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Indus River | सिंधु नदी जो अतीत में कई बार अपना प्रवाह मार्ग बदल चुकी है

All About Indus River In Hindi: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने एक्शन लेते हुए, 1960 में भारत-पाकिस्तान सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया था। संधि के बाद से इसके जल का सर्वाधिक उपयोग पाकिस्तान ही कर रहा है। इसीलिए इसे पाकिस्तान की जीवन रेखा माना जाता है।

भारतीय सभ्यता और इतिहास की प्राचीनतम नदी सिंधु, जिसके किनारे इतिहास में कितनी ही संस्कृतियाँ फूली-फलीं। माना जाता है अतीत में कई बार इस नदी ने अपना मार्ग का प्रवाह बदला है। आइए जानते हैं इसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें-

सिंधु नदी का उद्गम | Origin of Indus River

पहले यह माना जाता था, सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत मानसरोवर के निकट सिन-का-आब नामक जगह से होता है। लेकिन नए शोधों के अनुसार सिंधु नदी का उद्गम तिब्बत के गेजी काउंटी में कैलाश के उत्तर दिशा की तरफ से होता है।

सिंधु नदी की लंबाई | Length of Indus River

पहले माना जाता था, सिंधु नदी की लंबाई 3180 किलोमीटर है। लेकिन नवीन शोधों के अनुसार इस नदी की लंबाई 3610 किलोमीटर है। यह भारतीय उपमहाद्वीप की सर्वाधिक बड़ी नदी मानी जाती है जबकि एशिया की यह 7 वीं सबसे बड़ी नदी है।

सिंधु का प्रवाह मार्ग | course of indus River

सिंधु नदी तिब्बत, भारत और पाकिस्तान तीन देशों से होकर बहती है। तिब्बत से निकलने के बाद कई दुर्गम दर्रों को पार करती हुई यह लद्दाख, कश्मीर और गिलगित होती हुई पाकिस्तान में प्रवेश करती है।

भारत और पाकिस्तान के बीच यह नदी करीब 120 किलोमीटर की सीमा बनाती है। कटक के निकट यह मैदानों में प्रवेश करती है। मैदानों में 2000 किलोमीटर तक बहती हुई यह नदी सिंध प्रांत के कराची के दक्षिण में अरब सागर में मिल जाती है।

सिंधु की सहायक नदियां | Tributaries of Indus River

सिंधु की कई सहायक नदियां हैं। जो इसके प्रवाह के दोनों दिशाओं की तरफ से आकर इससे मिलती हैं। इसके बाईं ओर जांसकर, सुरू, सुन, घग्घर और पंचनादियां झेलम, चेनाब, रावी, व्यास, सतलज इससे मिलती हैं। जबकि इसके दाहिनी ओर श्योक, हुंजा, गिलगित, स्वात, कुनर, काबुल, कुर्रम, गोमल और झोब इसकी प्रमुख नदियां इससे आकर मिलती हैं।

कई बार मार्ग बदल चुकी है सिंधु नदी | The Indus River has changed its course many times

नवीनतम शोधों और इतिहासकारों के अनुसार सुदूर अतीत में सिंधु नदी कई बार अपने प्रवाह का रास्ता बदल चुकी है। माना जाता था 2500 से 4000 हजार ईसा पूर्व यह नदी कच्छ के रण होती हुई अरब सागर में मिलती थी। लेकिन किसी बड़े भू-गर्भीय हलचल के बाद इसने अपना प्रवाह मार्ग सिंध की तरफ मोड़ लिया। वेदों के अनुसार देवताओं के राजा इंद्र ने अपने पुरुषार्थ से इसका प्रवाह मार्ग बदल दिया था।

इसी तरह 1245 ईस्वी तक यह नदी मुल्तान के पश्चिम दिशा की तरफ से बहती थी। लेकिन उसके आए भू-गर्भीय हलचलों के बाद इसका प्रवाह का मार्ग परिवर्तित हुआ और अब यह मुल्तान के पूर्व दिशा की तरफ से बहती है। इसी तरह बताया जाता है कि 1819 तक यह नदी कच्छ के रण से होकर सिंध जाती थी, लेकिन कच्छ में आए भूकंप के बाद यहाँ की जमीन कुछ ऊपर उठ गई जिसके बाद सिंध ने कच्छ के रण में प्रवेश करना बंद कर दिया।

सिंधु के तट पर स्थित है कई हिंदू तीर्थ | Hindu pilgrimage on the banks of the Indus River

मुल्तान में सिंधु और चेनाब के किनारे ही ही भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र सांब द्वारा बनवाया गया सुप्रसिद्ध सूर्य मंदिर है। इसी तरह ही सिंधु नदी के मुहाने पर ही हिंगोल नदी के तट पर हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक हिंगलाज भवानी का मंदिर भी है। हालांकि अब यह सारे तीर्थ पाकिस्तान में हैं।

भारतीय ग्रंथों में सिंधु नदी का जिक्र | Mention of Indus River in Indian texts

कई हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के प्राचीन ग्रंथों में सिंधु नदी का जिक्र है। संस्कृत के आदिग्रंथ ऋग्वेद में सरस्वती नदी के साथ ही इसकी महिमा का बहुत बखान किया गया है। रामायण और महाभारत जैसे काव्यों में भी इसे भारत भूमि की महानदी कहा गया है।

भारतीय इतिहास और संस्कृति में सिंधु का महत्व | Importance of Indus River in Indian History and Culture

भारतीय इतिहास और संस्कृति में सिंधु नदी अत्यंत महत्व रखती है। भारत को पर्शियन और यूनानियों द्वारा दिया गया इंडिया नाम, अरबों और तुर्कों दिया हिंदुस्तान नाम और हिंदू धर्म के नाम का मूल भी यह सिंधु नदी ही है। विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक सिंधु घाटी सभ्यता, जिसे हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं, उसका उद्भव और विकास भी सिंधु नदी के तटों पर ही हुआ था। इसी तरह ही आर्य सभ्यता का प्राचीनतम क्षेत्र में सिंधु और उसकी सहायक पंचनदियों का ही क्षेत्र था।

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