International Day of Abolition of Slavery 2025 : दासता के खिलाफ वैश्विक जागरूकता का दिन

International Day of Abolition of Slavery 2025 वैश्विक जागरूकता पोस्टर

International Day of Abolition of Slavery 2025 : आधुनिक दासता के खिलाफ वैश्विक जागरूकता का दिन-आधुनिक दुनिया में दासता का बदलता चेहरा-दुनिया भले ही तकनीक और मानवाधिकारों के क्षेत्र में आगे बढ़ चुकी हो, लेकिन दासता का अस्तित्व आज भी कई रूपों में मौजूद है। मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल मजदूरी, जबरन विवाह, घरेलू शोषण और बंधुआ मजदूरी ये सभी आधुनिक दासता के नए चेहरे हैं, जिनसे आज भी करोड़ों लोग प्रभावित हो रहे हैं। इन्हीं स्थितियों के प्रति जागरूकता फैलाने और विश्व समुदाय को कार्रवाई के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से हर साल 2 दिसंबर को International Day of Abolition of Slavery मनाया जाता है।2 दिसंबर को मनाया जाने वाला अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस आधुनिक दासता जैसे मानव तस्करी, यौन शोषण, बाल श्रम और जबरन विवाह को खत्म करने के उद्देश्य से विश्वभर में जागरूकता फैलाता है। जानें इसका इतिहास, महत्व और थीम।

दास प्रथा उन्मूलन दिवस की शुरुआत कैसे हुई ?

इस अंतरराष्ट्रीय दिवस की नींव 2 दिसंबर 1949 को उस समय पड़ी, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने Resolution 317 (IV) को पारित किया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य था

  • मानव तस्करी रोकना
  • प्रॉस्टीट्यूशन/यौन शोषण के शिकार लोगों की सुरक्षा
  • दासता और जबरन मजदूरी जैसे अपराधों को खत्म करना-संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, आज भी लगभग 40.3 मिलियन लोग आधुनिक दासता के शिकार हैं। इनमें शामिल हैं-24.9 मिलियन लोग जबरन श्रम (forced labour)
    15.4 मिलियन लोग जबरन विवाह (forced marriage) सबसे चिंताजनक बात यह है कि हर 4 पीड़ितों में 1 बच्चा होता है।

अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस का महत्व

यह दिवस केवल इतिहास याद कराने का माध्यम नहीं है, बल्कि वर्तमान में मौजूद सामाजिक चुनौतियों से लड़ने का एक वैश्विक अभियान है।

  • आधुनिक दासता की पहचान और रोकथाम-लोगों को यह समझाना जरूरी है कि दासता केवल पुराने समय की बात नहीं है। आज भी लाखों लोग शोषण, धमकी और गरीबी के कारण दासता जैसी परिस्थितियों में जीवन जी रहे हैं।
  • बच्चों को दासता से मुक्त कर मुख्यधारा में लाना-बाल मजदूरी, तस्करी, जबरन मजदूरी जैसे अपराधों में फंसे बच्चों को शिक्षा और सुरक्षा प्रदान करना इस दिवस का मुख्य लक्ष्य है।
  • महिलाओं के यौन शोषण के खिलाफ लड़ाई-काम के नाम पर यौन शोषण, घरेलू दासता, और तस्करी- ये आधुनिक दासता के सबसे बड़े रूप हैं। इस दिन के माध्यम से महिलाओं की सुरक्षा और उनके अधिकारों पर विशेष जोर दिया जाता है।
  • सामाजिक सहभागिता और नीति निर्माण-NGOs, सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं इस दिन विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर लोगों को जागरूक बनाने और नीति सुधारों के लिए प्रयास करती हैं।
  • 2025 का थीम-आधुनिक दासता के सभी रूपों का अंत-इस दिवस की केंद्रीय थीम आधुनिक दासता के उन रूपों को खत्म करना है, जो आज समाज में छिपे हुए अपराधों की तरह पनप रहे हैं, जैसे-
  • मानव तस्करी (Human Trafficking)
  • यौन शोषण (Sexual Exploitation)
  • बाल मजदूरी (Child Labour)
  • जबरन विवाह (Forced Marriage)
  • बंधुआ मजदूरी (Bonded Labour)
  • हथियारबंद समूहों में बच्चों की भर्ती-इन सभी को संयुक्त राष्ट्र “आधुनिक गुलामी” के प्रमुख संकेतक मानता है।

निष्कर्ष-एक जागरूक समाज से ही संभव है दासता का अंत-अंतरराष्ट्रीय दास प्रथा उन्मूलन दिवस हमें याद दिलाता है कि दासता केवल इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि वर्तमान का भी सच है। इसे खत्म करने के लिए सरकारों, समाज, संस्थाओं और आम नागरिकों को मिलकर प्रयास करना आवश्यक है। जब तक हर व्यक्ति सुरक्षित, स्वतंत्र और सम्मानजनक जीवन नहीं जीता, तब तक दासता के खिलाफ यह संघर्ष जारी रहना चाहिए।

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