Paris Paralympics 2024 : आंकड़ों में समझें पेरिस पैरालिंपिक 2024 में भारत का ऐतिहासिक अभियान

आंकड़ों में समझें पेरिस पैरालिंपिक 2024 में भारत का ऐतिहासिक अभियान

पेरिस में खेले जा रहे पैरालंपिक गेम्स (Paris Paralympics 2024) का समापन रविवार को समाप्त हो गया है। जिसमें भारतीय दल ने अबतक का शानदार प्रदर्शन करते हुए कुल 29 पदक जीते हैं। भारत के लिए पहला मेडल गोल्ड के रूप में अवनी लेखारा ने शूटिंग में जीता और जैवलिन में नवदीप ने गोल्ड जीतकर टूर्नामेंट का समापन किया है। कुल मिलाकर इस बार का आयोजन भारत के लिए सर्वश्रेष्ठ पैरालंपिक्स रहा है।

पेरिस पैरालंपिक में भारत की कहानी कुछ इस प्रकार है, जैसा कि आंकड़े बताते हैं:

रचा इतिहास

भारत ने इस बार इस टूर्नामेंट में अबतक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और सबसे अधिक सात स्वर्ण पदक जीते। इसके अलावा कुल 29 पदक भी सबसे अधिक मेडल काउंट है। भारत के नज़रिए से, पेरिस 2024 को उसके पैरा एथलीटों के कारनामों के लिए हमेशा याद रखा जाएगा।

पदक तालिका में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन

भारत पदक तालिका में शीर्ष 20 में रहा और शीर्ष 15 से बस थोड़ा ही चूक गया। भारत 15वें स्थान से एक स्वर्ण दूर था, जबकि स्पेन सिर्फ दो रजत पदकों के साथ भारत से ऊपर है।

पहली बार ऐसा हुआ

पैरालिंपिक में भारत के लिए कई उपलब्धियाँ पहली बार आईं। शीतल देवी और राकेश कुमार ने मिश्रित टीम स्पर्धा में रिकर्व तीरंदाजी में भारत का पहला पैरालिंपिक पदक जीता। कपिल परमार जूडो में पहले भारतीय पैरालिंपिक पदक विजेता थे, हरविंदर सिंह ने पैरा तीरंदाजी में भी देश का पहला स्वर्ण पदक जीता।

इसके अलावा, इस स्तर पर पहली बार भाग ले रहे होकाटो होटोझे सेमा, नागालैंड के पहले पैरालिंपियन बने, जबकि पुरुषों की शॉटपुट एफ57 में अपने राज्य के पहले पदक विजेता भी बने।

लगातार पदक जीतने वाले एथलीट

अवनी लेखरा (महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल SH1 में स्वर्ण) और मरियप्पन थंगावेलु (पुरुषों की ऊंची कूद T63 में कांस्य) ने अपने-अपने करियर का तीसरा पैरालिंपिक पदक जीता, जो इतिहास में किसी भी अन्य भारतीय द्वारा जीते गए पदकों से अधिक है। पेरिस से पहले केवल जोगिंदर सिंह बेदी और देवेंद्र झाझरिया ने तीन पदक जीते थे। वहीं नवदीप को स्वर्ण पदक की दौड़ में बने रहने के लिए, पुरुषों की भाला फेंक F41 फाइनल में अपने व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन को बेहतर करना था। उन्होंने ऐसा ही किया, उन्होंने जैवलिन थ्रो में अब तक के सबसे दूर 3.05 मीटर दूर तक भाला फेंका। वह अपने ईरानी प्रतिद्वंद्वी की अयोग्यता के चलते गोल्ड जीतने में सफल रहे।

पेरिस में चार स्पर्धाओं में दो भारतीय पोडियम

धरमबीर और प्रणव सूरमा पुरुषों की क्लब थ्रो F51 में पहले और दूसरे स्थान पर रहे। मोना अग्रवाल उसी स्पर्धा में तीसरे स्थान पर रहीं जिसमें अवनी ने स्वर्ण पदक जीता। शरद कुमार और मरियप्पन थंगावेलु पुरुषों की ऊंची कूद T63 में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे, जबकि तुलसीमथी एम और मनीषा रामदास भी महिलाओं के एकल SU5 बैडमिंटन में दूसरे और तीसरे स्थान पर रहीं।

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