IDBI Bank Privatisation: 2025 के अंत तक बिक जाएगा यह बैंक

IDBI Bank Privatisation

IDBI Bank Privatisation: निजीकरण की प्रक्रिया को महत्व देते हुए अब भारत सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम आईडीबीआई बैंक (IDBI bank privatisation)में कुल 60.72% हिस्सेदारी की रणनीति बिक्री की प्रक्रिया पूरी करने वाली है। जी हां, वर्ष 2025 के अंत तक यह बिक्री प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। बता दें यह बिक्री प्रक्रिया पूरी होते ही बैंक के निजीकरण क्षेत्र में यह पहला कदम होगा। जिस प्रकार एयर इंडिया का निजीकरण कर दिया गया वहीं बैंक के निजीकरण को भी IDBI बैंक के माध्यम से नई गति मिलेगी।

IDBI Bank Privatisation
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सरकार और LIC के संयुक्त निवेश की होगी बिक्री(banking privatisation process)

बता दे IDBI बैंक जो एक पूर्ण बैंकिंग सेवा प्रदाता कंपनी है इस कंपनी में सरकार और LIC की संयुक्त हिस्सेदारी 94.72% है और अब जल्द ही सरकार इसका बैंक के साथ 60.72% हिस्से को बेचने की योजना बना रही है, जिसमें से सरकार का 30.48 प्रतिशत और एलआईसी का 30.24% बेचा जाएगा। बिक्री प्रक्रिया को पूरा करने के लिए सरकार को कई अभिरुचि पत्र प्राप्त हुए हैं। इस बैंक की बिक्री में कई घरेलू और विदेशी संस्थानों में रुचि दिखाई है जिनमें से सरकार जल्द ही शॉर्टलिस्ट किए गए बोलीदाताओं का चयन कर लेगी।

RBI ने दिए फिट और प्रॉपर सर्टिफिकेट

बता दे इस बैंक को खरीदने के लिए केवल उन्हीं कंपनियों को बोली लगाने का हक दिया गया है जिन्हें रिजर्व बैंक द्वारा फिट एंड प्रॉपर प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ है और प्राप्त किए गए निवेदनों में भी RBI ने फिट एंड प्रॉपर (fit and proper certificate)जांच पूरी कर ली है। और अब बोली लगाने वाली कम्पनियों को बैंक के गोपनीय डाटा की पहुंच भी प्राप्त हो चुकी है। अब बोली लगाने वाली कंपनियां बैंक की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन कर सकेंगी और बैंक में हिस्सेदारी खरीदने पर विचार विमर्श कर पाएंगी।

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पाठकों की जानकारी के लिए बता दें IDBI बैंक में हिस्सेदारी खरीदने के लिए कई विदेशी कंपनियां भी सामने आई है। जापान की सुमिताओ बैंकिंग कॉर्प ,कनाडा की फेयरफॉक्स ग्रुप और भारत का कोटक महिंद्रा भी इस लिस्ट में अग्रणी है। हालांकि अभी तक यह निश्चित नहीं किया जा सका है कि सरकार बैंक की 60.72%हिस्सेदारी कौन सी कंपनी को बेचने वाली है। परंतु इतना स्पष्ट है कि सरकार निवेशकों को कर नियमों में छूट जरूर देने वाली है ताकि अंतिम बोली के बाद शेयर की कीमत यदि बढ़ती है तो खरीददारों को अतिरिक्त कीमत ना चुकानी पड़े। बल्की निजीकरण की प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिले और खरीदार ज्यादा से ज्यादा निवेश करने के लिए आगे आएं।

कुल मिलाकर IDBI बैंक का निजीकरण सरकार की विनिवेश नीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यदि यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक संपन्न हो जाती है तो न केवल सरकार के राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि बैंकिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा भरे बढ़ेगी और ग्राहकों को बेहतर सुविधा प्राप्त होगी।

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