Independence Day 2025 : आज 15 अगस्त का दिन पूरे भारत में स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। साल 1947 में इसी तारीख को भारत को अंग्रेजों के जुल्मों से आजादी मिली थी। भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का खून-पसीना शामिल था। उनके दृढ़ विश्वास से ही देश परतंत्रता की बेड़ियों को तोड़कर आजाद हो पाया। लेकिन क्या आपको पता है कि जब भारत को आजादी मिली थी, तो महात्मा गांधी उस जश्न में शामिल नहीं थे। उस समय वे दिल्ली से हजारों किलोमीटर दूर बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे।
महात्मा गांधी आजादी के दिन क्यों थे दुखी?
आपको हैरानी होगी कि महात्मा गांधी इस स्वतंत्रता जश्न में शामिल नहीं हो सके। दरअसल, आजादी से दो सप्ताह पहले गांधीजी दिल्ली छोड़ गए थे। उन्होंने चार दिन कश्मीर में बिताए और उसके बाद ट्रेन से कोलकाता की ओर रवाना हो गए, जहां लंबा दंगा चल रहा था। 15 अगस्त 1947 को जब भारत को स्वतंत्रता मिली, तब गांधीजी उस जश्न में नहीं थे, क्योंकि वे बंगाल के नोआखली में थे, जहां वे हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच हो रही सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए अनशन कर रहे थे। गांधीजी ने 15 अगस्त 1947 का दिन 24 घंटे का उपवास करके मनाया था। उस समय देश को आजादी तो मिल गई थी, लेकिन इसके साथ ही देश का विभाजन भी हो गया था। पिछले कुछ महीनों से देश में हिंदू-मुस्लिम दंगे जारी थे, जिसे देख कर गांधीजी बहुत दुखी थे।
महात्मा गांधी ने नेहरू का भाषण क्यों नहीं सुना था?
14 अगस्त की मध्यरात्रि को जवाहर लाल नेहरू ने अपना प्रसिद्ध भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ दिया था। इस भाषण को पूरी दुनिया ने सुना, लेकिन गांधीजी ने नहीं, क्योंकि उस दिन वे जल्दी सो गए थे।
स्वतंत्रता दिवस से जुड़े किस्से
स्वतंत्रता दिवस से जुड़ी एक नहीं बल्कि कई दिलचस्प किस्से हैं। भारत को आजाद करने के लिए किसने और क्यों 15 अगस्त की तारीख चुनी। इसके पीछे क्या वजह थी? आइए जानते हैं कि आजादी के लिए 15 अगस्त की तारीख क्यों चुनी गई…
भारत के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटन ने भारत की स्वतंत्रता का दिन 15 अगस्त तय किया। दरअसल, ब्रिटिश संसद ने कई वर्षों के संघर्ष के बाद भारत को आजाद करने का फैसला किया था। संसद ने 30 जून 1948 को भारत को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया था, लेकिन माउंटबेटन ने पहले ही भारत को स्वतंत्रता देने का फैसला कर लिया।
माउंटबेटन ने 15 अगस्त का दिन इसलिए चुना क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि और दंगे और खूनखराबा हो। यह दिन उन्होंने इसलिए भी चुना क्योंकि दो साल पहले, 1945 में, जापान ने इसी दिन दूसरे विश्व युद्ध में आत्मसमर्पण किया था। 15 अगस्त 1947 को लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने कार्यालय में काम किया। दोपहर में नेहरू ने उन्हें अपनी मंत्रिमंडल की सूची सौंपी और बाद में वे इंडिया गेट के पास प्रिसेंज गार्डेन में एक सभा को संबोधित किया।
यह भी जानिए कि आखिर क्यों स्वतंत्रता पहले ही मिल गई। ब्रिटिश शासन की योजना के मुताबिक, जून 1948 तक भारत को आजाद नहीं होना था, लेकिन देश में बढ़ते जन आंदोलन और हिंसा के चलते माउंटबेटन ने यह तारीख अगस्त 1947 कर दी।
15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा तय नहीं हुई थी। इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ, जो दोनों देशों की सीमाओं का निर्धारण करता है।
राष्ट्रीय ध्वज में पहले ये तीन रंग थे
भारत के पहले ध्वज में लाल, पीला और हरा रंग थे। भारत का राष्ट्रीय ध्वज 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में स्वीकृत हुआ। भारत के पास उस समय कोई स्वतंत्र राष्ट्रगान नहीं था। हालांकि, रवींद्रनाथ टैगोर का ‘जन-गण-मन’ 1911 में लिखा गया था, लेकिन इसे 1950 में आधिकारिक राष्ट्रगान बनाया गया। पहली बार लाल किले से नहीं फहराया गया था तिरंगाहर साल 15 अगस्त को भारत के प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं। हालांकि, 1947 में ऐसा नहीं हुआ था। नेहरू ने 16 अगस्त, 1947 को लाल किले से झंडा फहराया। भारतीय डाक विभाग के एक संस्मरण के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को सुबह 6 बजे पहली बार राष्ट्रीय ध्वज को सलामी दी गई। उस समय, ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पंडित नेहरू के साथ मिलकर यूनियन जैक उतारने का कार्यक्रम स्थगित कर दिया था, ताकि ब्रिटेन की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
यह भी पढ़े : Independence Day 2025 : 15 August पर किस Prime Minister ने सबसे ज्यादा बार फहराया तिरंगा?