MP में देश के सबसे पुराने मंदिर की खोज!

PANNA

पन्ना जिले का नचना कुठार गांव पुरातत्व महत्व का गांव है. यहां पहले से ही पांचवीं और आठवीं सदी के मंदिरों का समूह है. इनमें से एक है पार्वती मंदिर और दूसरा है चतुर्मुख शिव मंदिर। इन मंदिरों के आसपास 8 मिट्टी के टीले हैं. पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी कहते हैं कि इनमें से दो टीले खुदाई के लिए चयनित किए गए हैं.

India’s oldest temple, Bharat Ka Sabse Purana Mandir, Panna News, Duniya Ka Sabse Purana Mandir, ASI Survey: इन दिनों ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा देश की सबसे पुरानी मंदिर की खोज की जा रही है. खुदाई का काम शुरु हो चुका है. जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी देखेंगे कि क्या मिलता है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि इन टीलों के नीचे ऐतिहासिक धरोहर छिपी हुई है. सर्वे करने करने गई टीम को भी यही अनुमान है कि यहां पांचवीं शताब्दी से भी पुराना ऐतिहासिक स्मारक मिल सकता है. ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया के जबलपुर सर्किल के पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ये कहते हुए उत्साहित हो जाते हैं.

इन दिनों ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा देश की सबसे पुरानी मंदिर की खोज की जा रही है. खुदाई का काम शुरु हो चुका है. जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी देखेंगे कि क्या मिलता है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि इन टीलों के नीचे ऐतिहासिक धरोहर छिपी हुई है. सर्वे करने करने गई टीम को भी यही अनुमान है कि यहां पांचवीं शताब्दी से भी पुराना ऐतिहासिक स्मारक मिल सकता है. ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया के जबलपुर सर्किल के पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ये कहते हुए उत्साहित हो जाते हैं.

इन दिनों ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया द्वारा देश की सबसे पुरानी मंदिर की खोज की जा रही है. खुदाई का काम शुरु हो चुका है. जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी देखेंगे कि क्या मिलता है, लेकिन यहां के लोगों का कहना है कि इन टीलों के नीचे ऐतिहासिक धरोहर छिपी हुई है. सर्वे करने करने गई टीम को भी यही अनुमान है कि यहां पांचवीं शताब्दी से भी पुराना ऐतिहासिक स्मारक मिल सकता है. ऑर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया के जबलपुर सर्किल के पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी ये कहते हुए उत्साहित हो जाते हैं.

पन्ना जिले के गुन्नौर के नचना-कुठार गांव में ASI की टीम ये खुदाई कर रही है. दरअसल यहां पहले से ही पुरातात्विक महत्व के दो मंदिर हैं. एक पांचवीं शताब्दी का पार्वती मंदिर और दूसरा चौमुखनाथ का शिव मंदिर। ये आठवीं शताब्दी का है. ASI का अनुमान है कि इससे भी पुराना स्मारक खुदाई के बाद मिल सकता है. यदि ऐसा कोई स्मारक मिलता है तो देश के मंदिरों का इतिहास बदल जाएगा। इसकी शुरुआत 2000 साल यानी कि ईसा से पहले की शताब्दी से होगी।

मिट्टी के आठ टीलों में छिपा है रहस्य

पन्ना जिले का नचना कुठार गांव पुरातत्व महत्व का गांव है. यहां पहले से ही पांचवीं और आठवीं सदी के मंदिरों का समूह है. इनमें से एक है पार्वती मंदिर और दूसरा है चतुर्मुख शिव मंदिर। इन मंदिरों के आसपास 8 मिट्टी के टीले हैं. पुरातत्वविद डॉ. शिवाकांत वाजपेयी कहते हैं कि इनमें से दो टीले खुदाई के लिए चयनित किए गए हैं. इनमें से एक टीला पार्वती मंदिर से केवल 33 मीटर की दूरी पर है. ASI की टीम ने अभी प्रारंभिक खुदाई की है. डॉ. वाजपेयी कहते हैं कि जैसे-जैसे खुदाई आगे बढ़ेगी तो पता चलेगा कि हमें क्या मिलता है.

खुदाई में अभी तक क्या-क्या मिला?

पुरातत्व विभाग ने खुदाई के लिए जो दो टीले चयनित किए हैं उनमें से एक खुदाई के दौरान ईंट और एक शिवलिंग मिला है. हलांकि, ये शिवलिंग कितना पुराना है और किस पत्थर से बना है, इसके बारे में अभी पुरातत्व की विभाग कुछ नहीं चाहता, लेकिन शुरूआती अनुमान लगाया जा रहा है कि टीले से मिली ये संरचना पहली या दूसरी शताब्दी की हो सकती है.

गुप्तकाल में व्यापारिक केंद्र था नचना कुठार

डॉ. शिवाकांत वाजपेयी कहते हैं कि नचना-कुठार पुरातत्व के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण साइट है. आज के समय में ये एक छोटा गांव है, लेकिन गुप्तकाल में यह समृद्ध शहर और व्यापारिक केंद्र रहा होगा। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के पहले महानिदेशक जनरल अलेक्जेंडर कनिंघम ने इस जगह की खोज की थी. जनरल कनिंघम ने यह दो पुराने मंदिरों की खोज की थी. 1885 में इससे जुड़ी रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई है. इसमें पहला था पार्वती मंदिर। इसे शुरूआती पांचवीं शताब्दी का मंदिर बताया जाता है. वहीं दूसरी चतुर्मुख शिव मंदिर। यह आठवीं और नौवीं शताब्दी का मंदिर बताया जाता है.

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