Indian Railway Train Secret: Train कोई मामूली या कम वजन की चीज नहीं है, जिसको उठाकर एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सके. इसका आकार और वजन दोनो ही बहुत बड़ा होता है. इसलिए इसे ट्रैक पर चढ़ाने के लिए एक खास और सटीक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है. आज आपको पता लग जायेगा की आखिर ट्रेन कैसे पटरी पे पहुंचाई जाती हैं.
कोई क्रेन और मशीन नहीं बल्कि यह तकनीक है हीरो
अक्सर भारी भरकम चीजों को उठाने के लिए बड़ी बड़ी मशीनें या क्रेन के सहारे उठाया जा सकता है. जी हाँ इसी तरह कई लोग सोचते हैं कि ट्रेन को ट्रैक पर चढ़ाने के लिए बड़ी-बड़ी क्रेन या मशीनें लगती होंगी. लेकिन हकीकत इससे काफी अलग है. इसमें एक खास जुगाड़ तकनीक का सहारा लिया जाता है, जो कम संसाधनों में भी असरदार साबित होती है.
प्लास्टिक प्लेटफॉर्म का है कमाल
तो चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर ट्रेन को को ट्रैक पर कैसे लाते हैं आपको बताएं ट्रैक पर लाने के लिए सबसे पहले पटरी के पास दो मजबूत प्लास्टिक प्लेटफॉर्म लगाए जाते हैं. इन पर ट्रेन का इंजन धीरे-धीरे चढ़ाया जाता है. फिर उसके पीछे जुड़े डिब्बे एक-एक कर ट्रैक पर आ जाते हैं.
डिब्बे ट्रैक से कैसे जुड़ते हैं?
अब आपको बता दें की इंजन जैसे ही ट्रैक पर सेट हो जाता है, वैसे ही उसके पीछे लगे डिब्बों को प्लास्टिक के स्लैब्स की मदद से ट्रैक पर चढ़ाया जाता है. ये डिब्बे पहले से ही ट्रैक के किनारे रखे होते हैं और पहिए स्लैब पर आते ही ट्रैक पर फिसलकर चढ़ जाते हैं.
हाइड्रोलिक जैक और रेल क्रेन
अब बात आती है कुछ विशेष परिस्थितियों में ट्रेन के डिब्बों को ट्रैक पर चढ़ाने के लिए क्या किया जाता है तो आपको बता दें की फिर हाइड्रोलिक जैक और रेल-माउंटेड क्रेन का इस्तेमाल भी किया जाता है. ये मशीनें डिब्बों को उठाकर बिल्कुल सही पोजीशन में पटरी पर बिठाने में मदद करती हैं.
पुराने जमाने की तकनीक से लेकर आधुनिक मशीनों तक
सोचने वाली बात यह है कि पहले के जमाने में जब आधुनिक चीजें नहीं थीं तब आखिर ट्रेन को कैसे पटरी पर लाया जाता रहा होगा तो बताएं की पहले यह काम सिर्फ जुगाड़ तकनीक से होता था, जी हाँ पहले मॉडर्न एक्वीपमेंट नहीं होते थे. वहीं अब रेलवे ने इस प्रक्रिया को ज्यादा सुरक्षित और तेज बनाने के लिए मॉडर्न इक्विपमेंट्स का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इससे डिब्बों को नुकसान भी नहीं होता और समय की बचत भी होती है.