कोलकाता में चलेगी देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन!

DESH KI PAHALI UNDERWATER METRO -

इसके लिए हावड़ा स्टेशन से महाकारण स्टेशन तक 520 मीटर लंबी टनल बनाई गई है, जिसमें दो ट्रैक बिछाए गए हैं. मेट्रो इस टनल को 80 किलोमीटर/ घंटे की रफ्तार से सिर्फ 45 सेकेंड में पार कर लेगी। इससे हावड़ा और कोलकाता की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। रोज 7 से 10 लाख लोगों का सफर आसान होगा।

India’s First Underwater Metro: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 मार्च को कोलकाता में देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो उद्घाटन किया। यह मेट्रो जमीन से 33 मीटर नीचे और हुगली नदी तल से 13 मीटर नीचे बनी ट्रैक पर दौड़ेगी। 1984 में देश की पहली मेट्रो ट्रेन कोलकाता उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर में दौड़ी थी. 40 साल बाद एक बार फिर यहीं से देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो रेल चलेगी।

इसके लिए हावड़ा स्टेशन से महाकारण स्टेशन तक 520 मीटर लंबी टनल बनाई गई है, जिसमें दो ट्रैक बिछाए गए हैं. मेट्रो इस टनल को 80 किलोमीटर/ घंटे की रफ्तार से सिर्फ 45 सेकेंड में पार कर लेगी। इससे हावड़ा और कोलकाता की कनेक्टिविटी बेहतर होगी। रोज 7 से 10 लाख लोगों का सफर आसान होगा।

मेट्रो में 4 अंडरग्राउंड स्टेशन होंगे

India’s First Underwater Metro Inaugurated: कोलकाता में चलने वाली इस मेट्रो के लिए हावड़ा मैदान से एस्प्लनेड तक 4.8 किलोमीटर रुट बनकर तैयार है. इसमें 4 अंडरग्राउंड स्टेशन हैं.-हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण और एस्प्लनेड। हावड़ा स्टेशन जमीन से 30 मीटर नीचे बना है. यह दुनिया में सबसे गहराई में बना मेट्रो स्टेशन है. अभी पानी के नीचे मेट्रो रुट लंदन और पेरिस में ही बना है.

मिट्टी के सर्वे में लगा लंबा समय

India’s First Underwater Metro: इस प्रोजेक्ट की दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं. पहली खुदाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव और दूसरी TBM की सेफ्टी। कोलकाता में हर 50 मीटर दूरी पर अलग-अलग तरह की मिट्टी मिलती है. टनल के लिए सही जगह पहचानने के लिए मिट्टी के सर्वे में ही 5-6 महीने गुजर गए. फिर 3 से 4 बार सर्वे के बाद तय हुआ कि हावड़ा ब्रिज के पास हुगली नदी तल से 13 मीटर नीचे की मिट्टी में टनल बन सकती है.

2017 में शुरू हुआ था सुरंग का काम

रीअलाइनमेंट के बाद 2017 में TBM ने पानी में सुरंग बनाना शुरू किया। हुगली के नीचे टनल की खुदाई का काम 125 दिन में पूरा होना था, लेकिन उसे 67 दिन में पूरा कर लिया गया. 1 सितंबर 2019 को TBM चंडी सियालदह से लगभग आधा किलोमीटर दूर थी, तभी एक बड़े पत्थर से टकरा गई. इससे टनल में बड़े पैमाने पर मिट्टी भर गई और बहू बाजार की कई इमारतें क्षतिग्रस्त हो गईं थी. इस घटना से सभी आहत हो गए थे. सैकड़ों परिवारों को होटलों में शिफ्ट करना पड़ा था. हाईकोर्ट ने काम रोक दिया। जब कुछ महीने कोई धंसाव नहीं हुआ तो फरवरी 2020 मने फिर काम शुरू हुआ.

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