बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटना: प्रिंस से लेकर मयंक तक कुछ नहीं बदला, न रेस्क्यू का तरीका न हमारी सावधानी

Incident of children falling into Bore Well: मध्य प्रदेश के रीवा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है. त्योंथर के जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गाँव में 6 साल का एक बच्चा मयंक 160 फ़ीट गहरे बोरवेल (6 Years Old Mayank Fell Into A Borewell In Rewa) में गिर गया. शुक्रवार, 13 अप्रैल की दोपहर से लेकर शनिवार दोपहर बीत जाने के बाद भी मासूम को बाहर नहीं निकाला जा सका. बताया गया कि मयंक खेत में गेंहू की बालियां बिन रहा था, तभी बोरे से ढंके हुए बोरवेल में उनका पैर पड़ा और वह गिर गया. दोहपर तक मयंक के रोने की आवाज सुनाई देती रही लेकिन बाद में आनी बंद हो गई. मयंक जब बोरवेल में गिरा तो उसके साथ खेत की मिट्टी और घांस भी गड्ढे में गिर गई. इसी कारण जब रेक्सयु टीम ने बोरवेल में ऑक्सीजन पाइप और कैमरा डाला तो वह कुछ फ़ीट नीचे जाकर फंस गए और मयंक से संपर्क नहीं हो पाया। मयंक जब नीचे गिरा तब उसके साथ गेंहू की बाली बिन रहे दोस्त ने आखिरी बार उसकी आवाज सुनी, इसके बाद मयंक की कोई हरकत नहीं हुई.

6 साल का मयंक अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। तभी खुले गड्ढे में गिर गया।

मयंक के रेस्क्यू में लापरवाही

Mayank Borewell Case Rewa: मयंक जब बोरेवल में गिरा तो तुरंत इसकी जानकारी क्षेत्रीय पुलिस को दी गई. लोकल पुलिस तबतक सिर खुजाती बैठी रही जबतक आसपास के ठेकेदारों द्वारा दो JCB नहीं मंगवा ली गईं. पुलिस ने बोरवेल में सिर्फ ऑक्सीजन पाइप और कैमरा डालने का ही काम किया जो भी सफल नहीं हुआ. मयंक का रेस्क्यू ऑपरेशन ही 3 घंटे देरी से शुरू हुआ. रात भर 2 JCB से गड्ढा खोने का काम चलता रहा, सुबह 3 बजे बनारस से NDRF की टीम आई तो बचाव अभियान में तेजी आई लेकिन NDRF के पास भी कोई आधुनिक उपकरण नहीं थे. बाद में 6 JCB और मंगवाई गईं और गड्ढा खोदने का काम शुरू हुआ.

राजनीति करने वालों का जमावड़ा

Mayank Borewell Incident Rewa MP: इधर मासूम गहरे बोरवेल में फंसा हुआ है, उसके माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी हर कोई बिलख-बिलख कर रो रहा है. लेकिन यहां भी रीवा के सो काल्ड नेताओं ने राजनीति करनी शुरू कर दी. खुद को मसीहा साबित करने में लग गए. कोई बच्चे की मां को खाना खिलाते हुए अपनी फोटो डालने लगा तो कोई खुद को ये दिखाने में लगा रहा कि वो रेस्क्यू अभियान की मॉनिटरिंग कर रहा है.

प्रिंस से लेकर मयंक तक, कुछ नहीं बदला

आज से 18 साल पहले 21 जुलाई 2006 को हरियाणा के हलदेहडी गाँव का प्रिंस 50 फ़ीट गहरे बोरवेल में घुस गया था. प्रिंस का केस अपने आप में पहला मामला था. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया लगातार सेना द्वारा चलाए जा रहे रेस्क्यू अभियान को कवर कर रही थी. प्रिंस की जिंदगी के लिए पूरा देश प्रार्थना कर रहा था. 50 घंटे तक चले अभियान के बाद प्रिंस को बाहर निकाल लिया गया था. तब देश के प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने प्रिंस के साथ केक काटकर उसका दूसरा जन्म दिन मनाया था.

The Streets - In July 2006, five-year-old Prince fell into a borewell 60  feet below the ground in Haryana's Kurukshetra. He was lucky to survive and  was rescued after a 48-hour operation.

प्रिंस बोरवेल घटना (Prince Bore well Case) के बाद देश में बच्चों के बोरवेल में जैसे गिरने का सिलसिला शुरू हो गया. पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश से ऐसी ख़बरें आनी शुरू हो गईं. रतलाम, विदिशा, भोपाल, बैतूल, छतरपुर और रीवा में बोरवेल में बच्चों के गिरने की खबर सामने आईं. इनके रेस्क्यू के लिए भी NDRF तो कहीं पुलिस तो कहीं सेना की मदद ली गई मगर हर बच्चे की किस्मत प्रिंस जैसी नहीं निकली। प्रिंस के साथ हुई घटना से किसी ने सबक नहीं लिया, न सरकार ने ना प्रशासन ने, न पुलिस ने और ना ही समाज ने. न बचाव के तरीके बदले और ना ही हमारी सावधानी में कोई बदलाव आया.

बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटनाएं

जालौर बोरवेल कांड:

A four-year-old boy looking at the newly dug borewell dug fresh, disturbed  the balance and fell inside | 90 फीट नीचे मौत को हराकर आया: राजस्थान के  जालोर में बोरवेल में फंसा

राजस्थान के जालौर के लाछड़ी में 6 मई 2021 को अनिल देवासी नाम का एक बच्चा खेत में बने बोरवेल को झाँकने की कोशिश में नीचे गिर गया था. 90 फ़ीट नीचे बच्चा बोरवेल में फंस गया. NDRF की टीम यहां बच्चे को नहीं निकाल पाई लेकिन स्थानीय शख्स माधाराम ने बच्चे को मौत के मुंह से बचा लिया था. यह रेक्सयु अभियान 16 घंटे तक चला था.

दौसा बोरवेल घटना

Rajasthan News Two Year Girl Fell In Borewell Dausa Bandikui - Amar Ujala  Hindi News Live - Rajasthan:बोरवेल में गिरी दो साल की बच्ची को देसी जुगाड़  से निकाला गया बाहर, 100

राजस्थान के ही दौसा में 15 सितंबर 2022 को 2 साल की बच्ची अंकिता 200 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. वह 100 फ़ीट गहराई में जाकर फंस गई थी. SDRF और प्रशासन बच्ची को निकालने के लिए देसी जुगाड़ कर रहा था. खुशकिस्मती से बच्ची को बाहर निकाल लिया गया था.

जयपुर बोरवेल घटना

राजस्थान के जयपुर में 20 मई 2023 को 9 साल का अक्षित (लक्की) 200 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. 20 मई की सुबह 7 बजे हुए इस हादसे के बाद 7 घंटे तक SDRF की टीम रेस्क्यू अभियान चलाती रही और दोपहर 2 बजे तक बच्चे को बचा लिया गया.

अहमदनगर बोरवेल हादसा

Maharashtra: 5-year-old Boy Falls Into Borewell In Ahmednagar District;  Rescue Operation On - Amar Ujala Hindi News Live - Maharashtra:अहमदनगर जिले  में पांच साल का बच्चा बोरवेल में गिरा, मौत

महाराष्ट्र के अहमदनगर में 14 मार्च 2023 को 5 साल का रोहित बोरवेल में कहते वक़्त गिर गया था. तब उसके माता-पिता खेत में गन्ना काट रहे थे. घटना में बच्चे को बचाने के लिए पुलिस और फायर ब्रिगेड थी. रेस्क्यू शुरू हुआ, टीम रोहित से सिर्फ 15 फ़ीट दूर थी मगर जब 9 घंटे बाद बच्चे तक जब टीम पहुंची तो उसकी मौत हो चुकी थी.

बैतूल बोरवेल दुर्घटना

मध्य प्रदेश के बैतूल के मांडवी गांव में 8 साल का तन्मय साहू 55 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. तन्मय को बचाने के लिए 84 घंटे तक रेस्क्यू मिशन चलाया गया. बोरवेल से निकाले जाने के बाद उसे अस्पताल ले जाया गया जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया. माता-पिता अपने बच्चे को आखिरी बार देख भी न पाए. यहां SDRF की टीम की लापरवाही सामने आई थी. बच्चा सिर्फ तीन फ़ीट दूर था तब खुदाई रोक दी गई थी.

जांजगीर बोरवेल केस

छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले के पीहरीद गाँव में 10 जून 2022 को राहुल साहू नाम का 10 साल का बच्चा 80 फ़ीट गहरे बोरवेल में घुस गया था. 103 घंटे तक चले बचाव अभियान के बाद राहुल को बचा लिया गया था.

विदिशा बोरवेल घटना

मध्य प्रदेश के विदिशा के खेरखेरी गांव में 14 मार्च 2023 को 8 साल का लोकेश अहिरवार 60 फ़ीट गहरे बोरवेल की 43 फ़ीट गहराई में फंस गया था. यहां उसे बचाने के लिए SDRF और NDRF की 4 टीमें मौजूद थीं. 24 घंटे तक टीमों ने खूब मशक्क्त की, लोकेश तक टीम पहुँच भी गई मगर तबतक बहुत देर हो चुकी थी.

हापुड़ में मुखबधिर बच्चा बोरवेल में गिरा था

उत्तर प्रदेश के हापुड़ में 10 जनवरी 2023 को 6 साल का माविया 60 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. माविया को 5 घंटे तक चले रेस्क्यू मिशन के बाद बचा लिया गया था.

दमोह बोरवेल घटना

मध्य प्रदेश: 300 फीट गहरे बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, 32 घंटों से  रेस्क्यू जारी - Madhya Pradesh 3 year old girl fell in Borewell rescue  continues ntc - AajTak

मध्य प्रदेश के दमोह में 27 फरवरी 2022 को 7 साल का प्रिंस 300 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गया था. मासूम प्रिंस तक बचाव टीम 6 घंटे में पहुंच गई थी मगर तबतक उसकी मौत हो गई थी. प्रिंस बोरवेल के सिर्फ 20 फ़ीट गहराई में फंसा था. उसे बचाया जा सकता था अगर बचाव टीम के पास सही उपकरण और तरीका होता।

सीहोर की बोरवेल घटना कभी नहीं भुलाई जा सकती

मध्य प्रदेश के सीहोर के मुगावली में 7 जून 2023 को ढाई साल की मासूम सृष्टि 300 फ़ीट गहरे बोरवेल में गिर गई थी. सृष्टि पहले 25 फ़ीट की गहराई में फंसी थी लेकिन बाद में घिसटते हुए 50 फ़ीट नीचे चली गई. सृष्टि को बचाने के लिए आई NDRF ने मोर्चा संभाला, दिल्ली से रोबोटिक टीमें आईं. पूरा देश मासूम के लिए प्रार्थना कर रहा था लेकिन टीम को सृष्टि तक पहुंचने में बहुत देर हो गई और सृष्टि को नहीं बचाया जा सका.

ऐसी न जाने कितनी घटनाएं हुईं। कितने मासूमों की ज़िंदगी चली गई. लेकिन हमने-आपने, सरकार ने प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया और नतीजतन आज फिर एक मासूम मौत और ज़िन्दगी के बीच झूल रहा है. रीवा के मयंक को बचाने के लिए शुरू किया गया अभियान देरी से शुरू हुआ, पर्याप्त उपकरण नहीं मिले, NDRF को पहुंचने में समय लगा. रीवा प्रशासन के पास ऐसे हालातों से निपटने के लिए कोई तरीके नज़र नहीं आए.

सुप्रीम कोर्ट का आदेश माना ही नहीं गया

बोरवेल में बच्चों के गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो 6 अगस्त 2010 को सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश पारित किया। चीफ जस्टिस एसएस कपाड़िया, जस्टिस केएस राधाकृष्णन और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच ने एक रिट पिटीशन पर फैसला सुनाते हुए नल कूपों को लेकर पूरी गाइडलाइन बनाई। जिसके तहत

  • नलकूप की खुदाई से पहले कलेक्टर/ग्राम पंचायत को लिखित सूचना देनी होगी।
  • खुदाई करने वाली सरकारी, अर्ध-सरकारी संस्था या ठेकेदार का पंजीयन होना चाहिए।
  • नलकूप की खुदाई वाले स्थान पर साइन बोर्ड लगाया जाना चाहिए।
  • खुदाई के दौरान आस-पास कंटीले तारों की फेंसिंग की जाना चाहिए।
  • केसिंग पाइप के चारों तरफ सीमेंट/कॉन्क्रीट का 0.30 मीटर ऊंचा प्लेटफार्म बनाना चाहिए।
  • बोर के मुहाने को स्टील की प्लेट वेल्ड की जाएगी या नट-बोल्ट से अच्छी तरह कसना होगा।
  • पम्प रिपेयर के समय नलकूप के मुंह को बंद रखा जाएगा।
  • नलकूप की खुदाई पूरी होने के बाद खोदे गए गड्ढे और पानी वाले मार्ग को समतल किया जाएगा।
  • खुदाई अधूरी छोड़ने पर मिट्टी, रेत, बजरी, बोल्डर से पूरी तरह जमीन की सतह तक भरी जानी चाहिए।

बोरवेल में गिरने से हुईं मौतों का आंकड़ा

लेकिन कोर्ट के इस आदेश का पालन शायद ही कहीं हुआ. हुआ होता तो सृष्टि भी ज़िंदा होती और लोकेश भी. बोरवेल के नियमों का पालन कराने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने जिलों के कलेक्टर्स को दी है. सिर्फ 2006 से लेकर 2015 के आंकड़ों की बात करें तो इस दौरान बोरवेल और मेनहोल में गिरने से 16, 281 लोगों की मौत हो चुकी है. ये आंकड़े गंभीरता से समझने वाले हैं मगर बदकिस्मती हैं कि लोगों में जारूकता की कमी है और प्रशासन में ईमानदारी से जिम्मेदारी निभाने की.

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