अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स दिवस। अंतर्राष्ट्रीय सेक्स वर्कर्स दिवस 2 जून को पूरी दुनिया मना रही है। यह दिन सेक्स वर्कर्स के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। 2 जून 1975 को सेक्स वर्कर्स के लिए आवाज बुलंद की गई और 1976 से 2 जून को दुनिया भर में इसे दिवस के रूप में मनाया जाने लगा, क्योंकि यह दिन उनके अधिकारों को लिए होता है. उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के करीब 300 ऑर्गेनाइजेशमन सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत
भारत में वेश्यावृत्ति की शुरुआत हजारों साल पुरानी है। करीब 3500 साल पहले वेश्यावृत्ति का जिक्र मिलता है। ऋगवेद में जतिनी शब्द का इस्तेमाल किया गया है जिसका मतलब विवाहित पुरुष से अवैध संबंध बनाने वाली महिला है। ऐसी महिलाओं को बदले में कुछ तोहफा या फिर पैसे दिए जाते थे। हजारों साल पुरानी वेश्यावृत्ति का अब काफी बदल चुकी है। जहां पहले के समय में वेश्याएं धार्मिक अनुष्ठानों से जुड़ी रहती थीं वहीं अब पोनोग्राफी ने बदलते परिवेश में अपनी जगह ले ली है।
सेक्स वर्कर्स सेक्शुअल वायलेंस का शिकार
आपको जानकर हैरानी होगी कि करीब 73 प्रतिशत सेक्स वर्कर्स अपने जीवन काल में कभी न कभी सेक्शुअल वायलेंस का शिकार होते हैं। सेक्स वर्कर की सिर्फ भारत नहीं बल्कि अन्य देशों में भी स्थिति दर्दनाक है। लंदन में 1888 में व्हाइट चौपल इलाके में कई सेक्स वर्कर्स की गला रेत कर हत्या कर दी गई।
भारत में वेश्यावृत्ति
दुनिया में कई ऐसे ऑर्गेनाइजेशन हैं जो सेक्स वर्कर्स के अधिकारों की बात करते हैं। इस तबके के लिए कोई भी खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं होता। सेक्स वर्कर्स को कई अधिकार प्राप्त हैं लेकिन उन पर ध्यान नहीं दिया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, हर व्यक्ति को सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, भले ही वो वेश्यावृत्ति से जुड़ा हो।
वर्तमान में, ऑस्ट्रिया, ऑस्ट्रेलिया के कुछ राज्य, न्यूजीलैंड, कनाडा, बेल्जियम और ब्राजील ने वेश्यावृत्ति को वैध कर दिया है। भारत में, वेश्यावृत्ति को न तो स्पष्ट रूप से अवैध घोषित किया गया है और न ही विनियमित किया गया है। वेश्यालय का मालिक होना या उसमें काम करना, दलाली करना और संगठित यौन कार्य जैसे संबंधित कामों को अनैतिक व्यापार (रोकथाम) अधिनियम, 1956 2 के तहत अवैध घोषित किया गया है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में SITA अधिनियम (जिसे आगे इसी नाम से संदर्भित किया जाता है) के रूप में जाना जाता है। इस अधिनियम में वेश्यावृत्ति को ‘यौन शोषण’ कहा गया है। हालाँकि, यह अधिनियम उन पुरुषों को मान्यता नहीं देता है जिन्होंने वेश्यावृत्ति का पेशा अपनाया है।
वेश्यावृत्ति के बारे में कलंक के कारण वेश्याओं को अक्सर स्वास्थ्य सेवा से गुजरना पड़ता है। इसमें वेश्याओं के बीच अवांछित गर्भधारण, एचआईवी/एड्स और अन्य एसटीआई शामिल हैं। इस प्रकार, वेश्यावृत्ति और वेश्यालयों के विनियमन से इस खतरे को रोकने में मदद मिलेगी।