IAS संतोष वर्मा पद से हटाए गए, अब सर्विस भी खतरे में

A file containing a notice or order displayed outside a government building, showing the administrative action of removing IAS officer Santosh Verma from his post.

IAS Santosh Verma Dismissal Order: मध्य प्रदेश के आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा (IAS Santosh Verma Controversy) फिर से आग उगल रहे हैं। ब्राह्मण बेटियों को ‘दान में देने’ या ‘रिश्ता जोड़ने’ की उनकी विवादित टिप्पणी वाला वीडियो वायरल होने के बाद अब नई क्लिप्स ने पूरे राज्य में जातिगत तनाव पैदा कर दिया। (Santosh Verma Brahmin Remarks) सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए उन्हें पद से हटा दिया और बर्खास्तगी की सिफारिश कर दी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार ने IAS संतोष वर्मा को किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर के पद से हटा दिया है. उन्हें बिना कार्य के GDA (General Administration Department) से अटैच कर दिया है. राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से वर्मा को IAS से हटाने की भी सिफारिश की है.

‘ब्राह्मण बेटी दान में दे दो, तब तक आरक्षण चले’

23 नवंबर 2025 को भोपाल के अंबेडकर मैदान में एससी-एसटी अधिकारी-कर्मचारी संघ (AJAKS) के प्रांतीय सम्मेलन में वर्मा को अध्यक्ष चुना गया। (AJAKS Association Bhopal Event) यहां उन्होंने आरक्षण पर बोलते हुए कहा, “आरक्षण तब तक मिलना चाहिए जब तक इनके बेटे को ब्राह्मण समाज का कोई व्यक्ति अपनी बेटी न दे दे। दूसरी शर्त ये रखी कि या तो बेटी दान में दे दे या फिर संबंध बना ले।” ये ‘रोटी-बेटी’ वाला तंज सवर्ण समाज को चुभ गया। जिसके बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और गुस्से की बाढ़ आ गई।

दूसरे और तीसरे बयान से फिर उकसाया

‘हाईकोर्ट एसटी बच्चों को जज नहीं बनने देता’ और ‘हर घर से संतोष वर्मा’ एक और वीडियो में वर्मा आजाद समाज पार्टी के सांसद चंद्रशेखर आजाद का हवाला देकर चैलेंज देते हैं: “कितने संतोष वर्मा को तुम मरोगे? कितने संतोष वर्मा को जलाओगे? अब हर घर से एक-एक संतोष वर्मा निकलेगा।” दूसरे कार्यक्रम में उन्होंने हाईकोर्ट पर हमला बोला: “एसटी वर्ग के बच्चों को सिविल जज कोई और नहीं, बल्कि हाईकोर्ट नहीं बनने दे रहा है।” वर्मा का दावा था कि कटऑफ और इंटरव्यू में जानबूझकर कम मार्क्स देकर एससी-एसटी कैंडिडेट्स को रोका जाता है। ये बयान संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए वायरल हो गया।

ब्राह्मण और सवर्ण संगठनों (Brahmin Community Protests MP) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। रीवा सांसद जनार्दन मिश्रा ने केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह को चिट्ठी लिखी, जिसमें वर्मा के आईएएस सिलेक्शन पर सवाल उठाए और फर्जी डॉक्यूमेंट्स का जिक्र किया। (Janardan Mishra Letter to Centre Regarding IAS Santosh Verma) भोपाल सांसद आलोक शर्मा समेत बीजेपी-कांग्रेस के दर्जनभर नेता एकजुट होकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मिले। अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज ने 14 दिसंबर को सीएम हाउस घेराव का ऐलान किया। संगठनों ने वर्मा को ‘जातिगत दुश्मनी फैलाने वाला’ करार दिया।

27 नवंबर को शो-कॉज नोटिस के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने वर्मा को किसान कल्याण एवं कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पद से हटा दिया। उन्हें जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) में बिना काम के अटैच कर दिया गया। नोटिस में कहा गया कि ये टिप्पणियां सामाजिक सद्भाव को ठेस पहुंचाने वाली हैं और आईएएस की गरिमा के खिलाफ। (IAS Suspension Madhya Pradesh) केंद्र को बर्खास्तगी की सिफारिश भेजी गई, जो अनुशासनहीनता और मनमानी की कैटेगरी में आती है। वर्मा ने सफाई दी: “मैंने ऐसी बात नहीं कही, लेकिन अगर किसी को ठेस पहुंची तो खेद है।”

ये पहला विवाद नहीं। वर्मा पर फर्जी डॉक्यूमेंट्स से इंटीग्रिटी सर्टिफिकेट हासिल करने का आरोप है, जांच अंतिम चरण में। (IAS Fraudulent Entry Case) 2021 में जज के फर्जी सिग्नेचर से प्रमोशन लेने पर गिरफ्तारी हुई। एक महिला से मारपीट और शादी का झांसा देने का भी केस दर्ज। 2012 बैच के वर्मा का ये बैकग्राउंड विवाद को और गहरा रहा।

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