UNESCO Memory Of The World Manuscript List: समाज को नैतिकता, सदाचार और सत्कार की सीख देनी वालीं रचनाएं, रामचरित मानस (Ramcharit Manas) पंचतंत्र (Panchatantra) और सहृदयलोक लोकन/लोचन (Sahridayalok Lochana ) की चर्चा अब विश्वभर में हो रही है. यूनाइटेड नेशंस एजुकेशनल, साइंटफिक एंड कल्चरल ऑर्गनाइजेशन यानी कि UNESCO ने इन साहित्यिक रचनाओं को मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड एशिया पैसिफिक रीजनल रजिस्टर (Memory of the World Asia Pacific Regional Register) में शामिल किया है. और इस उपलब्धि का पूरा श्रेय जाता है इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर द आर्ट्स यानी कि IGNCA दिल्ली को जिसके द्वारा भारतीय संस्कृति के प्रसार और संरक्षण के लिए ये पहल शुरू की गई.
दरअसल जिस तरह UNESCO अपने वर्ल्ड हैरिटेज प्रोग्राम में विश्वधरोहरों, और इनटेंजिबल कल्चरल हैरिटेज में संस्कृति को संरक्षित करने और पूरे विश्व में पहचान दिलाने काम करता है ठीक वैसे ही MOW यानी मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड प्रोग्राम में दुनियाभर की दुर्लभ साहित्यिक रचनाओं के वैश्विक महत्त्व को पहचान कर उन्हें मान्यता देता है. मेमोरी ऑफ़ द वर्ल्ड प्रोग्राम (Memory of the World Program) भी तीन स्तरों में संचालित होता है. पहला इंटरनेशनल, दूसरा रीजनल और तीसरा नेशनल। भारत की तरफ से कभी रीजनल रजिस्टर के लिए नॉमिनेशन भरा ही नहीं गया. इसका जिम्मा IGNCA ने उठाया और सबसे पहले भारत के दुर्लभ और लोकप्रिय साहित्यिक रचनाओं को नेशनल रजिस्टर (National Register MOW) में शामिल किया। इसके बाद एक्सपर्ट्स की टीम ने नेशनल रजिस्टर में शुमार रचनाओं में से उन साहित्यों का चयन किया जिन्हे रीजनल रजिस्टर यानी कि मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक से मान्यता प्राप्त करने के लिए भेजा जा सके. IGNCA की एक्सपर्ट कमिटी ने UNESCO रीजनल रजिस्टर के लिए तुलसीदास रचित रामचरित मानस, आचार्य विष्णु शर्मा की रचना पंचतंत्र और आचार्य आनन्दवर्धन की सहृदयलोक-लोकन का चयन कर UNESCO को भेजा और पहले प्रयास में ही IGNCA को बड़ी उपलब्धि हासिल हुई.
रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन/लोचन को शामिल करने का निर्णय , 7 और 8 मई को मंगोलिया की राजधानी, उलानबटार में आयोजित मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक की 10वीं आम बैठक में लिया गया था। MOWCAP की 10वीं आम बैठक की मेजबानी मंगोलियाई सरकार के संस्कृति मंत्रालय, यूनेस्को के लिए मंगोलियाई राष्ट्रीय आयोग और यूनेस्को के बैंकॉक क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा की गई थी। बैठक में 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
यूनेस्को की तरफ से इन रचनाओं को वैश्विक मान्यता मिलना भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के लिए गौरव की बात है. अब आइये आपकी उस शख्सियत से मुलाकात कराते हैं जिनके ही प्रयासों से आज पूरे विश्व में अवधी और संस्कृत रचनाओं की चर्चा हो रही है.
पंचतंत्र क्या है?
What Is Panchtantra: INGCA के प्रयासों से ही भारत की साहित्यिक विरासत को वास्विक पटल पर पहचान मिली है. राम चरित मानस तो घर-घर में पढ़ी और सुनाई जाती है, लेकिन पंचतंत्र की कहानियां अब धूमिल सी हो गई हैं. ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में आचार्य विष्णु शर्मा द्वारा देव भषा संस्कृत में रचित पंचतंत्र को संस्कृत की नीतिकथाओं में पहला स्थान दिया जाता है. पंच तंत्र की 101 कहानियों में लोकव्यवहार को बड़ी सहजता समझाया गया है. ये पुस्तक नेतृत्व क्षमता विकसित करने का सशक्त माध्यम मानी जाती है. भारत में अब भले ही पचतंत्र की यादें ओझल होने लगी हों मगर ये ऐसी रचना है जिसका अनुवाद दुनिया की लगभग हर भाषा में किया गया है. आचार्य विष्णु शर्मा ने इसी रचना से महिलारोप्य के राजा अमरशक्ति के तीन मुर्ख पुत्रों को नेतृत्व गुण से निपुण कर दिया था.
सहृदयलोक लोचन क्या है?
What is Sahridayalok Lochan: पंचतंत्र के बाद दूसरी संस्कृत रचना सहृदयलोक-लोकन को भी UNESCO ने वैश्विक मान्यता दी है. आचार्य आनन्दवर्धन द्वारा रचित इस साहित्य के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं. आचार्य आनन्दवर्धन ने सहृदयलोक-लोकन की रचना 10वीं शताब्दी के अंत और 11वीं शताब्दी के प्रारम्भ में कश्मीर में की थी.
रामचरित मानस सनातनियों द्वारा पढ़ी और गायी जाने वाली सबसे प्रसिद्ध अवधि रचना है. अब तो पूरी दुनिया में प्रभु श्री राम की गाथा सुनाई जाती है, उन्हें चरित्र को अपने जीवन में उतारने की शिक्षा दी जाती है. राम चरित मानस का UNESCO द्वारा वैश्विक मान्यता देना यानी विश्वभर में रामकथा को पहचान मिलना है. ये वाकई गौरव की बात है कि अवधि भाषा को UNESCO जैसी अंतराष्ट्रीय संस्था ने पहचाना है. राम चरित मानस के मेमोरी ऑफ़ वर्ल्ड में शामिल होने पर इसका प्रभाव दुनिया पर क्या पड़ सकता है ये जानने के लिए वीडियो देखें