रूस को लेकर भारत का स्टैंड क्लियर नहीं? मुसीबत में ये हैं मित्र देश

India on Russia : चारों तरफ विरोधी देशों से घिरे भारत का पाकिस्तान के साथ तनातनी ने जब सैन्य जंग का रूप ले लिया। वास्तव में यह वह समय था जब भारत के मित्र देशों की सूची तैयार होना शुरू हुई। भारत अमेरिका, रूस, यूक्रेन और चीन के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने में लगा है। लेकिन जब पाकिस्तान के साथ भारत ने जंग छेड़ी तो सामने से कोई भी देश भारत के समर्थन में खुलकर नहीं खड़े हुए, फिर चाहे वह अमेरिका हो या रूस।

इनमें रूस को लेकर चर्चा अधिक हो रही है कि आखिर रूस, जो भारत की सैन्य शक्तियों को मजबूत करने के लिए एयर डिफेंस सिस्टम का सौदा कर व्यापारिक रिश्तों को मजबूत किया, उस देश ने पाकिस्तान के खिलाफ भारत का पक्ष क्यों नहीं लिया। रूस ने भी भारत को सीजफायर करने की सलाह दे दी। इस बीच भारत के लिए अब यह जरूरी हो गया है कि रूस को लेकर भारत अपना स्टैंड क्लियर करें कि वह किसके साथ खड़ा है।

रूस को लेकर भारत का क्या है स्टैंड?

हाल ही के कुछ सालों में भारत ने विदेशों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अमेेरिका, रूस और ब्रिटेन सहित कई पश्चिमी देशों से हाथ मिलाया है। जिनके साथ भारत ने व्यापारिक रिश्तों की आढ़ में देश की ताकत को बढ़ाने का काम किया है। लेकिन भारत ने रूस के साथ हाथ मिलाकर कई पश्चिमों देशों को नाराज भी कर दिया है। जिससे खुद भारत की सुरक्षा के भविष्य पर संकच मंडराता दिख रहा है।

ऐसे में भारत के पास सिर्फ तीन ही विकल्प हैं जो भारत को रणनीतिक जरूरतों, आंतरिक राजनीतिक दांवपेच और वैश्विक स्थिति पर ध्यान देते हुए लेना होगा। खासतौर पर भारत को रूस और चीन को लेकर अपना स्टैंड क्लियर करना होगा। आईए अब भारत और रूस के बीच के संबंधों पर भी नजर डाल लेते हैं…

रूस को लेकर भारत के विचार (India Russia Relations)

भारत ने पारंपरिक रूप से रूस से हथियार, ऊर्जा और सैन्य सहयोग लिया है। रूस की निर्भरता चीन पर अधिक होने के कारण, भारत को रूस का समर्थन मिलना संभव है, खासकर यदि वह पश्चिमी दबावों से बचना चाहता है। हालांकि, रूस अब भारत पर कम निर्भर है, जिसकी वजह है कि रूस की विदेश नीति प्रबल हो गई है। इसके अलावा रूस भारत की स्वतंत्रता और उसके हितों की चिंता तभी करेगा जब भारत यूक्रेन युद्ध और ऊर्जा व्यापार में रूस के साथ खड़ा होगा।

वहीं, अगर बात करें कि पाकिस्तान और भारत के बीच सीजफायर होने का समर्थन करने का तो रूस ने भारत को सीजफायर की सलाह इसलिए दी क्योंकि जब रूस और यूक्रेन का युद्ध चल रहा था तब भारत ने ही सबसे पहले रूस को सैन्य समर्थन देने के बजाय सीजफायर की सलाह दी थी। ऐसे में रूस भी जानता है कि भारत अभी रूस को लेकर अपना स्टैंड स्पष्ट नहीं कर पाया है। इसके अलावा भारत का पश्चिमी देशों के प्रति झुकाव भी रूस की बड़ी पेरशानी है।

भारत का पश्चिमी देशों के प्रति बढ़ता झुकाव

इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत आर्थिक और सैन्य शक्तियों की बढ़ोत्तरी के लिए पश्चिमी देशों, विशेषकर अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के साथ जुड़ने का विचार कर रहा है। अमेरिका और उसके सहयोगी भारत को चीन के मुकाबले एक मजबूत साझेदार के रूप में देख रहे हैं। अगर भारत अपनी दूरी रूस से बढ़ाता है तो पश्चिमी देशों के साथ सहयोग बढ़ जाएगा। इससे भारत की वैश्विक भूमिका और सुरक्षा रणनीति को मजबूती मिल सकती है।

स्वतंत्र विदेश नीति का पालन कर रहा भारत

भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति का पालन कर रहा है, जिसमें वह न तो पूरी तरह से पश्चिम का समर्थन करता है और न ही रूस का। भारत की कोशिश है कि वह संप्रभुता का उल्लंघन न हो, और दोनों पक्षों के साथ संतुलित रिश्ता बनाए रखे। यह रणनीति भारत को अंतरराष्ट्रीय दवाबों से बचाने और अपने हितों को प्राथमिकता देने की अनुमति देती है।

भारत किसे बनाएगा मित्र देश?

मित्र देशों के चुनाव में भारत का निर्णय इस बात पर भी निर्भर करेगा कि वह वैश्विक शक्ति के रूप में अपनी स्थिति कितना मजबूत मानता है। अगर भारत पाकिस्तान और चीन के साथ सीमा विवादों की चुनौतियों का सामना करना चाहता है तो पश्चिमी देशों का समर्थन भारत के लिए जरूरी है। लेकिन समस्या ये भी है कि वर्तमान में भारत ऊर्जा, हथियार और ऊर्जा स्रोतों के लिए रूस पर निर्भर है। इसलिए रूस से भी रिश्ते नहीं तोड़ सकता है।

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