भारतीय सेना की मारक क्षमता को बढ़ाने के लिए अमेरिका से तीन अत्याधुनिक AH-64E अपाचे अटैक हेलिकॉप्टरों (Apache Attack Helicopters) की पहली खेप 22 जुलाई 2025 को भारत पहुंची। ये हेलिकॉप्टर हिंडन एयर बेस (Hindon Air Base) पर एक एंटोनोव ट्रांसपोर्ट विमान के जरिए उतरे और अब इन्हें पाकिस्तान से सटी पश्चिमी सीमा के पास जोधपुर (Jodhpur Deployment) में तैनात किया जाएगा। 2020 में 600 मिलियन डॉलर (करीब 4100 करोड़ रुपये) की डील के तहत कुल छह हेलिकॉप्टर खरीदे गए हैं, जिनमें से बाकी तीन इस साल के अंत तक पहुंचेंगे।
अपाचे हेलिकॉप्टर की खासियत
AH-64E अपाचे को दुनिया का सबसे उन्नत मल्टी-रोल अटैक हेलिकॉप्टर (Advanced Multi-Role Helicopter) माना जाता है। यह हर मौसम में उड़ान भरने में सक्षम है और इसमें 30mm ऑटोमैटिक चेन गन (30mm Chain Gun) है, जो प्रति मिनट 625 राउंड फायर कर सकती है। इसके अलावा, यह 16 AGM-114 हेलफायर मिसाइलें (Hellfire Missiles) और स्टिंगर मिसाइलें (Stinger Missiles) ले जा सकता है, जो हवा से हवा और हवा से जमीन पर हमले के लिए प्रभावी हैं। लॉन्गबो रडार (Longbow Radar) की मदद से यह 128 टारगेट्स को एक मिनट में ट्रैक कर सकता है और खतरों को प्राथमिकता दे सकता है। रात में भी ऑपरेशन के लिए इसमें अत्याधुनिक नाइट विजन और टारगेटिंग सिस्टम (Night Vision Systems) हैं, जो इसे “हवा में टैंक” (Tanks in the Air) की उपमा देते हैं।
जोधपुर में तैनाती और रणनीतिक महत्व
इन हेलिकॉप्टरों को जोधपुर के नगतलाव में 451 आर्मी एविएशन स्क्वाड्रन (451 Aviation Squadron) में शामिल किया जाएगा, जिसे मार्च 2024 में विशेष रूप से अपाचे के लिए गठित किया गया था। जोधपुर की रणनीतिक स्थिति इसे पाकिस्तान सीमा (Pakistan Border) के पास महत्वपूर्ण बनाती है, खासकर ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के बाद, जब भारत-पाक तनाव बढ़ा था। अपाचे रुद्र हेलिकॉप्टरों (Rudra Helicopters) के साथ मिलकर काम करेंगे, जहां रुद्र टोही मिशन (Reconnaissance Missions) और अपाचे सटीक हमले (Precision Strikes) करेंगे। यह तैनाती भारतीय सेना की पश्चिमी मोर्चे पर युद्धक क्षमता (Combat Capabilities) को बढ़ाएगी।
भारत-अमेरिका रक्षा सहयोग
यह डील भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते रक्षा सहयोग (India-US Defense Cooperation) का हिस्सा है। 1 जुलाई 2025 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ की बातचीत के बाद डिलीवरी को प्राथमिकता दी गई। भारत ने अमेरिका से तेजस Mk-1A के लिए जनरल इलेक्ट्रिक इंजनों की समय पर डिलीवरी की मांग भी की थी। अपाचे की डिलीवरी में देरी आपूर्ति श्रृंखला की समस्याओं (Supply Chain Issues) और अमेरिकी रक्षा प्राथमिकता प्रणाली (DPAS) में भारत की निचली रैंकिंग के कारण हुई थी, जिसे अप्रैल-मई 2024 में सुलझाया गया। भारतीय वायुसेना पहले से ही 22 अपाचे हेलिकॉप्टरों का संचालन कर रही है, जो 2015 की डील के तहत 2020 तक डिलीवर हुए थे।
भारतीय सेना ने 2020 में बोइंग के साथ 600 मिलियन डॉलर की डील साइन की थी, जिसके तहत छह अपाचे हेलिकॉप्टर मई-जून 2024 तक डिलीवर होने थे। हालांकि, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में रुकावटों (Global Supply Chain Disruptions) और भू-राजनीतिक परिस्थितियों के कारण यह समय सीमा बार-बार टली। मार्च 2024 में जोधपुर में स्क्वाड्रन तैयार होने के बावजूद हेलिकॉप्टरों का इंतजार करना पड़ा। अब तीन हेलिकॉप्टरों की डिलीवरी के साथ यह प्रक्रिया पटरी पर है।