Operation Sindoor: भारत के जाने माने विश्लेषकों का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ अगर तनाव लंबे समय तक चलता रहा तो बाजारों में गिरावट आ सकती है. पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पाक के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर जवाबी हमला किया है. लेकिन उनका कहना है कि अगर इस तरह की कार्रवाई केवल चुनिंदा लक्ष्यों तक ही सीमित रही और तनाव नहीं बढ़ता है तो समय के साथ बाजारों में सुधार देखने को मिल सकता है.
निवेश अधिकारी ने बताया Past और Present Situation
Quest investment advisors के मुख्य निवेश अधिकारी अनिरुद्ध सरकार ने कहा कि अतीत बताता है कि भारतीय बाजारों ने पाकिस्तान के साथ संघर्ष के दौरान और उसके बाद भी अधिकांश समय तक अच्छा प्रदर्शन किया है. इस बार भी वैसी ही स्थिति है.
आपको यह भी बता दें की सरकार ने कहा, पिछले दो सप्ताह से भू-राजनीतिक चिंताएं बनी हुई हैं फिर भी विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) का हमारे बाजारों में निवेश बरकरार रहा जिनसे इन अल्पावधि सीमा संघर्षों के प्रति हमारी आर्थिक मजबूती का पता चलता है. ऐसे किसी भी सैन्य अभियान का हमारी अर्थव्यवस्था या बाजार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा, जो चुनिंदा लक्ष्यों तक सीमित होगा और कुछ दिनों या हफ्तों में समाप्त हो जाएगा. अगर तनाव लंबे समय तक चला (हालांकि आशंका फिलहाल नहीं नज़र आ रही) तो इसका निवेशक धारणा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वे जोखिम से बचना पसंद करेंगे.
कारगिल वार के समय बाजारों की स्थिति
आज आपको बाजारों पर इन सब का क्या असर होगा यह उदाहरण के जरिए समझाते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 के मध्य में करगिल संघर्ष के दौरान बाजारों में बड़ी गिरावट आई थी. हालांकि, जब यह स्पष्ट हो गया कि लड़ाई लंबी नहीं चलेगी तो बाजारों ने मजबूती से वापसी की. स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अंबरीश बालिगा भी यही मानते हैं कि अगर ऑपरेशन सिंदूर लक्षित हमलों के साथ एक दायरे के भीतर ही सीमित रहता है और जल्द समाप्त हो जाता है तो बाजार में अच्छी रिकवरी देखने को मिल सकती है. और यदि मौजूदा संघर्ष बढ़ता है तो अनिश्चितता बाजार को डुबो देगी.
गौरतलब है की बालाकोट के बाद भी हमने बाजारों में तेजी देखी है. अल्फानीति फिनटेक के सह-संस्थापक और निदेशक U R Bhatt का मानना है कि ऑपरेशन सिंदूर को बाजार ने पचा लिया है. साथ ही स्थिरता के लिए इस बारे में ज्यादा जानकारी की जरूरत है कि पाकिस्तान इन घटनाक्रम पर किस तरह प्रतिक्रिया करेगा.
Economics Research के संस्थापक और शोध प्रमुख जी चोकालिंगम ने कहा कि बाजार सेगमेंटों के भीतर Small और Midcap का प्रदर्शन Large Cap की तुलना में कमजोर रह सकता है क्योंकि भूराजनीतिक घटनाक्रम की वजह से खुदरा निवेशकों की भागीदारी कमजोर पड़ सकती है. चोकालिंगम का मानना है कि, जब तक सीमा पर तनाव कम नहीं हो जाता, तब तक हम लार्जकैप, खासकर सेंसेक्स और निफ्टी शेयरों की ओर कुछ झुकाव की सलाह देंगे. लेकिन अगर पाकिस्तान के साथ कोई टकराव या युद्ध हुआ तो लार्ज-कैप सहित पूरे बाजार में खासी गिरावट देखने को मिल सकती है. हालांकि यह किस स्तर का होगा और कितने समय का होगा यह भी निर्भर करेगा.