India Ukraine Ties : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन की अपनी ‘ऐतिहासिक’ यात्रा से स्वदेश लौट आए हैं। राजधानी कीव में मोदी के सात घंटे के प्रवास के दौरान राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बातचीत के साथ भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि रूस अब यूक्रेन के साथ उसके संबंधों में कांटा नहीं बनेगा।
भारत-यूक्रेन संबंध क्यों तनावपूर्ण हो गए?
2014 में क्रीमिया विवाद के बाद से ही भारत और यूक्रेन के संबंधों में तनाव था और रूस के साथ अपने संबंधों के कारण भारत ने यूक्रेन के प्रति ठंडा रवैया अपनाया था, लेकिन अब यह माहौल बदल गया है।
युद्ध को समाप्त करने में भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है। India Ukraine Ties
राष्ट्रपति जेलेंस्की यह जरूर चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करें ताकि वे युद्ध को समाप्त करने में बड़ी भूमिका निभा सकें, लेकिन साथ ही जेलेंस्की ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि युद्ध समाप्त होने के बाद भारत और यूक्रेन के संबंध व्यापक होने तय हैं।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने यूक्रेन का दौरा किया था।
जानकारों का कहना है कि 1991 में पूर्व सोवियत गणराज्य से अलग होने के बाद भारत ने फरवरी 1992 में ही यूक्रेन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए थे। वर्ष 2005 में पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने यूक्रेन का दौरा किया था। वर्ष 2012 में यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच ने नई दिल्ली का दौरा किया था।
जेलेंसकी ने युद्ध के बाद की योजना बताई
जेलेंसकी ने मीडिया के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि, “आगे चलकर हमारे बीच सहयोग के क्षेत्रों की एक बहुत लंबी सूची है। कृषि, तकनीक, चिकित्सा, सुरक्षा, ड्रोन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सामग्री, साइबर अपराध जैसे कई क्षेत्र हैं जहां हम सहयोग करेंगे।
युद्ध खत्म होने के बाद यह काम दस गुना तेजी से होगा। हम दोनों देशों के लिए मिलकर रक्षा उपकरण बनाने के लिए तैयार हैं। युद्ध जरूर खत्म होगा और उसके बाद हम इसके लिए तैयार हैं।”