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ईरान और इजरायल में अगर हुई जंग तो भारत पर क्या असर पड़ेगा ?

ईरान और इजरायल के बीच लगातार हालात बिगड़ते जा रहे है. ईरान में हमास नेता इस्माइल हानिया की मौत के बाद ईरान इजरायल पर सीधी कार्यवाही की बात कर रहा है।  ऐसे में भारत के लिए आने वाले समय में बहुत सी चुनौतियां सामने आ सकती है.ईरान और इजरायल दोनों देशों से भारत के अच्छे कूटनीतिक और व्यापारिक संबध हैं. ऐसे में भारत को कूटनीतिक स्तर पर भी बहुत सावधानी बरतनी होगी। 

इजरायल जाते हैं भारतीय हीरे

इजरायल के लिए भारत एक बड़ा निर्यातक देश है . भारत ने इजरायल के साथ 1992 में अपने कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। लेकिन थोड़े ही समय में भारत के साथ इजरायल के बहुत अच्छे व्यापारिक संबंध बन गए हैं. अभी रक्षा क्षेत्र को छोड़ दिया जाए तो भी इजरायल के साथ भारत का साल 2022-23 में 10 अरब डालर का व्यापार हुआ है. इसमें भारत के निर्यात की हिस्सेदारी अहम है. आपको बता दे कि भारत इजरायल को हीरे निर्यात करता है. बीते साल में इजरायल भारत का 32 सबसे अधिक व्यापार वाला साझीदार है. रक्षा क्षेत्र की अगर बात की जाय तो उसमें भी इजरायल भारत का एक बड़ा सहयोगी बना हुआ है.

गौरतलब है कि क्षेत्र में तनाव का दोनो देशों के साथ व्यापार पर गहरा असर पड़ सकता है. कई जानकार कहते है कि युद्ध की लपटे भले ही मध्य पूर्व में फैले लेकिन उसकी गर्मी का असर भारत में भी महसूस किया जा सकेगा. शायद यही कारण है कि भारत ने अपनी नीतियों के अनुरूप दोनों देशों से शांति बनाए रखने की ही आग्रह किया है.

ईरान से व्यापारिक संबंध

अगर ईरान के साथ व्यापार की बात की जाए तो  साल 2022-23 में दोनों देशों के बीच 2.33 अरब डॉलर का व्यापार किया गया. इस दौरान भारत का निर्यात 1.66 अरब डॉलर का रहा. अगर वैश्विक स्तर पर बात करे तो ईरान भारत का 59वां सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार रहा. अमेरिका ईरान पर तमाम आर्थिक प्रतिबंध लगाए हुए है . व्यापार की यह मात्रा अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण पिछले सालों में काफी गिरी रही, जो पिछले साल बढ़ी.

आम तौर पर भारत ईरान को गेहूं, चावल खाने के तेल, प्याज, जैसे कृषि और घी वगैरह दुध उत्पादों का निर्यात करता है. जबकि ईरान से भारत कच्चा तेल , खजूर , बादाम , पेट्रोलियम बिटुमेन आयत करता है।

चाबहार प्रोजेक्ट

आपको बता दे कि भारत ने मई 2015 में चाबहार बंदरगाह के विकास के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए थे। मई 2016 में भारत, ईरान और अफगानिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा स्थापित करने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे चाबहार समझौते के रूप में भी जाना जाता है।

अब और भड़केंगी जंग

आपको बता दे कि 61 साल के सिनवार को तेहरान में हानिया की हत्या के बाद हमास की कमान सौंपी गई है. यह डेवलपमेंट ऐसे वक्त में है, जब आशंका जताई जा रही है कि हमास और उसके सहयोगियों के साथ इजरायल का जंग और भयानक रूप ले सकता है. ईरान और हमास का कहना है कि हानिया की हत्या इजरायल ने की है. हालांकि, इजरायल ने अब तक इस पर कुछ नहीं बोला है.

कौन है सिनवार?

गौरतलब है कि 7 अक्टूबर के बाद इजरायली सेना ने सिनवार को ‘बुराई का चेहरा’ बताया और उसे चलता-फिरता जिंदा लाश घोषित कर दिया था. सिनवार का जन्म दक्षिणी गाजा के खान यूनिस शरणार्थी शिविर में हुआ है. सिनवार  हमास में तब शामिल हुआ, जब शेख अहमद यासीन ने 1987 में पहले फ़िलिस्तीनी आंदोलन शुरू होने के दौरान समूह की स्थापना की थी. सिनवार ने अगले ही साल समूह का आंतरिक सुरक्षा तंत्र स्थापित किया और एक खुफिया इकाई का नेतृत्व किया. इसका काम इजरायल को जानकारी देने के आरोपी फिलिस्तीनियों को बेरहमी से दंडित करना- कभी-कभी हत्या- करना था. वह इजरायल की जेलों में करीब 23 साल तक रह चुका है.

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