Cag Report: एमपी में मुआवजे की राशि अफसरों ने रिश्तेदारों के खाते में डाली

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MP News: मध्य प्रदेश में संबल योजना के तहत अंत्येष्टि के लिए दी जाने वाली अनुग्रह राशि में हुए बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। यह खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है। इसी तरह प्राकृतिक आपदा के तहत किसानों को दी जाने वाली सहायता राशि में भी बड़ी गड़बड़ी सामने आई है।

MP News in hindi: मध्य प्रदेश विधानसभा पर सोमवार को कैग की रिपोर्ट पेश की गई। इसमें प्रदेश में प्राकृतिक आपदा और संबल योजना के तहत दी जानी वाली सहायता राशि में बड़ी गडबड़ी की जानकारी मिली है। रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच करीब 32 करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि की गड़बड़ी की गई है। मुरैना, सिंगरौली भोपाल, जबलपुर समेत कुल 13 जिलों में श्रमिकों को दी जाने वाली अंत्येष्टि, अनुग्रह सहायता राशि कर्मचारियों ने अपने रिश्तेदारों और अपात्र लोगों के खाते में ट्रांसफर कर दी। इतना ही नहीं किसानों को भी प्राकृतिक आपदा के तहत दी जाने वाली सहायता राशि में भी गड़बड़ी की गई है।

52 खातों में भेजी राशि

बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा रजिस्टर्ड श्रमिकों की मृत्यु पर अंतिम संस्कार के लिए सहायता राशि और अनुग्रह राशि उनके परिवार को दी जाती है। इसमें श्रमिकों को उनके विवाह और दो बेटियों के विवाह के तहत भी राशि सरकार की ओर से दी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार इसमें गड़बड़ी पाई गई है। जांच में पाया गया कि 142 प्रकरणों में 52 अपात्र बैंक खातों में राशि जारी कर दी गई। इसके लिए फर्जी नामों का सहारा लिया गया। इस तरह के मामले कई नगर निगमों में सामने आए हैं। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दो करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि संदिग्ध खातों में ट्रांसफर कर दी गई।

13 जिलों में गड़बड़ी

दस्तावेजों की जांच में यह भी सामने आया है कि सतना, विदिशा, आगर मालवा समेत 13 जिलों के किसानों को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने पर मिलने वाली राशि में गड़बड़ी की गई है। इसमें अधिकारियों और कर्मचारियों ने आपस में साठगांठ कर अपने रिश्तेदारों के खातों में राशि ट्रांसफर कर दी। साल 2022 में करीब 23 करोड़ 81 लाख की राशि का भुगतान किया गया है। इस गड़बड़ी के लिए अलग-अलग बैंकों में एक ही व्यक्ति के नाम से कई खातों का इस्तेमाल किया गया।

फर्जी हस्ताक्षर से जारी किए आदेश

सिवनी जिले में सांप काटने, डूबने और बिजले गिरने के मामलों में 11.14 करोड़ रुपए की राशि की धोखाधड़ी सामने आई है। इतना ही नहीं अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर से स्वीकृति आदेश जारी करने की बात भी रिपोर्ट में दर्शायी गई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019-20 में 40 से ज्यादा सहकारी समितियों के खातों में 8 करोड़ रुपये की राशि जमा करने में फेरबदल पाया गया है। दरअसल, तहसीलदारों ने समितियों के बैंक खातों में 56.91 करोड़ की राशि जमा कर दी, लेकिन समितियों की ओर से केवल सिर्फ 48 करोड़ की राशि ही प्रमाणित की गई। बाकी राशि का कैग को कोई हिसाब नहीं मिला।

भुगतान में भी भारी देरी

संबल योजना के तहत असंगठित श्रमिकों को दी जाने वाली अनुग्रह सहायता राशि की स्वीकृति और भुगतान में भी बड़े पैमाने पर लेटलतीफी की गई। रिपोर्ट के अनुसार, हजारों मामलों में सहायता राशि 1,272 दिनों तक देरी से स्वीकृत की गई, जबकि योजना दिशानिर्देशों के तहत, इसे 15 दिन के भीतर निपटाया जाना चाहिए। एन.आई.सी. डेटा और संबल योजना के बैंक खाते की जांच में सामने आया है कि 1,68,342 आवेदनों में से 1,07,076 मामलों में स्वीकृति में1,272 दिनों तक की देरी की गई। रिपोर्ट में 1,349.92 करोड़ की राशि वाले 60,674 मामलों में भुगतान 1,013 दिनों तक देरी से किया गया।

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