Indian Air Force को चाहिए 114 Rafale! 2 लाख करोड़ खर्च होंगे

भारतीय वायुसेना ने रक्षा मंत्रालय को एक बड़ा प्रस्ताव भेजा है, जिसमें 114 ‘मेड इन इंडिया’ रफाल फाइटर जेट्स (Made in India Rafale Fighter Jets) खरीदने की मांग की गई है। यह प्रस्ताव फ्रेंच कंपनी डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) के साथ भारतीय एयरोस्पेस कंपनियों के सहयोग से जेट्स बनाने का है, जिसमें 60% से अधिक उपकरण स्वदेशी होंगे। अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, जो भारत की सबसे बड़ी रक्षा डील (Largest Defense Deal Of India) साबित हो सकती है। यह कदम क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए वायुसेना की जरूरतों को पूरा करेगा।

प्रस्ताव कुछ दिनों पहले भेजा गया है, और आने वाले हफ्तों में रक्षा खरीद बोर्ड (Defense Procurement Board) की बैठक में इस पर चर्चा होगी, जिसकी अध्यक्षता रक्षा सचिव करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यह डील स्वदेशीकरण को बढ़ावा देगी और निजी क्षेत्र की कंपनियों जैसे टाटा (Tata) को शामिल करेगी। डसॉल्ट एविएशन ने हैदराबाद में M-88 इंजनों के लिए MRO सेंटर स्थापित करने की योजना भी बनाई है।

ऑपरेशन सिन्दूर की सफलता

यह प्रस्ताव ऑपरेशन सिंधु (Operation Sindhoor) की सफलता से प्रेरित है, जहां रफाल जेट्स ने पाकिस्तान के खिलाफ अपनी क्षमता साबित की और चीनी PL-15 एयर-टू-एयर मिसाइलों (PL-15 Air-to-Air Missiles) को चकमा दिया। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 36 रफाल जेट्स हैं, और नौसेना ने भी 36 रफाल जेट्स का ऑर्डर दिया है। अगर यह डील फाइनल हुई, तो कुल 176 रफाल जेट्स भारतीय सेनाओं में होंगे। रक्षा विशेषज्ञों ने कहा कि क्षेत्रीय खतरों से निपटने के लिए फाइटर जेट्स की तत्काल जरूरत है। भारत ने पहले ही 180 LCA MK 1A जेट्स का ऑर्डर दिया है और 2035 के बाद स्वदेशी फिफ्थ जेनरेशन फाइटर जेट्स (Indigenous Fifth-Generation Fighters) की योजना बना रहा है।

राफेल का स्वदेशी निर्माण और लागत

प्रस्ताव में डसॉल्ट एविएशन के साथ भारतीय कंपनियों का सहयोग होगा, जहां 60% से अधिक कंपोनेंट्स स्वदेशी होंगे। यह ‘मेक इन इंडिया’ (Make in India) को मजबूत करेगा। अनुमानित लागत 2 लाख करोड़ रुपये है, जो रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा होगी। अगर मंजूरी मिली, तो यह भारत की सबसे बड़ी रक्षा खरीद होगी। डसॉल्ट ने पहले ही फ्रेंच जेट्स के मेंटेनेंस के लिए एक यूनिट स्थापित की है।

रक्षा विशेषज्ञों ने इस प्रस्ताव को स्वागतयोग्य बताया। पूर्व एयर चीफ मार्शल आर.के.एस. भदौरिया ने कहा, “रफाल की सफलता ने साबित किया कि यह जेट्स हमारी जरूरतों के लिए परफेक्ट हैं। स्वदेशी निर्माण से नौकरियां और तकनीक ट्रांसफर होगा।” एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा कि पाकिस्तान और चीन के खतरे को देखते हुए 114 अतिरिक्त जेट्स जरूरी हैं। वायुसेना के पास वर्तमान में 31 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जो स्वीकृत 42 से कम हैं।

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