भारत रूस से तेल खरीदारी कम कर सकता है: ट्रंप के दबाव और वैश्विक बाजार में बदलाव

भारत रूस से तेल की खरीदारी (Oil Purchases from Russia) को धीरे-धीरे कम कर सकता है, ऐसा दावा 23 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में किया गया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के दबाव और वैश्विक ऊर्जा बाजार (Global Energy Market) में बदलाव के कारण लिया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने रूस से तेल आयात (Russian Oil Imports) को 2025 के अंत तक 30% तक कम करने की योजना बनाई है, जो वर्तमान में कुल आयात का 40% है।

ट्रंप का दबाव: तेल आयात पर जोर

अमेरिका लंबे समय से भारत पर रूस से तेल आयात कम करने का दबाव डाल रहा है, क्योंकि मॉस्को इस राजस्व का इस्तेमाल यूक्रेन युद्ध (Ukraine War Funding) में कर रहा है। ट्रंप ने हाल ही में कहा, “भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा, क्योंकि हमने उन्हें बताया है कि यह उनके हित में नहीं है।” इस बयान के बाद भारतीय पेट्रोलियम मंत्रालय (Petroleum Ministry) ने रणनीति पर पुनर्विचार शुरू किया।

वैश्विक बाजार में बदलाव

रूस से तेल आयात में कमी के पीछे वैश्विक बाजार में बदलाव भी एक कारण है। सऊदी अरब (Saudi Arabia) और अमेरिका (United States) ने भारतीय रिफाइनरियों को बेहतर डील्स ऑफर की हैं, जिसमें कीमतों में छूट और लॉन्ग-टर्म कॉन्ट्रैक्ट्स शामिल हैं। इसके अलावा, रूसी तेल की आपूर्ति में अनिश्चितता (Supply Uncertainty) बढ़ी है, क्योंकि यूक्रेन के ड्रोन अटैक (Drone Attacks on Russian Refineries) ने मॉस्को की रिफाइनिंग क्षमता को प्रभावित किया है।

कितना कम होगा आयात?

  • वर्तमान: रूस से तेल आयात 40% (लगभग 1.8 मिलियन बैरल प्रति दिन)।
  • 2025 के अंत तक: 30% (लगभग 1.35 मिलियन बैरल प्रति दिन)। यह कमी मुख्य रूप से हल्के ग्रेड के क्रूड ऑयल (Light Crude Oil) में होगी, जो अमेरिका और सऊदी अरब से आयात बढ़ाकर पूरा की जाएगी।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने कहा, “हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा (Energy Security) को सुनिश्चित करने के लिए विविधीकरण पर ध्यान दे रहे हैं।” भारत ने पहले ही अमेरिका से 10% और सऊदी अरब से 15% अधिक तेल आयात करने की योजना बनाई है। यह कदम न सिर्फ ट्रंप के दबाव को संतुलित करेगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की बातचीत की शक्ति (Bargaining Power) को भी बढ़ाएगा।


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