तालिबान से भारत की दोस्ती देख क्यों घबराया अमेरिका और पाकिस्तान?

India Taliban Relation Impact On USA: अफ़ग़ानिस्तान के तालिबान विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी (Amir Khan Muttaqi) का भारत दौरा (Taliban FM India Visit) साउथ एशिया की राजनीति में भूचाल ला रहा है। 16 अक्टूबर 2025 तक चल रहे इस पहले आधिकिकारिक दौरे ने अमेरिका (US Concerns Taliban) और पाकिस्तान (Pakistan Anxiety India-Taliban) को घबरा दिया है।

मुत्तकी, जो UNSC की प्रतिबंधित सूची में हैं, को विशेष छूट लेकर आए। विदेश मंत्री एस जयशंकर (Amir Khan Muttaqi S Jaishankar Meeting) से संभावित मुलाकात में मानवीय सहायता, व्यापार, आतंकवाद और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा होगी। लेकिन भारत का तालिबान को ‘प्रतिनिधि संस्था’ मानना और मॉस्को फॉर्मेट में ट्रंप की मांग का विरोध करना अमेरिका को चुभ रहा है, जबकि पाकिस्तान को भारत का अफगान प्रभाव बढ़ना (India Afghanistan Influence) खल रहा है। प्रोफेसर ओमैर अनस ने कहा, “यह दौरा सिर्फ दो देशों की बात नहीं, पूरे साउथ एशिया पर असर डालेगा।

मुत्तकी का भारत दौरा

Muttaqi India Visit Agenda: मुत्तकी का यह पहला दौरा तालिबान शासन के 5 साल बाद आया, जो 7 अक्टूबर को मॉस्को फॉर्मेट कंसल्टेशन (Moscow Format Consultation) से प्रेरित है। भारत ने वहां उनका समर्थन किया।

  • मानवीय सहायता और वीजा: अफगान नागरिकों के लिए सुविधाएं, ड्राई फ्रूट निर्यात (Dry Fruit Export) बढ़ाना।
  • व्यापार और इंफ्रा: चाबहार पोर्ट (Chabahar Port Link) से कनेक्टिविटी, अफगानिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मान्यता (International Recognition Taliban)।
  • सुरक्षा मुद्दे: TTP जैसे आतंकी समूहों पर रोक (TTP Terrorism Control), भारत-विरोधी गतिविधियों का अंत। जनवरी 2025 में विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मुत्तकी से बात की थी। प्रोफेसर राजन राज ने कहा, “भारत अब तालिबान को गंभीरता से ले रहा है, क्योंकि वे लंबे समय तक रह सकते हैं। बातचीत जरूरी है।”

अमेरिका क्यों घबरा गया? ट्रंप की मांग पर भारत का विरोध

अमेरिका को सबसे ज्यादा चिंता ट्रंप की बगराम एयरबेस (Bagram Airbase Claim) वापसी की मांग से है। मॉस्को फॉर्मेट में भारत ने ट्रंप के प्रस्ताव का विरोध किया, जो तालिबान को अमेरिकी हितों के खिलाफ खड़ा करता है। ट्रंप की चिंता बढ़ी (Trump Concerns India-Taliban), क्योंकि यह अफगानिस्तान में अमेरिकी प्रभाव कम करता है। प्रोफेसर ओमैर अनस ने कहा, “भारत का स्टैंड तालिबान के पक्ष में है, जो अमेरिका-भारत संबंधों में खटास ला सकता है।” ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद भारत की क्षेत्रीय रणनीति ने अमेरिका को सोचने पर मजबूर कर दिया।

पाकिस्तान सबसे ज्यादा घबरा गया, क्योंकि भारत-तालिबान निकटता (India-Taliban Ties) उसके अफगान प्रभाव को कमजोर करेगी। पाकिस्तान का कंट्रोल हक्कानी नेटवर्क (Haqqani Network Pakistan) से था, लेकिन अब तालिबान भारत से करीब आ रहा। प्रोफेसर राजन राज ने कहा, “पाकिस्तान नहीं चाहता कि अफगानिस्तान-भारत रिश्ते अच्छे हों।” अफगानिस्तान पाकिस्तान पर निर्भरता घटाना चाहता है, क्योंकि पाक ने आंतरिक संघर्षों में हथियारबंद समूहों को ट्रेनिंग दी। ओमैर अनस ने जोड़ा, “पाकिस्तान ने पड़ोसी होने के नाते मदद की, लेकिन नाजायज फायदे बहुत उठाए।” श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल में तख्तापलट से पाकिस्तान को फायदा हुआ, लेकिन भारत अब अफगानिस्तान से अलग-थलग करने की रणनीति पर है।

भारत को दौरे से आर्थिक प्रतिबंध कम करने में मदद मिलेगी, जैसे हाल के भूकंप में सहायता। अगर तालिबान भारत-विरोधी गतिविधियां रोकने का भरोसा दे, तो दौरा सफल। पश्चिमी देश सराहेंगे, भारत तालिबान-पश्चिम ब्रिज बनेगा। प्रोफेसर ओमैर अनस ने कहा, “भारत को सुनिश्चित करना चाहिए कि अफगानिस्तान अपनी जमीन का भारत-विरोधी इस्तेमाल न करे।”

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