रूरत नहीं पड़ेगी ।
तो सोचिएगा ज़रूर इस बारे में फिर मिलेंगे आत्म मंथन की अगली कड़ी में धन्यवाद।

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