Navy’s Stitched Ship: यह सिला हुआ शिप भारतीय समुद्री विरासत को पुनर्जनन करने का एक अनूठा प्रयास है। इसे केरल के कारीगरों ने गोवा के मेसर्स होडी शिपयार्ड में फरवरी 2025 में लॉन्च किया था। जहाज का डिज़ाइन अजंता की गुफाओं में चित्रित 5वीं शताब्दी के जहाजों से प्रेरित है, जो उस समय के समृद्ध समुद्री व्यापार और जहाज निर्माण कला को दर्शाते हैं।
भारतीय नौसेना ने आज, 21 मई को, कर्नाटक के कारवार नौसैनिक अड्डे पर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए सिला हुआ शिप को अपने बेड़े में शामिल किया। यह जहाज प्राचीन भारतीय जहाज निर्माण कला का जीवंत प्रतीक है, जो 5वीं शताब्दी की अजंता गुफाओं की पेंटिंग से प्रेरित है। इस जहाज को प्राचीन सिलाई तकनीक का उपयोग करके बनाया गया है, जिसमें नाखूनों के बजाय रस्सियों से लकड़ी को जोड़ा जाता है।
प्राचीन कला का पुनर्जनन
यह सिला हुआ शिप भारतीय समुद्री विरासत को पुनर्जनन करने का एक अनूठा प्रयास है। इसे केरल के कारीगरों ने गोवा के मेसर्स होडी शिपयार्ड में फरवरी 2025 में लॉन्च किया था। जहाज का डिज़ाइन अजंता की गुफाओं में चित्रित 5वीं शताब्दी के जहाजों से प्रेरित है, जो उस समय के समृद्ध समुद्री व्यापार और जहाज निर्माण कला को दर्शाते हैं। इस जहाज की खासियत यह है कि इसे बिना किसी धातु के, केवल सिलाई तकनीक, वर्गाकार पाल, और स्टीयरिंग ओअर्स (चप्पू) के साथ बनाया गया है। यह प्राचीन तकनीक न केवल भारत की समुद्री कुशलता को दर्शाती है, बल्कि आधुनिक समय में भी इसकी प्रासंगिकता को रेखांकित करती है।
जहाज की विशेषताएं
सिला हुआ शिप न केवल एक तकनीकी उपलब्धि है, बल्कि भारत की समुद्री विरासत को जीवित रखने का एक प्रतीक भी है। यह जहाज भारतीय नौसेना द्वारा प्राचीन समुद्री व्यापार मार्गों पर संचालित किया जाएगा। इसकी पहली यात्रा गुजरात से ओमान तक होगी, जो प्राचीन व्यापारिक मार्गों को पुनर्जनन करने का प्रयास है। यह जहाज दुनिया में अपनी तरह का इकलौता है, जो इसे भारतीय नौसेना के लिए एक विशेष उपलब्धि बनाता है।
समुद्री विरासत को बढ़ावा
कारवार नौसैनिक अड्डे पर आयोजित समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस जहाज को औपचारिक रूप से नौसेना के बेड़े में शामिल किया। यह आयोजन भारतीय नौसेना की समुद्री विरासत को बढ़ावा देने और प्राचीन जहाज निर्माण कला को विश्व स्तर पर प्रदर्शित करने का एक प्रयास है। यह जहाज न केवल नौसेना की ताकत को दर्शाता है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और तकनीकी विरासत को भी उजागर करता है।
भारतीय नौसेना की बढ़ती ताकत
हाल के वर्षों में भारतीय नौसेना ने अपने बेड़े को आधुनिक और प्राचीन तकनीकों के मिश्रण से मजबूत किया है। हाल ही में आईएनएस सूरत, आईएनएस नीलगिरी, आईएनएस वाघशीर, और आईएनएस तवास्या जैसे युद्धपोतों को शामिल करने के बाद, यह सिला हुआ शिप नौसेना की विविधता और समृद्धि को और बढ़ाता है। यह जहाज न केवल ऐतिहासिक महत्व रखता है, बल्कि यह पर्यटकों और शोधकर्ताओं के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र बनेगा, जो भारत की समुद्री विरासत को समझने में रुचि रखते हैं।