उज्जैन। भगवान महाकाल की नगरी एमपी के उज्जैन की कला-संस्कृति और विरासत का प्रयायगराज के महाकुंभ में दर्शन हो रहे है। मध्यप्रदेश का संस्कृति विभाग नृत्य, नाटक, चित्रकला, गायन-वादन आदि के माध्यम से यंहा की कला-संस्कृति को दिखा रहा है। महाकुंभ में दुनिया भर से पहुचने वाले श्रद्धालु एमपी की इस कला को बखूबी देख रहे है। ज्ञात हो कि महाकाल की भस्म आरती, शिप्रा आरती, 84 महादेव, सम्राट विक्रमादित्य, राजा भोज, मलखंभ, वैदिक घड़ी, मटकी नृत्य सब कुछ यहां है।
मध्यप्रदेश मंडपमृ
प्रयागराज के कुंभ में बनाए गए मध्यप्रदेश मंडपमृ में जंहा प्रतिदिन कलाकार अपनी प्रस्तुती दे रहे है वही गंगा तट पर नर्मदा, शिप्रा समेत एमपी की नदियों का गान हो रहा है। महाकुंभ में मलखभ का जंहा प्रदर्शन होगा वही भोजदेव नृत्य नाट्रक एवं कृष्णायन नृत्य नाटक का मंचन किया जाएगा। इतना ही नही महादेव एवं कृष्णलीला का भी मंचन किया जाएगा। महादेव के 84 स्वरूपों पर केन्द्रीत महादेव की चित्र प्रदर्शनी भी लगाई जा रही है।
नासिक और उज्जैन में लगेगा महाकुंभ
प्रयागराज के बाद अगला महाकुंभ 2027 में नासिक के गोदावरी नदी के तट पर तथा 2028 में उज्जैन के शिप्रा तट पर लगेगा। इसके लिए एमपी सरकार अभी से तैयारी शुरू कर दी है। जानकारी के तहत एमपी के सीएम मोहन यादव ने महाकुंभ 2028 के लिए 18 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का बजट खर्च करने की तैयारी कर रहें है।