IIM इंदौर डायरेक्टर का बयान: ‘मनुस्मृति से नीतियां बनानी चाहिए’ सनातन विरोधियों की मिर्ची लगी!

IIM Indore campus building during an academic event amid public debate

IIM इंदौर के डायरेक्टर प्रोफेसर हिमांशु राय ने एक सेमिनार में मनुस्मृति की प्रशंसा कर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने कहा, “मनुस्मृति दुनिया का पहला ग्रंथ है जो समानता की बात करता है। हमें नीतियां मनुस्मृति से बनानी चाहिए।” (IIM Indore Director Manusmriti Praise) प्रो. राय ने मनुस्मृति को प्राचीन भारतीय ज्ञान का अनमोल ग्रंथ बताया, जिसमें न्याय और समान अवसरों की बात है। ये बयान भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों की ताकत को रेखांकित करता है, लेकिन सनातन विरोधियों को ये बात चुभ गई और वे बेवजह हंगामा करने लगे। (Sanatan Values Manusmriti) IIM जैसे प्रतिष्ठित संस्थान से ये बयान सनातन संस्कृति के प्रति गर्व को बढ़ावा देता है, जो आधुनिक नीति निर्माण में भी प्रासंगिक है।

डायरेक्टर का बयान: मनुस्मृति को समानता का प्रतीक बताया

Professor Himanshu Rai Positive Statement: प्रोफेसर हिमांशु राय ने सेमिनार में कहा, “मनुस्मृति दुनिया का पहला ग्रंथ है जो समानता की बात करता है। हमें नीतियां मनुस्मृति से बनानी चाहिए।” (Himanshu Rai Manusmriti Equality) उन्होंने मनुस्मृति के सकारात्मक पहलुओं पर जोर दिया, जैसे न्याय और समाज व्यवस्था। IIM इंदौर के डायरेक्टर का ये बयान भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कई बुद्धिजीवी और सनातन प्रेमी इसे सराहनीय बता रहे हैं।

सनातन विरोधियों का हंगामा: बेवजह मिर्ची लगी

बयान के बाद सनातन विरोधी तत्वों ने बिना समझे हंगामा शुरू कर दिया। कुछ विपक्षी नेता इसे गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, जबकि प्रो. राय ने सिर्फ ग्रंथ के सकारात्मक पक्षों की बात की। ये वही लोग हैं जो भारतीय संस्कृति पर हमेशा सवाल उठाते हैं, लेकिन सनातन मूल्यों की ताकत से घबरा जाते हैं।

मनुस्मृति का महत्व: प्राचीन ज्ञान का अनमोल स्रोत (

मनुस्मृति प्राचीन भारतीय समाज व्यवस्था का महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें न्याय, समानता और कर्तव्य की बातें हैं। प्रो. राय ने इसके उन पहलुओं को हाइलाइट किया जो आधुनिक नीति निर्माण के लिए प्रेरणा दे सकते हैं। (Manusmriti Ancient Wisdom) IIM जैसे संस्थान से ये बयान सनातन संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संदेश देता है। कई विशेषज्ञों ने इसे सराहा कि भारतीय ग्रंथों को वैश्विक पटल पर लाना जरूरी है।

प्रो. राय का बयान भारतीय शिक्षा और नीति निर्माण में सनातन ज्ञान को शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। इससे युवा पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ेगी और सनातन विरोधियों की मिर्ची लगना स्वाभाविक है। IIM इंदौर जैसे संस्थान सनातन मूल्यों को बढ़ावा देकर देश को मजबूत बना रहे हैं।

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