India Pakistan War 1971 और Russia की दोस्ती: Trump को Indian Army ने आइना दिखाया

Indian Army Replies To US President Donald Trump: 1971 की भारत-पाकिस्तान जंग (Story Of India Pakistan War 1971 Hindi) में भारत की जीत और बांग्लादेश के निर्माण में सोवियत यूनियन (Russia) की निस्वार्थ दोस्ती ने इतिहास रचा, जबकि अमेरिका (America) और उसके पश्चिमी सहयोगियों ने भारत के खिलाफ कुटिल साजिशें रचीं। आज, जब अमेरिका और उसके पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) जैसे नेताओं की ऊलजलूल धमकियां भारत (India) को रूस (India Russia Friendship) से दोस्ती तोड़ने के लिए दबाव डाल रही हैं, भारत ने अपने पुराने दोस्तों के साथ खड़े रहने का संकल्प जताया है।

ट्रंप को MEA से करारा जवाब मिलने के बाद इंडियन आर्मी ने 1971 की एक पुरानी अखबार की कटिंग शेयर की, जो अमेरिका को उसकी पुरानी दुश्मनी का आइना दिखाती है। जिसमें सोवियत यूनियन ने अमेरिकी युद्धपोतों को बंगाल की खाड़ी में रोका था।

1971 में रूस ने की थी भारत की मदद

In 1971, Russia helped India: 1970 में पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में स्वतंत्रता की मांग तेज हो गई थी। पाकिस्तानी सेना ने “ऑपरेशन सर्चलाइट” (“Operation Searchlight”) के तहत बंगाली नागरिकों पर बर्बर दमन शुरू किया। लाखों शरणार्थी भारत में आए, जिससे भारत पर दबाव बढ़ा। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी का समर्थन किया। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर युद्ध शुरू कर दिया।

भारत पाकिस्तान 1971 की जंग में अमेरिका किसके साथ था?

Who was the US with in the India Pakistan war of 1971: अमेरिका, जिसका नेतृत्व रिचर्ड निक्सन और हेनरी किसिंजर कर रहे थे, ने पाकिस्तान का खुलकर समर्थन किया। उनकी नीति चीन के साथ नजदीकियों और सोवियत यूनियन के खिलाफ शीत युद्ध का हिस्सा थी।

अरबों के हथियारों की सप्लाई: इंडियन आर्मी द्वारा शेयर की गई 5 अगस्त 1971 की अखबार की कटिंग में खुलासा हुआ कि अमेरिका ने 1954 से लेकर जून 1971 तक पाकिस्तान को 20 अरिलियन डॉलर (लगभग 150 अरब रुपये) के हथियार भेजे थे। इसमें F-86 सेबर जेट, टैंक, और गोला-बारूद शामिल थे, जो भारत के खिलाफ युद्ध में इस्तेमाल हुए।

सातवां बेड़ा (7th Fleet) की धमकी: 10 दिसंबर 1971 को अमेरिका ने USS Enterprise सहित सातवें बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेजा। इस बेड़े में दर्जनों युद्धपोत और सैकड़ों लड़ाकू विमान थे, ताकि भारत पर दबाव डाला जा सके। अखबार की कटिंग में यह भी उल्लेख है कि अमेरिका ने भारत को “सोवियत पिट्ठू” कहकर अपमानित किया।

चीन और ब्रिटेन के साथ गठजोड़: अमेरिका ने ब्रिटेन और चीन को भारत के खिलाफ लामबंद किया। ब्रिटेन ने HMS Eagle तैयार रखा, जबकि चीन ने पाकिस्तान को समर्थन का भरोसा दिया।

इंडियन आर्मी ने यह अखबार की कटिंग शेयर कर अमेरिका को आइना दिखाया कि कैसे वह भारत के खिलाफ साजिश रच रहा था, जबकि आज वही अमेरिका भारत से दोस्ती की उम्मीद करता है।

सोवियत यूनियन की निस्वार्थ दोस्ती: अमेरिकी जहाजों को रोकाजब अमेरिका भारत को घेरने की कोशिश कर रहा था, सोवियत यूनियन ने “शांति, मैत्री और सहयोग संधि” के तहत भारत का साथ दिया।

सोवियत नौसेना का जवाब: 13 दिसंबर 1971 को सोवियत की 10वीं ऑपरेशनल स्क्वाड्रन ने बंगाल की खाड़ी में प्रवेश किया। इसमें परमाणु पनडुब्बियां और क्रूजर शामिल थे, जो अमेरिकी बेड़े का पीछा करने लगे।

अमेरिकी बेड़े को घेरा: सोवियत पनडुब्बियों ने USS Enterprise को घेर लिया, जिससे अमेरिका को अपनी योजना वापस लेनी पड़ी। यह एक बिना युद्ध लड़े जीती गई जंग थी।

कूटनीतिक समर्थन: सोवियत यूनियन ने संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी प्रस्तावों को तीन बार वीटो किया, जिससे भारत को राहत मिली।

भारत की जीत और अमेरिका की हार

16 दिसंबर 1971 को भारत ने युद्ध जीत लिया। पाकिस्तानी सेना ने ढाका में 93,000 सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण किया। सोवियत मदद ने अमेरिका की कुटिलता को नाकाम कर दिया।

ट्रम्प की धमकियां और भारत का जवाब

आज, ट्रम्प जैसे बकवास करने वाले नेता भारत को रूस से दूरी बनाने की धमकी दे रहे हैं। लेकिन इंडियन आर्मी ने 5 अगस्त 1971 की अखबार कटिंग शेयर कर अमेरिका को उसकी दोहरी नीति का सबक सिखाया। कटिंग में उल्लेख है कि अमेरिका ने भारत को कमजोर करने के लिए पाकिस्तान को हथियार दिए, जबकि आज वही भारत से दोस्ती की भीख मांगता है। भारत ने साफ कर दिया कि ट्रम्प की बेवकूफी भरी बातें उसे डराएंगी नहीं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *