कभी-कभी जीवन में ऐसा भी होता है कि हम बहुत कुछ मांगनें की सोचते हैं फिर भी हाथ ख़ाली रह जाते है , पर जब कुछ नहीं मांगते और सब कुछ ईश्वर या किसी बड़ी सत्ता पर छोड़ देते हैं, तब हमें वह मिल जाता है जिसकी हमने कल्पना भी नहीं की होती। यही शिक्षा देती है यह प्रेरक और हृदयस्पर्शी कहानी – सुनार की तकदीर।
सुनार की तकदीर कहानी का विस्तार
एक समय की बात है। किसी राज्य का राजा अपनी प्रजा का हालचाल जानने के लिए गांवों का दौरा कर रहा था। भ्रमण के दौरान उसके कुर्ते का सोने का बटन टूट गया। राजा ने अपने मंत्री से पूछा, “इस गांवों में कोई अच्छा सुनार है क्या, जो मेरे कुर्ते के लिए नया बटन बना सके?
गांव में एक ही सुनार था – वह हर तरह के गहने बनाता था,उसे तुरंत राजा के समक्ष लाया गया।
राजा ने कहा, “क्या तुम मेरे कुर्ते के लिए सोने का बटन बना सकते हो ?” सुनार ने विनम्रता से कहा, “हुज़ूर – यह तो कोई मुश्किल काम नहीं है।”
सुनार ने कुर्ते का दूसरा बटन देखकर बिल्कुल वैसा ही एक नया बटन बनाया और उसे राजा के कुर्ते में जड़ दिया।
राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उसने पूछा, “बताओ, कितने पैसे दूं ? “
सुनार ने झुककर कहा – “महाराज – रहने दीजिए, यह तो छोटा सा काम था। सोना तो आपका ही था, मैंने तो बस काम किया है।”
राजा फिर भी आग्रह करने लगा – “नहीं, कुछ तो लो।”
सुनार ने सोचा, – दो रुपए मांग लेता हूं लेकिन उसे तुरंत विचार आया की “अगर राजा सोचने लगे कि मैं एक बटन के दो रुपये लेता हूं , तो गांव वालों से कितना वसूलता होऊंगा ? कहीं राजा सज़ा न दे दे ? “
आख़िरकार, उसने झुककर कहा “महाराज, जो आपकी इच्छा हो, वही दे दीजिए।”
अब राजा तो राजा था – उसे अपनी शान बनाए रखनी थी। उसने मंत्री से कहा, “इस सुनार को दो गांव इनाम में दे दो। यह हमारा आदेश है। ” जहां सुनार केवल दो रुपये मांगने की सोच रहा था, वहां राजा ने उसे दो गांव भेंट में दे दिए।
कहानी का सार – इस कहानी का संदेश बड़ा ही गूढ़ और प्रभावशाली है।
जब हम सब कुछ ईश्वर पर छोड़ देते हैं और कुछ नहीं मांगते , तो वह हमें हमारी सोच से कहीं अधिक देता है।
अक्सर हम अपनी सीमित समझ और इच्छाओं के अनुसार मांग करते हैं। लेकिन अगर हम पूर्ण समर्पण कर दें, तो जीवन में हमें वह प्राप्त हो सकता है जिसकी हमने कभी कल्पना भी नहीं की।
संत-महात्मा भी यही कहते हैं –
“ईश्वर से कुछ माँगने की बजाय, स्वयं को उनकी इच्छा के अनुसार समर्पित कर दो। जो वे देंगे, वही सर्वश्रेष्ठ होगा।”
कहानी से जीवन के लिए प्रेरणा
- भलाई करो, बिना किसी स्वार्थ के।
- जो कार्य तुम्हारे वश में है, वह पूरी निष्ठा से करो।
- फल की चिंता न करते हुए, ईश्वर पर भरोसा रखो।
- माँगने से अधिक, समर्पण की शक्ति को पहचानो।
- संतोष ही सच्चा धन है।
विशेष – “जो देता है वो जब देता है, तो छप्पर फाड़ कर देता है।” जीवन में मांगनें से ज़्यादा ज़रूरी है समर्पण और विश्वास। जब हम निःस्वार्थ होकर कर्म करते हैं और सब कुछ उस परम सत्ता पर छोड़ देते हैं, तब वह हमारे लिए वैसा कुछ रचता है जो हमारी कल्पना से परे होता है। भलाई करोगे, तो भला होगा। प्रभु की लीला न्यारी है, बस श्रद्धा और संतोष रखो।