1971 में जब भारत पाकिस्तान युद्ध चल रहा था तब अमेरिका ने पाकिस्तान की सहायता के लिए अपने नौसेना के सातवें बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था.
16 दिसंबर 1971 को भारत ने पाकिस्तान को जबरजस्त शिकस्त दी थी और पकिस्तान को दो टुकड़ो में बाट दिया था. महज 13 दिनों के भीतर पाकिस्तान के 93 हजार सैनकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण किया था. इसी युद्ध के बाद बांग्लादेश का उदय हुआ.
भारत के खिलाफ था अमेरिका
अमेरिका के तात्कालिक राष्ट्रपति निक्सन ने इस युद्ध में पूरी तरह से पाकिस्तान का साथ दिया। एक समय तो ऐसा भी आया जब अमेरिका ने पाकिस्तान की सहायता के लिए अपने नौसेना के सातवें बेड़े को बंगाल की खाड़ी में भेज दिया था.पाकिस्तानी नौसेना के बेड़े में शामिल अमेरिका निर्मित पीएनएस गाजी (PNS Ghazi), जो भारतीय पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) को तबाह करने के इरादे से बढ़ रहा था, उसे भारतीय नौसेना ने विशाखापत्तनम के पास ही डुबो दिया. वास्तव में यह अमेरिका के लिए एक बड़ा झटका था.
रूस ने दिया भारत का साथ
जब अमेरिका ने बंगाल की खाड़ी में अपने नौसेना के सातवें बेड़े को भेजा। तब भारत ने रूस (उस दौर का सोवियत संघ ) से सहायता मांगी। दिलचस्प बात यह थी कि संयोगवश युद्ध शुरू होने के कुछ ही महीने पहले ही दोनों देशों के साथ सोवियत-भारत शांति, मैत्री और सहयोग संधि हुई थी. रुस ने तुरंत भारत की सहायता के लिए अपनी परमाणु क्षमता से लैस पनडुब्बियों और विध्वंसक जहाजों को प्रशांत महासागर से हिंद महासागर की ओर भेज दिया था.
जब जब भारत पर अंतराष्ट्रीय दबाव आता है तब रुस भारत के पक्ष में खड़ा दिखता है. इसके कई उदाहरण हैं। जब सयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में अमेरिका युध्य विराम का प्रस्ताव लाया तब रुस ने वीटो लगाकर भारत की मदद की.
93000 सैनिकों ने किया था आत्मसमर्पण
पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपने 93000 सैनको के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था. यह इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है. इस प्रकार भारत की इस युद्ध में जबरजस्त जीत हुई।