Indore Contaminated Water: इंदौर के भागीरथपुरा क्षेत्र में दूषित पानी के सेवन से हुई मौतों के मामले में अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लापरवाही बरतने के आरोप में तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की है. दो को निलंबित किया गया है और एक की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इसके अलावा, मामले की गहन जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति का गठन किया गया है।
Indore Contaminated Water: इंदौर की भागीरथपुरा बस्ती में दूषित पेयजल के सेवन से हुई मौतों ने प्रशासन को झकझोर दिया है। चार लोगों की मौत के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्चस्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। साथ ही लापरवाही बरतने के आरोप में तीन अधिकारियों पर तत्काल कार्रवाई की गई है।
बढ़ते मरीजों ने खड़े किए सवाल
भागीरथपुरा बस्ती में उल्टी-दस्त की शिकायतें तेजी से बढ़ीं। मंगलवार तक मरीजों की संख्या 200 से अधिक हो गई। इतनी बड़ी तादाद में लोग बीमार पड़ने के बाद अधिकारियों पर कार्रवाई की आशंका जताई जा रही थी। नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी संकेत दिए थे कि लापरवाही करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री खुद इस मामले पर लगातार नजर रखे हुए थे।
अधिकारियों पर गिरी गाज
देर रात मुख्यमंत्री ने सख्त कदम उठाते हुए जोनल अधिकारी शालिग्राम सितोले और सहायक यंत्री योगेश जोशी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। वहीं, पीएचई के प्रभारी उपयंत्री शुभम श्रीवास्तव की सेवा तुरंत समाप्त कर दी गई।
जांच कमेटी का गठन
मामले की गहराई से जांच के लिए सीएम ने एक कमेटी गठित की है। आईएएस अधिकारी नवजीवन पंवार के नेतृत्व में यह कमेटी काम करेगी। कमेटी में अधीक्षण यंत्री प्रदीप निगम और मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शैलेश राय को भी शामिल किया गया है।
सीएम का सख्त संदेश
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सोशल मीडिया पर इस कार्रवाई की जानकारी साझा करते हुए कहा कि लोगों के स्वास्थ्य के साथ किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने घटना को अत्यंत गंभीर बताया और प्रभावितों के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।

