रक्षा बजट में ₹50 हजार करोड़ की बढ़ोतरी हो सकती है, आधुनिक तकनीक और हथियारों पर फोकस

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Defence Budget 2025: हाल ही में भारतीय सेना द्वारा संचालित ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में स्वदेशी हथियारों और उन्नत तकनीक का सफल उपयोग हुआ, जिसने भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मजबूती को रेखांकित किया। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन की सफलता के बाद सरकार ने रक्षा बजट में अतिरिक्त आवंटन का फैसला किया है।

Defence Budget 2025: भारत सरकार रक्षा क्षेत्र को और सशक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाने की योजना बना रही है। हालिया खबरों के अनुसार, केंद्र सरकार रक्षा बजट में ₹50 हजार करोड़ की अतिरिक्त बढ़ोतरी का प्रस्ताव लाने वाली है। इस प्रस्ताव को संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में मंजूरी मिलने की संभावना है। इस अतिरिक्त राशि का उपयोग मुख्य रूप से आधुनिक तकनीक, नए हथियारों की खरीद, गोला-बारूद, और रक्षा अनुसंधान व विकास पर किया जाएगा। यह कदम भारत की सैन्य ताकत को बढ़ाने और आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

ऑपरेशन सिंदूर रक्षा बजट बढ़ोतरी का प्रमुख कारण

हाल ही में भारतीय सेना द्वारा संचालित ऑपरेशन सिंदूर ने वैश्विक स्तर पर भारत की सैन्य क्षमता का प्रदर्शन किया। इस ऑपरेशन में स्वदेशी हथियारों और उन्नत तकनीक का सफल उपयोग हुआ, जिसने भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की मजबूती को रेखांकित किया। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन की सफलता के बाद सरकार ने रक्षा बजट में अतिरिक्त आवंटन का फैसला किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई 2025 को अपने संबोधन में ऑपरेशन सिंदूर की प्रशंसा करते हुए कहा, “इस ऑपरेशन ने न केवल हमारी सैन्य ताकत को प्रदर्शित किया, बल्कि स्वदेशी हथियारों की विश्वसनीयता को भी स्थापित किया। 21वीं सदी के युद्ध में भारत निर्मित रक्षा उपकरणों का समय आ गया है।”

रक्षा बजट का वर्तमान परिदृश्य

वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में रक्षा क्षेत्र के लिए ₹6.81 लाख करोड़ का रिकॉर्ड आवंटन किया गया था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 9.53% अधिक है। पिछले दस वर्षों में एनडीए सरकार के कार्यकाल में रक्षा बजट में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है। वर्ष 2014-15 में रक्षा बजट ₹2.29 लाख करोड़ था, जो अब बढ़कर ₹6.81 लाख करोड़ हो गया है। यह देश के कुल बजट का 13.45% है। प्रस्तावित ₹50 हजार करोड़ की अतिरिक्त राशि के साथ, वित्त वर्ष 2025-26 में रक्षा बजट ₹7 लाख करोड़ को पार कर सकता है। यह राशि सशस्त्र बलों की जरूरतों को पूरा करने, उन्नत हथियारों की खरीद, और रक्षा अनुसंधान में निवेश के लिए उपयोग की जाएगी।

आधुनिक तकनीक और हथियारों पर विशेष ध्यान

प्रस्तावित बजट वृद्धि का मुख्य उद्देश्य भारत की सैन्य क्षमताओं को आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना है। सरकार का फोकस इन क्षेत्रों पर है-

स्वदेशी हथियारों का विकास: मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों के तहत, भारत स्वदेशी हथियारों जैसे तेजस, ब्रह्मोस, आकाश मिसाइल, और INS विक्रांत जैसे युद्धपोतों के उत्पादन को बढ़ावा दे रहा है। नई राशि से इन प्रणालियों के उत्पादन और उन्नयन में तेजी आएगी।

उन्नत तकनीक की खरीद

ड्रोन, साइबर सुरक्षा उपकरण, और अंतरिक्ष-आधारित रक्षा प्रणालियों जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाया जाएगा। आधुनिक युद्ध में ड्रोन और साइबर हमलों की भूमिका को देखते हुए, ये क्षेत्र प्राथमिकता में हैं।

रक्षा निर्यात को बढ़ावा

भारत का लक्ष्य 2030 तक रक्षा निर्यात को ₹50 हजार करोड़ तक ले जाना है। वर्तमान में भारत 100 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात करता है, जिसमें मिसाइल, रडार, और गोला-बारूद शामिल हैं। अतिरिक्त बजट से निर्यात क्षमता और बढ़ेगी।

अनुसंधान और नवाचार

रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (iDEX) और ADITI जैसी योजनाओं के माध्यम से स्टार्टअप्स और MSMEs को तकनीकी नवाचार के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।

संसद के शीतकालीन सत्र में मंजूरी की उम्मीद

सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने ₹50 हजार करोड़ के अनुपूरक बजट का प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। इस सत्र में प्रस्ताव को मंजूरी मिलने की प्रबल संभावना है, क्योंकि रक्षा क्षेत्र में निवेश को राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है।

आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक और कदम

रक्षा बजट में इस प्रस्तावित बढ़ोतरी को आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया पहल का हिस्सा माना जा रहा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में कहा, “भारत अब हथियार खरीदने वाला देश नहीं, बल्कि हथियार बनाने वाला देश बन रहा है। हमारी नीतियां स्वदेशी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं।”

पिछले एक दशक में भारत का रक्षा निर्यात ₹686 करोड़ (2013-14) से बढ़कर ₹23,622 करोड़ (2024-25) हो गया है, जो 30 गुना वृद्धि दर्शाता है। निजी क्षेत्र की भागीदारी भी बढ़ी है, wherein 400 से अधिक कंपनियों को लाइसेंस दिए गए हैं और 2500 से अधिक स्टार्टअप्स रक्षा नवाचार में योगदान दे रहे हैं।

वैश्विक परिदृश्य में भारत की स्थिति

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2024 में भारत का सैन्य खर्च ₹7.19 लाख करोड़ था, जो इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा सैन्य व्यय करने वाला देश बनाता है। यह खर्च पाकिस्तान के सैन्य खर्च (₹85,170 करोड़) से लगभग नौ गुना अधिक है। भारत का रक्षा उद्योग न केवल स्वदेशी उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है, बल्कि वैश्विक निर्यातक के रूप में भी उभर रहा है। 2024-25 में 80 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात किए गए, और निर्यात में 12% की वृद्धि दर्ज की गई।

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