India-Pakistan Cross Border Business: भारत और पाकिस्तान के बीच अटारी-वाघा (wagah-attari border close) बॉर्डर बंद होने से दोनों देशों के बीच व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध खराब हो रहे हैं। यह बॉर्डर इन दोनों देशों के बीच व्यापार का एक ऐसा द्वारा था जिससे दोनों देशों को द्विपक्षीय व्यापार करने का लाभ मिलता था। परंतु पहलगाम (pahalgam terrorist attack)में हुए आतंकवादी हमले के बाद से ही भारत ने सख्त कदम उठाते हुए अटारी वाघा बॉर्डर को बंद करने का निर्णय लिया है जिससे दोनों देशों के बीच माल और यात्रियों की आवाजाही बंद हो चुकी है।

भारत के लिए अटारी वाघा बॉर्डर एक ऐसा सक्रिय भूमि मार्ग है जो दोनों देशों को द्विपक्षीय व्यापार करने की इजाजत देता है। यह मार्ग न केवल व्यापार के लिए आवश्यक है बल्कि संस्कृति और सामाजिक गतिविधियों के लिए भी महत्वपूर्ण था। यहां से ही अफगानिस्तान का माल भी लाया-ले जाया जाता था। इस मार्ग के बंद होते ही करीबन 4000 करोड़ के व्यापार पर तत्कालीन प्रभाव पड़ा है।
इस मार्ग से होता था यह द्विपक्षीय व्यापार
इस मार्ग से भारत पाकिस्तान को सोयाबीन, चिकन फीड, सब्जियां, लाल मिर्च, प्लास्टिक और अनाज जैसे उत्पाद का निर्यात (indian export) करता था। तो वहीं पाकिस्तान और अफगानिस्तान से सूखे मेवे, जिप्सम, सीमेंट, ग्लास सेंधा नमक और अन्य मसाले(imported products from pakistan) यहां आते थे। परंतु इस मार्ग के बंद होते ही अब इन दोनों देशों को वस्तुओं की आपूर्ति में बाधा झेलनी होगी जिससे दोनों देशों को ही व्यापारिक नुकसान होगा।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की टूटेगी कमर
हालांकि फेडरेशन ऑफ़ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गेनाइजेशन(FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय की माने तो पाकिस्तान से भारत का व्यापार बंद होने के पश्चात भारत के अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर कुछ ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि यह केवल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का कुल 0.06% है(global market analysis) जिससे केवल पंजाब और सीमावर्ती राज्यों के व्यापारियों को थोड़ा बहुत नुकसान होगा। परंतु इसके लिए भी भारत सरकार कोई ना कोई विकल्प जरूर तलाश लेगी।
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हालांकि इस निर्णय से पाकिस्तान को बहुत गहरा नुकसान होने वाला है। पाकिस्तान को इस बॉर्डर के बंद होने की वजह से करीबन 4000 करोड(loss for pakistan) रुपए तक का नुकसान झेलना पड़ सकता है जोकि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए भारी हानि साबित होने वाला है और इस निर्णय के पश्चात भारत और पाकिस्तान के बीच में पहले से ही तनावपूर्ण संबंध और ज्यादा तनाव पूर्ण होने की आकांक्षा भी दिखाई देती है।
हालांकि भारत सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय देश के हित मे बहुत ज्यादा जरूरी था क्योंकि इस निर्णय की वजह से पाकिस्तान को बहुत बड़ा झटका लगेगा और पाकिस्तान में आंतरिक अस्थिरता उत्पन्न होगी।