I Want to Talk 70th Filmfare Award: सिनेमा की दुनिया में हर वर्ष कई सितारे अपने अदाकारी के जलवे बिखरते हैं। लेकिन अभिषेक बच्चन के लिए पिछले 25 साल कुछ आसान नहीं थे। हर वर्ष वे कोशिश करते परंतु उनकी कोशिश लोगों को दिखाई नहीं देती बल्कि उन्हें हमेशा डिमोटिवेट कर दिया जाता। परंतु जूनियर बच्चन आखिर जूनियर बच्चन ठहरे, डिमोटिवेट होने की जगह वे लगातार शानदार योगदान देते आए और आखिरकार उन्हें उनकी I want to talk फिल्म के लिए बेस्ट एक्टर का अवार्ड मिला।
25 साल बाद मिला मिली पहचान और अवार्ड
जी हां, अभिषेक बच्चन को अब तक सपोर्टिंग रोल में सफलता मिली, समीक्षकों की तारीफ भी मिली और फिल्म इंडस्ट्रीज से कई बड़े अनुभव भी मिले लेकिन बेस्ट एक्टर इन लीडिंग रोल का अवार्ड नहीं मिला। परंतु उनकी यह ख्वाहिश भी आखिरकार पूरी हो गई है। जी हां, ‘आई वांट टू टॉक’ एक ऐसी फिल्म है जिसे दर्शकों ने नहीं बल्कि आलोचकों ने भी काफी सराहा। यह फिल्म भावनात्मक और मार्मिक घटनाओं के इर्द-गिर्द बुनी गई है जिसे हर व्यक्ति को जरुर देखना चाहिए।
यह फिल्म इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह केवल मनोरंजन को ध्यान में रखकर नहीं बनाई गई है बल्कि यह जिंदगी, डर, उम्मीद आत्म स्वीकृति का सफर दिखाती है। फिल्म ने 8 नॉमिनेशन पाए जिसमें बेस्ट एक्टर का नामांकन भी शामिल था। और आखिरकार अभिषेक बच्चन को यह अवार्ड मिल गया। हालांकि अभिषेक बच्चन अकेले नहीं है जिन्हें बेस्ट एक्टर लीडिंग रोल मिला बल्कि उन्होंने यह अवार्ड कार्तिक आर्यन के साथ शेयर किया।
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अभिषेक बच्चन फिल्म फेयर पुरस्कार स्वीकारते वक्त काफी भावुक हुए और उन्होंने स्टेज से अपनी पत्नी और अपनी बेटी को धन्यवाद कहा। उन्होंने अपने पिता अमिताभ बच्चन और जया बच्चन को भी प्रेरणा स्रोत बताया। उन्होंने पिछले 25 सालों के संघर्ष की भी बात की और यह भी बताया कि कैसे इस मंच से उन्हें काफी लंबे समय से आशा थी। इस दौरान अभिषेक बच्चन ने अपनी मां जया बच्चन को गले भी लगाया और बहुत ज्यादा भावुक भी हुए।
क्या है I want to talk मूवी की कहानी?
I want to talk एक संवेदनशील और भावनात्मक कहानी। इस फिल्म को सुजीत सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है। इस फिल्म में अभिषेक बच्चन ने अर्जुन नमक विज्ञापन अधिकारी का किरदार निभाया है, जो जीवन की ऊंचाइयों को छू रहा होता है। परंतु अचानक उसे पता चलता है कि उसे कैंसर है और उसके पास केवल 100 दिन है। इन 100 दिनों में अर्जुन काफी कुछ कहना चाहता है जो अब तक कि वह कह नहीं पाया और इसी इमोशन के इर्द-गिर्द यह फिल्म बुनी गई है।
अभिषेक बच्चन ने अर्जुन की भूमिका को सिर्फ निभाया नहीं है बल्कि जिया है और उम्मीद के भावों को बारीकी से उकेरा भी है। शायद इसीलिए अभिषेक बच्चन को 25 साल बाद वह सम्मान मिला जिसके वे बेशक हकदार हैं ।